जल्द ही मिल सकता है चश्मे से छुटकारा


चश्मे से छुटकारा 
पढ़ने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करने पर मजबूर लोगों को जल्द ही अपनी इस मजबूरी से छुटकारा मिल सकता है.   

वैज्ञानिकों ने एक नयी चिकित्सा पद्धति विकसित की है जिसमें आंखों के अंदर एक तरह का प्लास्टिक प्रतिरोपित कर चश्मे की जरूरत को खत्म किया जा सकता है. ‘जेड कामरा’ नाम की इस शैली के प्रायोगिक परीक्षणों में काफी अच्छे परिणाम मिले हैं.
‘डेली टेलिग्राफ’ के अनुसार इस शैली में लेजर की मदद् से कॉर्निया (आंखों के बाहरी लेंस) में एक हल्का सा छेद कर काफी महीन परत डाल दी जाती है. इससे आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करने में सहूलियत होगी और स्पष्ट और साफ देखा जा सकेगा.

कॉफी रोजाना कम से कम पांच कप कॉफी पीने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोजाना कॉफी का पांच कप सेवन महिलाओं को घातक स्तन कैंसर की बीमारी से बचाता है. स्वीडन के कारोलिंसा इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है रोजाना कैफीन का सेवन महिलाओं में स्तन कैंसर के कारक को बढ़ने से रोकने में सहायक साबित होता है. गौरतलब है कि स्तन कैंसर की स्थिति में कीमोथरेपी ही इसके उपचार का एकमात्र विकल्प है. डेली एक्सप्रेस के अनुसार शोधकर्ताओं ने इसके लिए छह हजार ऐसी महिलाओं से संबंधित आंकड़े जुटाए, जिनकी रजोनिवृत्ति हो चुकी थी.


 कॉफी 
रोजाना कम से कम पांच कप कॉफी पीने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोजाना कॉफी का पांच कप सेवन महिलाओं को घातक स्तन कैंसर की बीमारी से बचाता है. 

स्वीडन के कारोलिंसा इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है रोजाना कैफीन का सेवन महिलाओं में स्तन कैंसर के कारक को बढ़ने से रोकने में सहायक साबित होता है.
गौरतलब है कि स्तन कैंसर की स्थिति में कीमोथरेपी ही इसके उपचार का एकमात्र विकल्प है.
डेली एक्सप्रेस के अनुसार शोधकर्ताओं ने इसके लिए छह हजार ऐसी महिलाओं से संबंधित आंकड़े जुटाए, जिनकी रजोनिवृत्ति हो चुकी थी


मेरी गुड़िया


मेरी गुड़िया कितनी प्यारी,
यह है सारे जग से न्यारी.
इसकी आँखें छोटी-छोटी,
होठों पर इसके है लाली.
मुंह पर इसके तिल है काला,
पहनी है मोती की माला.
अच्छा सा दूल्हा मिल जाए,
तो मेरी चिंता मिट जाए.
फिर मैं इसका ब्याह रचाऊं,
और खुशी से नाचूं गाऊं.


-आस्था,वर्ग-स्टैंडर्ड-I, होली एंजेल्स स्कूल,मधेपुरा.(madhepura time)

ये प्रेम के कौन से मोड आ गये

ये प्रेम के कौन से मोड आ गये
जहाँ लम्हे तो गुजर गये
मगर हम बेजुबाँ हो गये
कहानी कहते थे तुम अपनी
और हम बयाँ हो गये
ये बादल मेरी बदहाली के
क्यूँ तेरी पेशानी पर छा गये
इस रूह के उठते धुयें मे
तुम कैसे समा गये
काश!
कोई नश्तर तो चुभता
कुछ लहू तो बहता
कुछ दर्द हुआ होता
तो शायद
तेरा दर्द मेरे दामन से
लिपट गया होता
फिर न यूँ रुसवाइयों
के डेरे होते और
जिस्म के दूसरे छोर पर
तुम मेरे होते
जहाँ रूहों के रोज
नये सवेरे होते
मगर ना जाने 
ये कैसे प्रेम के
मोड़ आ गए
जो सिर्फ भंवर 
में ही समा गए
अब ना तुम हो
ना मैं हूँ 
ना भंवर है 
बस प्रेम का ये 
मोड़ सूखे अलाव 
 ताप रहा है
 
वंदना गुप्ता,दिल्ली

2 खास रात्रियां..जिनमें भंग नहीं होता ब्रह्मचर्य!



अक्सर बोला और सुना जाता है कि पति-पत्नी का साथ एक नहीं सात जन्मों का होता है। यह बात भावनात्मक अधिक और व्यावहारिक कम लगती है। किंतु धर्मशास्त्रों में बताई विवाह परंपरा से जुड़ी कुछ खास बातें इस बात को सार्थक साबित करती है।

दरअसल, हिन्दू धर्म में विवाह एक संस्कार और गृहस्थी को धर्म माना गया है। धर्म के नजरिए से इसके पीछे पितृऋण और कुटुंब रक्षा के लिए संतान उत्पत्ति, खासतौर पर पुत्र प्राप्ति ही प्रमुख उद्देश्य है। जिसके द्वारा मृत्यु उपरांत भी पीढ़ी दर पीढ़ी श्राद्ध, यज्ञ, दान आदि द्वारा धर्म व पुण्य कर्म संचित किए जाते रहें।

वहीं इसमें मानवीय जीवन के व्यावहारिक पक्ष से जुड़ा पहलू भी साफ हैं। जिसके मुताबिक प्रेम को केन्द्र में रखकर मर्यादा के साथ स्त्री-पुरुष की इन्द्रिय कामनाओं को पूरा किया जा सके। जिससे भावनाओं में पवित्रता बनी रहे और वे पशुओं के समान व्यवहार से दूर रहें।

इस तरह विवाह संस्कार भाव शुद्धि के नजरिए से आध्यात्मिक तप के समान भी है। यही कारण है कि इसके तहत स्त्री-पुरुष के लिए विकार नहीं बल्कि शुद्ध विचार, संयम व त्याग भाव की प्रधानता के साथ संतान उत्पत्ति के लिये विशेष घडिय़ा नियत भी की गई है। जिसे गर्भाधान काल के रूप में शास्त्र सम्मत भोग भी माना गया है।

महाराज मनु के मुताबिक इन घडिय़ों के तहत कुछ विशेष रात्रियां और तिथियां नियत हैं। यहीं नहीं इनमें से भी दो विशेष रात्रियों या तिथियों में स्त्री से मिलन करने वाला गृहस्थ पुरुष भी ब्रह्मचारी माना गया है, यानी उसका ब्रह्मचर्य सुरक्षित रहता है। जानते हैं ये शास्त्रोक्त तिथियां -

यह दो खास तिथियां या रात्रि स्त्रियों के ऋतुकाल यानी रजोदर्शन के पहले दिन से 16वीं रात्रि तक के काल में आती हैं।

इस भोले-भाले चेहरे पर तरस खाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि..


इस दौरान पति फिर योजनाबद्ध तरीके से अंगूठी या सोने का कंगन देखने लगता था। उस जेवर को भाव पूछने के बाद वह जेब में पर्स टटोलने का दिखावा करता और अपनी पत्नी से कहता कि रुपयों का बंडल तो मोटरसाइकिल की डिक्की में छूट गया है। इस दौरान उसकी पत्नी जेवर पहनकर आईना देखने का नाटक करती थी। वह दुकान के बाहर जाकर मोटरसाइकिल की डिक्की से पर्स निकालने के बहाने गाड़ी स्टार्ट करता। कुछ संकेत मिलते ही पत्नी तेजी से बाहर आती और गाड़ी में बैठकर दोनों रफू चक्कर हो जातथे।


रायपुर। अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी की चर्चित फिल्म बंटी-बबली की तर्ज पर चोरी करने वाली ठग दंपति सोमवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गए।


 
भोले-भाले चेहरे का फायदा उठाकर पति-पत्नी ग्राहक बनकर ज्वेलरी शॉप में ठगी करते थे। क्राइम ब्रांच के जासूसों के सामने उनकी पोल खुल गई और दोनों पकड़े गए।

ऐसा होना चाहिए घर के मुखिया का व्यवहार



अगर हम घर में बड़े हैं तो यह ध्यान रखें कि हमें ही सबसे ज्यादा लचीला होना पड़ेगा। घर का नेतृत्व तटस्थ ना हो तो कलह होना तय है। ये हमेशा याद रखें कि हर युवा पीढ़ी अपने साथ कुछ नए नियम भी आते हैं। पुरानी पीढ़ी को इसे स्वीकार करना चाहिए। पुराने लोग पुरानी परंपरा पर ही ना टिकें। नए परिवर्तनों को स्वीकार करें।

परिवार की कोई परंपरा या नियम शाश्वत नहीं हो सकता। हर नियम को एक दिन बदलना ही पड़ता है। परिवार में सबसे ज्यादा परिवर्तन तब आते हैं जब कोई नया सदस्य आता है। जैसे घर में बहू का आना। जब घर में बहू आती है तो वह अपने साथ नई परंपराएं, संस्कार और सभ्यता लेकर आती है। उसके साथ कुछ नए विचारों का भी गृहप्रवेश होता है। उनका स्वागत किया जाना चाहिए।

जब पुरानी पीढ़ी नए विचारों को हजम नहीं कर पाती है, तो परिवार में विघटन शुरू हो जाता है। विघटन की जिम्मेदार अक्सर नई पीढिय़ों को बताया जाता है लेकिन कभी ऐसा भी सोचा जाए कि शायद पुरानी पीढ़ी नए विचारों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाई हो। 

पांडवों के परिवार में चलते हैं। द्रौपदी का स्वयंवर हुआ। पांचों भाई कुटिया में लेकर पहुंचे द्रौपदी को लेकर। मां ने बिना देखे ही

प्‍यार में जल्‍दबाजी ठीक नहीं


 


अगर आप प्‍यार का इजहार जल्‍दी करने में विश्‍वास करते हैं तो आपकी यह आदत आपको गर्लफ्रेंड से दूर कर सकता है। क्‍योंकि  हाल ही में अमेरिका के एक इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि महिलाएं जल्दी यानी तीन महीने की रिलेशनशिप में प्यार के इजहार करने वाले शख्स पर विश्वास नहीं करती है।  इसके विपरीत महिलाएं ऐसे मर्दों के वरीयता देती हैं, जो उनके साथ रिलेशनशिप में काफी समय लेते हैं और फिर अपने प्यार का इजहार करते हैं।

सर्वे में पता चला है कि पुरुष, महिलाओं की अपेक्षा 6 हफ्ते जल्दी ही अपने प्यार का इजहार कर देते हैं। अर्थात पुरुष 97.3 दिनों में अपने प्यार का इजहार कर देते हैं।

रिसर्चर्स का कहना है कि ऐसा लगता है कि जल्दी प्यार का इजहार करने के पीछे पुरुषों का मकसद सेक्स संबंध स्‍थापित करने की तीव्र इच्छा होती है।

सेक्स के मामलों में ज्‍यादा रिस्‍क लेते हैं भारतीय



 
अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में सामने आया कि असुरक्षित सेक्स के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं। भारत में 72 प्रतिशत लोगों ने नए साथी के साथ बिना किसी सुरक्षा के सेक्स करते हैं।
यह सर्वेक्षण अनियोजित गर्भधारण और यौन संचारित संक्रमणों पर केंद्रित था। इस सर्वे में 11 अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन शामिल थे।
 अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में सामने आया कि दुनिया में 40 फीसदी युवाओं को सेक्स के दौरान गर्भनिरोधकों को प्राप्त करने में परेशानी होती है।

मात्र एक गोली से हो जाएंगे सारे बाल काले


हम सलाह देंगे कि यह गोली बाल पकने से पहले लें, क्योंकि हमें नहीं लगता है कि यह सफेद बालों को काला कर सकेगी। साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया है कि यह गोली महंगी नहीं होगी।सफेद बालों को छूपाने के लिए काफी कवायत करनी पड़ती है। क्‍योंकि सफेद बाल बुढ़ापे का संकेत देते हैं।   लेकिन अब इन बालों को छूपाने के लिए कवायत करने की जरूरत नहीं क्‍योंकि वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक गोली बनाई है, जो बालों की सफेदी से बचा देगी।



उनका कहना है कि इस गोली को फल से तैयार किया गया है।  आमतौर पर बाल तब पकने लगते हैं, जब वे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं। इस स्ट्रेस के तहत बालों की कोशिकाएं नुकसानदेह तत्वों का आसानी से शिकार हो जाती हैं। गोली इस प्रोसेस से सुरक्षा देगी।

कॉस्मेटिक्स बनाने वाली एक ग्लोबल कंपनी की टीम ने यह गोली बनाई है। इस कंपनी के हेयर बायॉलजी डिपार्टमेंट के हेड ब्रूनो बर्नाड ने कहा कि इसे डायट सप्लिमेंट की तरह लेना होगा।  

बिग बी और जिया खान के इस किस ने मचा दिया था हंगामा

बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन की 2007 में आई फिल्म 'निशब्द' को लेकर बहुत विवाद हुआ था। इस फिल्म के डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा थे।

यह फिल्म 1986 में आई राजेश खन्ना की फिल्म अनोखा रिश्ता से प्रेरित बताई जा रही थी। इस फिल्म में अमिताभ शादीशुदा होते हैं व उनकी एक बेटी भी होती है। अमिताभ अपनी ही बेटी की दोस्त बनी जिया खान से प्यार करने लगते हैं।

इस फिल्म में बिग बी और जिया खान के बीच कई अंतरंग सीन दिखाए गए हैं। इन्हें लेकर काफी विवाद भी हुआ था। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और जिया खान के अलावा आफताब शिवदसानी और रेवती भी थे। फिल्म की शूटिंग केरल के मुन्नार में की गई थी। यह फिल्म केवल 20 दिनों में शूट कर ली गई थी।

मां तो बस मां होती है

मां तो बस मां होती है
बेहद छोटा पर उतना ही प्यारा शब्द है-मां। यह अपने भीतर ममता
का अथाह सागर समेटे हुए है। कहा जाता है कि जब ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना की तो उसके लिए हर जगह खुद मौजूद होना संभव नहीं था। तो संसार की हिफाजत के लिए उसने मां को बनाया। मां के प्यार की कोई सीमा नहीं होती। वह बच्चे को बिना किसी शर्त के प्यार करती है और समस्त कमियों के साथ उसे सहर्ष स्वीकारती है। जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने भी तो कहा है, ..कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि माता कुमाता न भवति (पुत्र तो कुपुत्र हो सकता है, पर माता कुमाता नहीं होती)। सच, मां की ममता अनमोल होती है।
सहज है मातृत्व भाव
मातृत्व की भावना हर स्त्री में जन्मजात रूप से होती है। जन्म दिए बिना भी वह उसी शिद्दत से बच्चे को प्यार करती है, जैसा कि उसे जन्म देने वाली मां करती है। इस संबंध में मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता कहती हैं,