सफलता के रास्ते में जब भी समस्या आए तो इस नजरिए से करें समाधान...

रिलेटेड आर्टिकल
 
भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया। मथुरा का शासन फिर अपने नाना को सौंपा। बचपन में ही एक बड़े अत्याचारी को मार दिया। भगवान शिक्षा ग्रहण करने अवंतिका नगरी (वर्तमान में मध्य प्रदेश के उज्जैन) में आ गए। गुरु सांदीपनि से 64 कलाओं की शिक्षा लेने के बाद मथुरा लौटे। उनके लौटने के बाद से ही कंस के ससुर जरासंघ ने अपने दामाद की मौत का बदला लेने के लिए मथुरा पर आक्रमण किया।

17 बार हमले किए, हर बार भगवान उसकी सेना को मारकर उसे अकेला छोड़ देते। बलराम हर बार कृष्ण से सवाल करते की जरासंघ को क्यों नहीं मारते। एक ही बार में विजय मिल जाएगी। जरासंघ को मारने से ऐसी सफलता मिलेगी कि फिर कोई दानव या राक्षस मथुरा पर हमले की नहीं सोचेगा। लेकिन कृष्ण ने नहीं माना। उन्होंने जरासंघ को मारने की बजाय अपनी राजधानी मथुरा को छोड़ द्वारिका में बसने का मन बना लिया। सब कृष्ण के इस निर्णय से हैरान थे।

कृष्ण ने जो जवाब दिया वो हमारे लिए बहुत उपयोगी है। कृष्ण ने सबसे कहा कि जरासंघ को मारना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है।

13 साल छोटे युवक के प्रेम में पड़ गई सुष्मिता


बॉलीवुड की सभी अभिनेत्रियों में सुष्मिता अपने संबंधों के कारण अलग पहचान रखती हैं। वह अपने रिलेशनशिप के बारे में कुछ छुपाती नहीं है।   इन दिनों अपने नए ब्वॉकयफ्रेंड के कारण बेहद चर्चा में हैं। चर्चा का कारण नया प्रेमी नहीं बल्कि प्रेमी की उम्र है।   सुष्मिता सेन इन दिनों इम्तियाज नामक शख्स के साथ लगातार देखी जा रही हैं और सूत्रों के मुताबिक यह उनका नया प्रेमी है।  गौरतलब है कि इम्तियाज की उम्र 22 वर्ष है और सुष्मिता से वह 13 वर्ष छोटा है। इम्तियाज और सुष्मिता की पहचान हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन जल्दी ही दोनों एक दूसरे के नजदीक आ गए।   सुष्मिता का नाम इससे पहले भी कई लोगों से जुड चुका है। विक्रम भट्ट से उनका

पंच, पेंच और पंचर

यदि आप खुद को सामाजिक प्राणी मानते हैं तो खुदा को भूल गए होंगे मगर सामाजिक गति-विधियों से अनभिज्ञ नहीं होंगे. राज्य और राष्ट्र की राष्ट्र की राजनीति  भले ही आपके पल्ले न पड़ती हो ,लेकिन सामाजिक नीति से बेखबर नहीं होंगे. सामाजिक नियन्त्रण के शायद दो अहम विधान है-नैतिकता और राजदंड.यदि नैतिकता तलाक की अर्जी बढ़ा देती है तो समाज उसे ढकेलकर अदालत की चौखट तक पंहुचा देता है. जाओ, भाड़  में और भाड़ में ऐसा की जलते रहो,मगर कभी राख नहीं बन पाओगे.
     स्वार्थपरता की अंधी दौड़ में शायद रिश्ता-नाता आज सबसे बड़ा बाधक है. उसका परित्याग करना ही कल्याणकारी है. तभी तो अपनों को भी उखारने-पछाड़ने में अपनी उर्जा झोंकना आये दिन घाटे का सौदा नहीं माना जाता. अपनी गांठ ढीलीकर औरों को मिट्टी में मिलाना सफल जीवन का अंतिम लक्ष्य रह गया है.सच,दूसरों का सुख ही अपने लिए दुःख का सबसे बड़ा कारण है.
     पंच कभी प्रेमचंद की कागजी कहानी का परमेश्वर हुआ करता था,लेकिन आज वह अप्रासंगिक हो चला है.उसने कई रूपों में अपना परिचय देना शुरू कर दिया है.उसकी  अनोखी अदा पर आज गिरगिट भी फ़िदा है.आज के जुम्मन शेखों के द्वारा खालाजान की खाल में भूसा भरवाने जैसे सुबह-कार्यों में उसने दिलखोल कर सहयोग किया है

रविवार विशेष- व्यंग- मेरे गदहा गुरुजी



                    मेरे गदहा गुरुजी
 

शीर्षक  पढ़ व सुनकर अति ढीठ सिगरेटी-शिखरेटी छात्र-छात्राएं भी गुरु-निंदा की बू सूंघकर मेरे घोर निंदक बन बैठेंगे. हाईटेकी प्रेम खिलाड़ी मटूकी गुरु-घंटालों का रक्तचाप असामान्य होने की सौ फीसदी संभावना है.लेकिन बन्दा के दिलोदिमाग में कतई सोच-खरोंच नही है कि गुरु निंदा जैसा महापाप का भागीदार बनने का दुस्साहस पैदा हो सके.
        अपना राम महज गुरुओं के फेहरिस्त में एक और गुरु को शुमार करने की ठान ली है.शिक्षा और सबक तो नाचीज चींटी तक से ली जा सकती है,फिर गदहा जैसा निश्छल प्राणी भला अछूता क्यों रहेगा? वैसे भी पशु-पूजन की परंपरा अपने महान भारत में पूर्व से ही रही है.गणेश वाहक मूषक जी आज भी सर्वत्र पूजनीय हैं.
        उस दिन न्यायालय के किनारे चायखाने में बैठा मैं गर्मागर्म चाय सुडक रहा था.अपने तथाकथित स्वप्न-गुरु अष्टावक्र जी की बरबस याद हो आयी.आये दिन गुरुजी से मेरा नेटवर्क ठीक उसी तरह फेल है जिस प्रकार ओसामा-बिन-लादेन से टुच्चे आतंकवादियों का.मेरी नजर सड़क पर चहलकदमी कर रही थी.
       समाहरणालय के द्वार के सामने प्रबुद्ध भारतीय नागरिक की नई सड़क का अतिक्रमण करता एक मरियल सा गदहा दृष्टिगोचर हुआ.सच,उस क्षण गदर्भ-दर्शन पाकर मैं निहाल हो उठा.मेरी आँखों में ठीक वैसी ही चमक उभर आई जैसे धाकड़ क्रिकेटरों को मैच फिक्सिंग एजेंटों को देख कर आती है.