स्वास्थ्य से ज्यादा खूबसूरती पर खर्च करती हैं महिलायें

राकेश  सिंह/२ फरवरी २०११ 
ये बात खतरनाक साबित हो सकती है और कुछ मामलों में हो भी रही है.पहले ये माना जाता था कि व्यक्ति अगर स्वस्थ है तो उसकी खूबसूरती में निखार स्वत: आ जाता है.यानि स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा रही थी.पर ताजा सर्वेक्षण कहते हैं कि अब महिलाएं खूबसूरती के लिए अपने स्वास्थ्य को दाव पर लगाने को तैयार हैं.
  ब्रिटेन के स्वास्थ्य समूह बेनेंन्डन हेल्थकेयर सोसाइटी ने जो १८ से ६५ आयुवर्ग की ३००० महिलाओं पर ताजा सर्वेक्षण कराया उसके परिणाम निश्चित रूप से चौंकाने वाले रहे. प्राप्त आकड़ों के आधार पर देखा गया कि करीब 19 प्रतिशत ने चुस्त फैशन के दौर के हिसाब से चलने के लिए डायटिंग और 20 में से एक ने जुलाब का सहारा लेने की बात स्वीकारी. सर्वेक्षण के मुताबिक महिलाएं मेक-अप, सौंदर्य उत्पादों आदि पर एक साल में करीब 336 पौंड खर्च करती हैं, वहीं विटामिन और जिम की सदस्यता के लिए महज 228 पौंड खर्च करतीं हैं.
  भारत की स्थिति भी कमोबेश यही है.गली-गली में खुल गए ब्यूटी-पार्लर में महिलाओं की भारी भीड़ कहते हैं कुछ खास.शादी के अवसर पर तो दूर,छोटे पार्टियों में भी जाने से पहले महिलाएं ब्यूटी-पार्लर में जाकर सजने में नही चूकती हैं.मधेपुरा जैसे छोटे शहर में भी महिलाओं में फैशन का चस्का कूट-कूटकर भर गया है.पूरे मधेपुरा जिले के आकंडों पर यदि गौर करें तो यहाँ ५० से अधिक ब्यूटी पार्लर हैं जिनमें आई-ब्रो, ब्लीच, मैनीक्योर-पेडीक्योर से लेकर फेशियल तक किया जाता है.बड़े शहरों की तरह यहाँ भी यदि महिलाएं फेशियल के लिए पार्लर जाती हैं तो शहनाज से कराने पर १०००,गोल्ड से ८००,लोटस या फ्रूट से फेशियल करने पर ३०० रूपये तक लुटा आती हैं.दूसरी तरफ ये स्लिम तथा खूबसूरत दिखने के लिए अपना स्वास्थ्य दाव पर लगा देती हैं.जो भी हो,स्वास्थ्य की अनदेखी कर ख़ूबसूरती पर ध्यान देना महिलाओं के लिए खतरनाक तो है ही साथ-साथ यह एक बीमार समाज को भी तैयार कर रहा है.