भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध
किया। मथुरा का शासन फिर अपने नाना को सौंपा। बचपन में ही एक बड़े
अत्याचारी को मार दिया। भगवान शिक्षा ग्रहण करने अवंतिका नगरी (वर्तमान में
मध्य प्रदेश के उज्जैन) में आ गए। गुरु सांदीपनि से 64 कलाओं की शिक्षा
लेने के बाद मथुरा लौटे। उनके लौटने के बाद से ही कंस के ससुर जरासंघ ने
अपने दामाद की मौत का बदला लेने के लिए मथुरा पर आक्रमण किया।
17 बार हमले किए, हर बार भगवान उसकी सेना को मारकर उसे अकेला छोड़ देते। बलराम हर बार कृष्ण से सवाल करते की जरासंघ को क्यों नहीं मारते। एक ही बार में विजय मिल जाएगी। जरासंघ को मारने से ऐसी सफलता मिलेगी कि फिर कोई दानव या राक्षस मथुरा पर हमले की नहीं सोचेगा। लेकिन कृष्ण ने नहीं माना। उन्होंने जरासंघ को मारने की बजाय अपनी राजधानी मथुरा को छोड़ द्वारिका में बसने का मन बना लिया। सब कृष्ण के इस निर्णय से हैरान थे।
कृष्ण ने जो जवाब दिया वो हमारे लिए बहुत उपयोगी है। कृष्ण ने सबसे कहा कि जरासंघ को मारना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है।
17 बार हमले किए, हर बार भगवान उसकी सेना को मारकर उसे अकेला छोड़ देते। बलराम हर बार कृष्ण से सवाल करते की जरासंघ को क्यों नहीं मारते। एक ही बार में विजय मिल जाएगी। जरासंघ को मारने से ऐसी सफलता मिलेगी कि फिर कोई दानव या राक्षस मथुरा पर हमले की नहीं सोचेगा। लेकिन कृष्ण ने नहीं माना। उन्होंने जरासंघ को मारने की बजाय अपनी राजधानी मथुरा को छोड़ द्वारिका में बसने का मन बना लिया। सब कृष्ण के इस निर्णय से हैरान थे।
कृष्ण ने जो जवाब दिया वो हमारे लिए बहुत उपयोगी है। कृष्ण ने सबसे कहा कि जरासंघ को मारना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है।