मरने के बाद फिर जीवित हुए थे कर्ण, दुर्योधन व भीष्म

ये बात तो सभी जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में पांडवों ने भीष्म, द्रोणाचार्य, दुर्योधन, कर्ण आदि योद्धाओं का वध कर दिया था, लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि महाभारत युद्ध में मारे गए सभी वीर एक रात के लिए पुनर्जीवित हुए थे। ये बात पढ़ने में थोड़ी अजीब जरूर लग सकती है, लेकिन इस घटना का पूरा वर्णन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत ग्रंथ के आश्रमवासिक पर्व में मिलता है।
ये घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि जब धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती वानप्रस्थ आश्रम में रह रहे थे, उस समय युधिष्ठिर अपने परिवार के साथ उनसे मिलने गए। तभी वहां महर्षि वेदव्यास भी आए। उन्होंने ही अपने तप के बल से एक रात के लिए युद्ध में मारे गए योद्धाओं को फिर से जीवित किया था। इस पूरी घटना का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है-

15 साल तक युधिष्ठिर के साथ रहे धृतराष्ट्र
महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने व धर्मपूर्वक शासन करने लगे। युधिष्ठिर प्रतिदिन धृतराष्ट्र व गांधारी का आशीर्वाद लेने के बाद ही अन्य काम करते थे। इस प्रकार अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी आदि भी सदैव धृतराष्ट्र व गांधारी की सेवा में लगे रहते थे, लेकिन भीम के मन में धृतराष्ट्र के प्रति हमेशा द्वेष भाव ही रहता। भीम धृतराष्ट्र के सामने कभी ऐसी बातें भी कह देते जो कहने योग्य नहीं होती थी।
इस प्रकार धृतराष्ट्र, गांधारी को पांडवों के साथ रहते-रहते 15 साल गुजर गए। एक दिन भीम ने धृतराष्ट्र व गांधारी के सामने कुछ ऐसी बातें कह दी, जिसे सुनकर उनके मन में बहुत शोक हुआ। तब धृतराष्ट्र ने सोचा कि पांडवों के आश्रय में रहते अब बहुत समय हो चुका है। इसलिए अब वानप्रस्थ आश्रम (वन में रहना) ही उचित है। गांधारी ने भी धृतराष्ट्र के साथ वन जाने में सहमति दे दी। धृतराष्ट्र व गांधारी के साथ विदुर व संजय ने वन जाने का निर्णय लिया।