आशाओं का सवेरा !!

गम की सतहों पर आशाओं का सवेरा था,
दूर थी, मंजिल मगर पास किनारा था,
ख्वाब तो थे ज़िंदगी के बहुत
मगर उनका नहीं कोई बसेरा था ,
गम की सतहों पर आशाओं का सवेरा था !!
..........
न जाने क्यूँ इतनी बोझिल हो गई,
ज़िंदगी अपने ही ख्यालों में,
शायद फुर्सत से ये बातें करूँगा,
अपने जेहन से सवालों में,
अब तो हर वक़्त जलता रहता हूँ
घनी पेड़ की छाँव में,
चाहे खड़ा रहू कहीं भी या
किसी भी फिजाओं में, 
गम की सतहों पर आशाओं का सवेरा था,
दूर थी, मंजिल मगर पास किनारा था !!
........
लगता हैं हम जैसों की
ज़िंदगी का कोई पहलू न होगा,
बयाँ करने के किये पन्ने तो होंगे,
मगर पढने के कोई मज्बुल न होगा,
अल्फाजों के फूल गिरेंगे जरुर राहों पर,
जब काटों से जख्मी पेड़ न होगा,
हंस लो यारों मुझपे मगर
हमको है ये यकीं,
भँवर तो होंगे ज़िंदगी  में  बहुत मगर,
एकदिन उनपे कोई मृगतृष्णा न होगा !
गम की सतहों पर आशों का सवेरा था,
दूर थी, मंजिल मगर पास किनारा था !!


--अजय ठाकुर,नई दिल्ली

कोई अपना नहीं है !!

कोई अपना नहीं है
इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे सब
मौके की तहजीर में,
क्या दोस्त क्या दुश्मन
क्या अपना क्या पराया
सब के सब जुड़े है एक ही जंजीर में,
गलतियाँ तो मैंने की जो
सब को अपना समझ बैठा,
अपने ही हाथों से अपनी
दिल के मासूमियत को लुटा बैठा,
हिसाब किया जो आज
हमने इनके जख्मों का,
खुद में उलझ गया मानो 
शतरंज का हारा हुआ वजीर में,
कोई अपना नहीं है
इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे
सब मौके की तहजीर में !
बेमतलब की लगती है ये दुनिया,
हर शाख पे बैठा है उल्लू,
जहाँ भरोसों का खून करती
दिखती है ओर उनकी ये गलियां,
कर के क़त्ल मेरे सादगी का
बढ़ा ले एक ओर नाम
अपने खुदगर्जी के जागीर में, 
कोई अपना नहीं है
इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे
सब मौके की तहजीर में !
जी तो करता है आज
तुम जैसा ही बन जाऊं,
ओर तबाह कर दूं
तुम जैसे की वजूद को
पर ये मुमकिन नहीं ,
तेरा इमान होगा दौलत खुदगर्जी,
पर मेरी तो चाहता हैं
आज भी तू वहां से वापस हो जा
बन के मेरा मुजरिम ही सही,
देख कैसे गले लगाने तो
अब भी बैठा हूँ तुझे
तेरे ही हांथों से लुट जाने के बाद फकीर में,
कोई अपना नहीं है इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे सब
मौके की तहजीर में !!

 
--अजय ठाकुर, नई दिल्ली

आखिर क्यों .... !!

आखिर क्यों हर कदम पे
इनकी खुशियाँ लूट ली जाती है,
माँ बेटी बहन बहू का नाम देके
आवाज़ दबा दी जाती है,
जिस हाथ को पकड़ कर
था चलना सीखा,
उस हाथ को छोड़  हाय 
तूने कैसे तोड़ा रिश्ता,
कहीं पे मर्यादाओं की डोर से बांधा,
कहीं पे दिया है लोक लाज का वास्ता,
कहीं माओं को बेघर करते बेटे,
कहीं पे किसी बहन बेटी को
बेआबरू करते ये बेटे,
भारत माँ भी अब चीख-चीख
अपना दामन बचा रही है,
कम्पन करके धरती माँ भी
अपनी व्यथा सुना रही है,
रूह पर रख कर हाथ ये बोलो
क्या ये तुझे रुला रही है,
फिर क्यों हर कदम पे
इनकी खुशियाँ लूट ली जाती है !
जब पैदा हो कर आई तो
बाप भाई पर भार,
बड़ी होकर जब कुछ करना चाहा तो
तुम सब ने ऊँगली उठाई बार- बार,
हाँ डरते थे तुम .... हाँ डरते थे तुम ....
कहीं राज न हमारा छिन जाये,
सदियों से पुरुष प्रधान
नारी न आगे बढने पाये,
आखिर क्यों इनकी सिसकियाँ
तुम तक नहीं पहुंची,
क्यों दामन लूटने वाले हाथ न कांपे,
क्यूँ बुढ़ापे में सहारे देने वाले बेटे,
वृद्धा आश्रम तक छोड़ आते,
ना चाहते थे हम कुछ,
बस चाहते थे हम भी उड़ना
इन फिजाओं में तुम्हारी तरह,
ना चाहते थे कोई बंधन,
बस चाहते थे अपना एक अस्तिव  !

 
--जानवी अग्रवाल, कोलकाता.

आजादी आधी आबादी की

महाभारत का बैड ब्यॉय दु:शासन
ने भरी सभा में महारथियों के बीच सरेआम द्रौपदी की आबरू को नीलाम करने का दुस्साहस दिखाया था.आज की अत्याधुनिका अपनी साड़ी स्वयं उतारने को उतावली है.
   नारियों और दलितों के प्रति समाज की अतीत में जो ओछी मानसिकता रही, उसके लिए हमारा समाज आज प्रायश्चित कर रहा है.दलितों की पैरोकारी नेत्री बहन मायावती कर रही है तो नारी जगत की कमान अभिनेत्री विपाशा बसु ने थाम ली है.मलाइका अरोड़ा बीड़ी सुलगाने की सुपाच्य सलाह देकर शरीर में सिहरन और दिल में धड़कन पैदा कर रही है.
   औरत की छप्पड़फाड़ आजादी आज की चड्ढीफाड़ राजनीति से होड़ लेती नजर आ रही है. नारी विमर्श का शोर चारों ओर है.मन्नू भंडारी तो दूर रही, मृदुला गर्ग, क्षमा शर्मा से लेकर तस्लीमा नसरीन जैसी मादा हस्तियाँ नारी की दशा और दिशा के चिंतन में दुबली होती जा रही है. वोट बैंकर्स की पैनी नजर भी कुछ कम नहीं जमी हुई है.
    कभी प्रथम राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की आत्मा भी निरीह नारी उर्मिला की दुर्दशा से आहत होकर रो दी थी-
     अबला तेरी हाय! यही कहानी,
     आँचल में दूध और आँखों में पानी!
काश! गुप्त जी आज जिन्दा होते, बाइक पर सवार नफासत के साथ ड्राइव करती बालाओं की अजीब भाव-भंगिमाओं और चमत्कारिक प्रदर्शन को देख स्वयं सिगरेट सुलगाते रोमांटिक मूड में वे एक फ़िकरा जरूर फेंक देते-
   बाले, तेरी जींस में कसी जवानी,
   पॉकेट में मोबाइल और आखों में शैतानी!
पिद्दी सा यह लघुयंत्र मोबाइल औरतों के मुंह और कान के साथ कुछ अधिक छेडछाड करता है.नामुराद मौका-बेमौका जिद्दी बच्चा सा ठुनकता रहता है.द्वापर का कृष्ण कभी मुरली की टेर सुनाता था, कलियुग की नई नस्ल आज मैसेज भेजती है.धक्-धक् गर्ल माधुरी कभी चोली के आगे-पीछे दिल की बात बताती थी, लेकिन आज कोई उससे पूछे तो वह ईमानदारी से मोबाइल का राज बताएगी.
   नई शिक्षा नीति ने नारीजगत को नया तेवर प्रदान किया है.उसका मानसिक फलक विस्तारित हुआ.ठेल-ठाल कर मैट्रिक पास वर को भी वधू इंटर पास चाहिए.वधू नौकरीशुदा हो तो दहेज का सूचकांक औंधे मुंह गिरने को बेताब रहती है.दुधारू गाय की लताड़ भली

ये देखिए, क्या आपने देखी है बेबी ऐश की तस्वीर!



बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय के माँ बनने के बाद अब सभी उनकी बेबी की तस्वीर देखने के उत्सुक हैं| अभी तक बच्चन परिवार ने तो बेबी ऐश की कोई भी तस्वीर सार्वजनिक नहीं कि है मगर इंटरनेट पर कई फर्जी तस्वीरें हैं जिन्हें कहा जा रहा है कि यह ऐश और उनकी बच्ची की है|सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक व अन्य वेब साइटों पर इस तरह की फर्जी तस्वीरें छाई हुई हैं|

ऐश के ससुर अमिताभ बच्‍चन ने यह भी कहा है कि इंटरनेट पर ऐश्‍वर्या की उनकी बच्‍ची के साथ कई तस्‍वीरें जारी की गई हैं, लेकिन वे सभी फर्जी हैं।ऐश ने बुधवार को सेवन हिल्स अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था|

बच्चों को पूरा प्रेम दिया जाए, उनकी हर मांग जुबान से निकलने के पहले पूरी भी कर दी जाए तो भी वे अक्सर हमारे नियंत्रण से बाहर हो ही जाते हैं। ये समस्या आजकल हर दूसरे परिवार में है कि संतानों को सारे सुख-सुविधा देने के बाद भी एक समय ऐसा आता है जब माता-पिता और परिवार का महत्व बच्चों के लिए कम हो जाता है।

आखिर हमारी परवरिश में कहां कमी रह जाती है। वो कौन सी बात है जो हम बच्चों को सीखाना चूक जाते हैं। वो चीज है भक्ति। संतानों के जीवन में भक्ति का प्रवेश बालकाल में ही हो जाए तो बेहतर होता है।

साजन तुम्हारी याद

मुझको कभी जगाए ये सारी-सारी रात 
कभी निंदिया की आगोश में, हो तुमसे मुलाक़ात  
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद 
कभी चुभन तो कभी सपन है साजन तुम्हारी याद 
है सबब उदासी का कभी तो कभी हँसी लब पर 
कभी तुम्हारी आहट सुन लूँ पलकें मूंद कर 
चन्चल हँसमुख हूँ बहुत, हर महफ़िल की जान 
कभी मैं खुद को ढूँढ रही हूँ, खुद से हूँ अंजान 
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद 
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद  
आग कभी है, कभी सबा है  
कभी है सहरा, कभी दरिया है 
चाँद की ठंडक, है सूरज की जलन भी  
है ये हक़ीक़त, मृगतृष्णा में मन भी ,  
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद 
कभी आस तो कभी प्यास है साजन तुम्हारी याद



--श्रद्दा जैन,सिंगापुर

तवायफ: एक दर्द, एक कहानी.

हुश्न के जलवो की
देखो 
क्या अजब क्या बात है
घिसे देह आबरू अपनी
परोसे  जिस्म हर नयी रात है.
...
हवस की आग बुझाने  को 
लगा दी जिंदगी में जो आग है
हर सुबह बेवा बने वो 
हर रात उसकी सुहाग है.
...
जिस्म के चीथड़े लपेटे ,
रूह आज उसकी बदनाम है,
जिंदा गोस्त खाने जो दौड़े,
वो इस सितम पर क्यूँ हैरान हैं?
...
रोटी के टुकड़ों  के खातिर,
टुकड़े कपड़ों के हो गये,
जिस्म्फरोशों से हमे क्या,
मुसाफिर ये कह कर सो गये.


---सुब्रत गौतम "मुसाफिर"

अनार में छिपे हैं भरपूर जवानी के राज


अनार में छिपे हैं जवानी के राजक अनार सौ बीमार वाली कहावत तो आपने सुनी होगी. दरअसल सदियों से माना जा रहा है कि यह फल सैकड़ों बीमारियों में फायदा पहुंचाता है. अनार हृदय रोगों, तनाव और यौन-जीवन के लिए बेहतर माना जाता है.


 उम्र बढ़ने के बावजूद यदि आप जवान दिखना चाहते हैं, तो आपको फौरन अनार कासेवनशुरूकरदेनाचाहिए.कुदरतकायह हसीन तोहफा युवावस्था की अचूक दवा है.



ताजा अध्ययन भी इस पारंपरिक सोच की तस्दीक करते हैं. एक नये अध्ययन के अनुसार अनार डीएनए के उम्रदराज होने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है.
स्पेन की प्रोबेल्टबायो लेबोरेटरी के अध्ययनकर्ताओं ने एक माह तक 60 स्वयंसेवकों को अनार का गूदा, छिलका और बीज कैप्सूल की शक्ल में प्रति दिन एक माह तक दिये गये.

चाचा से शादी रचाने वाली भतीजी की चिता जलाई

रूद्र ना० यादव/०९
नवंबर २०११
अय मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया, जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया.
मुरलीगंज के सिंगियान गाँव की कहानी पूरे जिले को शर्मशार करने वाली है.गाँव के ही अनुपम कुमारी और मुकेश यादव ने जहाँ रिश्तों को कलंकित किया वहीं अनुपम की हत्या कर उसके परिवार वालों ने भी दरिंदगी का परिचय दिया.अनुपम कुमारी की हत्या कर उसे उसी चिता पर जला दिया गया जिस पर अभी-अभी इस परिवार के मुखिया को जलाया गया था.
   कहानी शुरू होती है मुकेश यादव का अपनी भतीजी से साथ बने प्रेम-सम्बन्ध से.बताते हैं कि घर में ही यह पवित्र रिश्ता इस कदर दागदार हो गया कि चाचा और भतीजी के बीच शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित हो गए.अनुपम की शादी परिवार के लोगों ने अन्यत्र कर दी पर अनुपम चाचा मुकेश के बिना रह न सकी.ससुराल से भागकर गाँव आयी तो मुकेश उसे भगा ले गया.दोनों ही पति-पत्नी के रूप में हरियाणा जाकर रहने लगे.दो महीने हरियाणा में रहने के बाद दोनों ने हिम्मत जुटाई और समाज को धता बताकर इसी साल २६ अगस्त को नोटरी पब्लिक के सामने शपथ लेकर इस नाजायज शादी को कानूनी जामा पहनाने का प्रयास किया.इसके बाद तो हद तब हो गयी जब दोनों पति-पत्नी बनकर सिंगयान में ही रहना शुरू किये.समाज इनके रिश्ते पर आग बबूला होता रहा पर प्रेम में अंधे मुकेश और अनुपम को कोई फर्क नहीं पड़ा.

   मामले ने मोड़ उस समय लिया जब इसी परिवार का एक वृद्ध भूमि यादव मरा.परिवार भूमि यादव को जलाकर भोज की तैयारी में लग गया.गाँव वालों को जब इस भोज में निमंत्रण दिया

पांच चीजें ऐसी जिन्हें खाएंगे तो याददाश्त हो जाएगी बहुत तेज



क्या आप भूलने की आदत से परेशान हैं? तो घबराइए नहीं ये परेशानी आजकल आम हो चूकी है। अच्छा खान-पान न होना भी याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण है। लेकिन रोजमर्रा के जीवन में इन पांच चीजों का नियमित सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ये पांच चीजें आपके स्नायुतंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही आपकी याददाश्त भी बढ़ाएंगी।

  सेब- जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु कमजोर हों, वे अगर रोज सेब का सेवन करें तो स्मरण शक्ति बढ़ती है।  इसके लिए रोज दो सेब बिना छिले खाना चाहिए।

 आंवला- स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रोज सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं।

 - प्रतिदिन अखरोट का सेवन करें। शहद को हर रोज किसी न किसी रूप में लेने से याददाश्त अच्छी रहती है।

वो दाम्पत्य सबसे ज्यादा खुशहाल है जिसमें ये पांच बातें हों...



गृहस्थी कौन सी सबसे ज्यादा सुखी मानी जाती है। इस बात को लेकर लंबी बहस हो सकती है लेकिन सच तो यही है कि गृहस्थी वो ही सबसे ज्यादा सुखी है जहां प्रेम, त्याग, समर्पण, संतुष्टि और संस्कार ये पांच तत्व मौजूद हों। इनके बिना दाम्पत्य या गृहस्थी का अस्तित्व ही संभव नहीं है।

अगर इन पांच तत्वों में से कोई एक भी अगर नहीं हो तो रिश्ता फिर रिश्ता नहीं रह जाता, महज एक समझौता बन जाता है। गृहस्थी कोई समझौता नहीं हो सकती। इसमें मानवीय भावों की उपस्थिति अनिवार्य है।

आइए, भागवत में चलते हैं, देखिए महान राजा हरिश्चंद्र के चरित्र और उनकी पत्नी तारामति के साथ उनके दाम्पत्य को। हरिश्चंद्र अपने सत्य भाषण के कारण प्रसिद्ध थे।

अपने प्रेम को कैसे बनाया जा सकता हैं अजर-अमर

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ऐसे करेगी अपील तो लोग बेकाबू हो ही जाएंगे

ये दोनों चीन के लोगों से शाकाहारी बनने की अपील कर रहे थे। लोगों को उनके अपील से ज्‍यादा उनको देखने में रूचि थी। लोगों का ध्यान खींचने के लिए इनका यह नायाब तरीका उन्‍हें महंगा पड़ गया। चीन की सड़कों पर पिछले दिनों  युवक-युवती ने हलचल मचा दी। दरअसल ये दोनों लड़के लड़कियां बॉडी पेंट कर सड़क पर लोगों से शाकाहारी बनने की अपील करने उतरे थे।



  पेटा के ऐक्टिविस्ट ये काफी कम कपड़ों में थे। जहां लड़की ने अपने शरीर को हरे रंग से पेंट किया था वहीं लड़का ब्‍लू रंग से खुद को पेंट किया था।

कविता- ठंढा का फंडा

था कभी बोतल में,कीट का अंदेशा;
मिल गया अब कीट नाशक का संदेशा .
गला फाड़ क्यों चीख रहा है अखबार?
इतनी नासमझ तो  नही है अपनी सरकार!
            क्या बोतल का माल यूँही सड़ने दे?
            स्वास्थ्य की चिंता कंपनी को न करने दें?
            'ठंडा का फंडा'भोली जनता क्या जाने,
            नही जानती वह बेचारी पेस्टीसाईड के माने.
उसकी 'अमृत पेयजल योजना' भी हुई बेकार,
नेताओं को है बस उसके वोट की दरकार.
पाइराईट और आर्सेनिक युक्त जहरीला जल,
पी लेती बेचारी जनता,मानकर उसे गंगाजल.
         चर्मरोग और आंत्रशोथ ने मचाया हाहाकार,
        लेकिन काटती चक्कर बोतल की  हमारी सरकार.

                                        --पी० बिहारी 'बेधड़क'
                              अधिवक्ता,सिविल कोर्ट मधेपुरा

माँ

जिसने जो चीज गढा
होता है
उसमे उसका प्यार छिपा होता है
चाहे कवि की कविता हो
या हो वह चित्रकार का चित्र
मृदुल हाथों के फेरे व् बनते घड़े
कुम्भकार के अहसासों के चेहरे हैं
कोई पूछे उस माँ से जो
अपनी सृष्टि हेतु सर्वस्व लुटाती है
खुद तो खाती है वह पगली पत्थर
क्यूं आँचल से लाल छिपाती है.
संदेहों में सर्वस्व खड़ी आज
रिश्तों की लंबी फेहरिश्तें हैं.
ऐसे काले-कलयुग में भी
माँ की रसभरी ममता का साया
तपती धूप में शीतल छाया है.
लेते जन्म पुत्र-कुपुत्र अभी भी
कुमाता माता भला किसने पाया है
खुद के स्वार्थ को हम भूलें
सुध लें उसकी,
जिसने हमें दी काया है,
जिसने हमें दी काया है.

-नीरज कुमार(पूर्व ईटीवी संवाददाता,मधेपुरा.)