शर्मनाक ! इंटरनेट पर अपमानित किया जा रहा है सोनिया-मनमोहन को.

राकेश सिंह/२६ जून २०११
लोगों का गुस्सा सोनिया और मनमोहन पर लगातार उबाल खा रहा है.पहले महंगाई की मार आम लोग झेल ही रहे थे कि केन्द्र की कॉंग्रेस सरकार ने विदेशों में काला धन को वापस लाने के मुद्दे पर बाबा रामदेव के अनशन को पुलिस की लाठी के जोर खत्म करा दिया.लोकपाल पर अन्ना को धोखा तो दिया ही,अब धमकी दे रहे हैं कि यदि अन्ना ने फिर से अनशन किया तो उनका भी वही हाल होगा जो रामदेव का हुआ.इस बीच केन्द्र के कई घोटाले भी सामने आये.हद तो तब हो गयी जब गैस व डीजल के दामों में भी भारी बढोतरी कर दी गयी और मार पड़ी लोगों के घर के चूल्हे पर.डीजल के दामों में वृद्धि का असर पूरी महंगाई पर दिखने लगा है.
         विभिन्न पार्टियों और आम लोगों के द्वारा देश भर में तो सरकार के विरोध में जम कर प्रदर्शन हो ही रहे हैं, पर अपने अंदाज से प्रदर्शन में भारत के इंटरनेट यूजर्स भी पीछे नही है.भारत की सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर तो यूजर्स ने मर्यादा की सीमाओं का भी उल्लंघन करना शुरू कर दिया है.यहाँ सोनिया और मनमोहन को अत्यंत ही भौंडेपन से दिखाना शुरू हो गया है जिससे ऐसा लगता है कि लोगों के मन में इनके प्रति नफरत और घृणा हद से ज्यादा बढ़ गयी है.फेसबुक पर जारी एक ताजा तस्वीर में सोनिया को अजीब कपड़े में दिखाते हुए बाबा रामदेव और अन्ना को उनके पीछे दिखाया जा रहा है.वहीं जारी एक अन्य तस्वीर में सोनिया और मनमोहन को नाचते हुए दिखाया गया है और तस्वीर पर लिखा गया है, मुन्ना बदनाम
हुआ मुन्नी तेरे लिए.वहीं एक अन्य तस्वीर में दोनों नेताओं को आधुनिक कपड़ों में एक दूसरे के करीब दिखाया गया है.इसके अलावे बहुत सी ऐसी ही तस्वीरों को नेटयूजर्स जारी कर रहे हैं और अन्य यूजर्स इन तस्वीरों पर खुल कर टिप्पणीयाँ भी कर रहे हैं.
        अगर देखा जाय तो किसी व्यक्तिविशेष को भौंडे अंदाज में प्रदर्शित करना आपत्तिजनक है,पर इंटरनेट पर उपयोगकर्ता की स्वछंदता को दायरे में लाना भी काफी कठिन होता है.वो भी तब जब इस तरह का प्रदर्शन लाखों यूजर्स के द्वारा किये जा रहे हों.यहाँ एक बात और है कि इन्हें रोकने के प्रयास से विवाद और भी बढ़ने की गुंजायश बनती है.
      जो भी हो, लोग केन्द्र सरकार के प्रति अपने गुस्से का प्रदर्शन अलग-अलग ढंग से तो कर ही रहे हैं, और ये भी बात तय लगती है कि सरकार में महंगाई, भ्रष्टाचार और दमनात्मक कार्यवाही पर अगर शीघ्र रोक नही लगाए जाते हैं, तो अगले चुनाव में केन्द्र की कॉंग्रेस सरकार को मुंह की खानी पड़ सकती है