निजी स्कूलों में अभिवंचित वर्ग के लिए 25 फीसदी सीटें

शिक्षा से जोड़ने की पहल
-इनमें भी 50 फीसदी बालिकाओं का होगा नामांकन
-सामान्य वर्ग के कम आय वाले परिवार के बच्चों का भी होगा दाखिला
-नामांकन में प्रावधान की अवहेलना करनेवाले स्कूलों के खिलाफ होगी कार्रवाई
अजित कुमार, मुजफ्फरपुर : सूबे की सरकार ने गरीब व अभिवंचितों को शिक्षा से जोड़ने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नए प्रावधान के तहत निजी स्कूलों में अब 25 फीसदी गरीब व अभिवंचित परिवार के बच्चों का नामांकन सुनिश्चित कर दिया गया है। इनमें भी 50 फीसदी सीट बालिकाओं के लिए रिजर्व होगी। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव ने स्कूलों को दिशानिर्देश जारी कर कहा है कि ऐसी बालिकाओं के नामांकन में कोई शुल्क नहीं लिया जाए।
जानकारी के अनुसार सीबीएसई व आईसीएसई से मान्यता प्राप्त व गैरमान्यता प्राप्त स्कूल इसके दायरे में हैं। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने डीईओ को इसका अनुपालन कराने की जिम्मेवारी सौंपी है। उधर, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने डीईओ से गरीब बच्चों के नामांकन की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही नामांकन का विरोध करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। प्रावधान के अनुसार दो लाख रुपये वार्षिक से कम आय वाले सामान्य वर्ग के परिवारों के बच्चे भी इस दायरे में आएंगे।
विभाग ने बच्चों के नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 2डी व 2ई में प्रदत्त शक्तियों के आलोक में अलाभकारी एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को इस अधिनियम के संदर्भ में परिभाषित किया है। अलाभकारी समूह का अभिप्राय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक परिवारों के बच्चे तथा कमजोर वर्ग का अभिप्राय सामान्य समूह के बच्चे (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक को छोड़कर) जिनके माता पिता की वार्षिक आय 2 लाख रुपये से कम है।