ऐसा होना चाहिए घर के मुखिया का व्यवहार



अगर हम घर में बड़े हैं तो यह ध्यान रखें कि हमें ही सबसे ज्यादा लचीला होना पड़ेगा। घर का नेतृत्व तटस्थ ना हो तो कलह होना तय है। ये हमेशा याद रखें कि हर युवा पीढ़ी अपने साथ कुछ नए नियम भी आते हैं। पुरानी पीढ़ी को इसे स्वीकार करना चाहिए। पुराने लोग पुरानी परंपरा पर ही ना टिकें। नए परिवर्तनों को स्वीकार करें।

परिवार की कोई परंपरा या नियम शाश्वत नहीं हो सकता। हर नियम को एक दिन बदलना ही पड़ता है। परिवार में सबसे ज्यादा परिवर्तन तब आते हैं जब कोई नया सदस्य आता है। जैसे घर में बहू का आना। जब घर में बहू आती है तो वह अपने साथ नई परंपराएं, संस्कार और सभ्यता लेकर आती है। उसके साथ कुछ नए विचारों का भी गृहप्रवेश होता है। उनका स्वागत किया जाना चाहिए।

जब पुरानी पीढ़ी नए विचारों को हजम नहीं कर पाती है, तो परिवार में विघटन शुरू हो जाता है। विघटन की जिम्मेदार अक्सर नई पीढिय़ों को बताया जाता है लेकिन कभी ऐसा भी सोचा जाए कि शायद पुरानी पीढ़ी नए विचारों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाई हो। 

पांडवों के परिवार में चलते हैं। द्रौपदी का स्वयंवर हुआ। पांचों भाई कुटिया में लेकर पहुंचे द्रौपदी को लेकर। मां ने बिना देखे ही


कह दिया पांचों भाई आपस में बांट लो। अभी तक नियम था मां जैसा कह दे, वैसा ही होता था। मां ने पलटकर देखा, नई बहू आई है। ये क्या कह दिया, तत्काल अपने शब्दों को वापस लिया। कुंती ने कहा तुम लोग जैसा ठीक समझो वैसा करो। नई बहम आई तो परिवार के नियम उसके लिए शिथिल हो गए। हालांकि हुआ वही जैसा कुती ने कहा था लेकिन कुंती ने अपने नियम शिथिल कर दिए। 

नया सदस्य परिवार में आए तो उस पर परंपराएं या कायदे थोपे ना जाएं।