शनि देव के ये है 3 सिद्ध धाम, साढ़ेसाती और शनि दोष का यहां होता है निदान


उज्जैन। 2 नवंबर से शनिदेव अपनी राशि बदल रहे हैं। शनि तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस दौरान जिन लोगों को साढ़ेसाती या ढैय्या चल रहा है। उन्हें शनिदेव को मनाने के लिए उनकी आराधना करना चाहिए। साथ ही, शनि से जुड़ा दान करना चाहिए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे शनि मंदिरों के बारे में जिन्हें शनिदेव के सिद्ध पीठ माने जाते हैं। साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष से पीडि़त लोगों को शनि देव के इन धामों के दर्शन करने चाहिए। कहा जाता है कि इन मंदिरों में आराधना करने से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं। 

शनि देव धाम कोसीकलां-

शनि देव का एक सिद्ध धाम उत्तर प्रदेश में ब्रजमंडल के कोसीकलां गांव के पास है। यह सिद्ध पीठ कोसी से 6 किलोमीटर दूर है और नंद गांव से सटा हुआ है। यह शनि मंदिर भी दुनिया के प्राचीन शनि मंदिरों में से एक है। यहां मांगी मुराद बड़ी जल्दी पूरी होती है।

मंदिर से जुड़ी कहानी- मंदिर भगवान कृष्ण के समय से स्थापित है। जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, उनके दर्शन करने के लिए सभी देवतागण गए थे, जिनमें शनिदेव भी थे, लेकिन माता यशोदा और नंदबाबा ने शनिदेव महाराज जी की वक्र दृष्टि होने की वजह से कृष्ण भगवान के दर्शन नहीं करवाए। इस बात से शनि महाराज को बड़ा दुख हुआ उन्होंने सोचा वक्र दृष्टि भी भगवान श्रीकृष्ण की ही दी हुई है इसमें मेरा क्या दोष। इस पर कृष्ण भगवान ने अपने भक्त के दुख को समझते हुए। शनि महाराज को स्वप्न में यह प्रेरणा दी कि नंदगांव से उत्तर दिशा में एक वन है वहां जाकर मेरी भक्ति करो तो मैं स्वयं आकर आपको दर्शन दूंगा।

शनि महाराज ने ऐसा ही किया। मान्यता है कि शनि देव की आराधना से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने कोयल के रूप में शनि महाराज को उपरोक्त वन में दर्शन दिए और कोयल से रूपांतर होकर के उपरोक्त वन का नाम कोकिलावन पड़ा। माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने शनि महाराज से कहा कि आज से आप यही पर विराजेंगे और यहीं विराजने पर आपकी वक्र दृष्टि नम रहेगी। मैं भी आप की बाईं दिशा में राधा जी के साथ यहीं पर विराजमान रहूंगा। जो भक्तगण अपनी किसी भी प्रकार की परेशानी लेकर के आप के पास आएंगे उसकी पूर्ति आपको करनी होगी और कलयुग में मेरे से भी ज्यादा आप की पूजा अर्चना की जाएगी।  कहते हैं कि यहां राजा दशरथ द्वारा लिखा शनि स्तोत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करनी चाहिए। इससे शनि की कृपा प्राप्त होती है।

कैसे पहुंचे कोसीकलां जाने के लिए मथुरा सबसे आसान रास्ता है। मथुरा-दिल्ली नेशनल हाइवे पर मथुरा से 21 किलोमीटर दूर कोसीकलां गांव पड़ता है। कोसीकलां से एक सड़क नंदगांव तक जाती है। बस यहीं से कोकिला वन शुरू हो जाता है।

आसपास के दर्शनीय स्थल- यूं तो पूरा ब्रजमंडल ही देखने लायक है। 84 कोस की परिक्रमा में आप पूरा ब्रजमंडल घूम सकते हैं। कृष्ण की लीलाओं के कारण पूरा ब्रजमंडल ही कृष्णमय लगता है। जमाष्टमी पर तो यहां की रौनक देखते ही बनती है।
 
शनि शिंगणापुर-शनि देव के सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी धाम के रूप में महाराष्ट्र का शिंगणापुर जाना जाता है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाले लोग अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं। साथ ही, आज तक के इतिहास में यहां किसी ने चोरी नहीं की है।

ऐसी मान्यता है कि बाहरी या स्थानीय लोगों ने यदि यहां किसी के भी घर से चोरी करने का प्रयास किया, तो वह गांव की सीमा से पार नहीं जा पाता है। उससे पूर्व ही शनि देव का प्रकोप उस पर हावी हो जाता है। चोर को अपनी चोरी कबूल भी करना पड़ती है और शनि देव से माफी मांगनी होती है। 

कैसे पहुंचे- भारत के किसी भी कोने से यहां आने के लिए रेलवे सेवा का उपयोग भी किया जा सकता है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु मुंबई, औरंगाबाद या पुणे ���कर शिंगणापुर के लिए बस या टैक्सी सेवा ले सकते हैं।
 
शनिश्चरा मंदिर ग्वालियर
मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पास स्थित है शनिश्चरा मंदिर। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह हनुमानजी के द्वारा लंका से फेंका हुआ अलौकिक शनि देव का पिंड है। इसलिए यहां शनिदेव का निवास है।

भक्तजन यहां तेल चढ़ाते हैं और अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि सभी यहीं छोड़कर घर चले जाते हैं। ज्योतिषीय मान्यता है कि ऐसा करके रुष्ट शनिदेव को मनाया जा सकता है। कहते हैं शनिश्चरा मंदिर में शनि शक्तियों का वास है, यहां की प्राकृतिक सुंदरता मन को बहुत लुभाती है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती है।

कैसे पहुंचें - मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में शनिश्चरा मंदिर है। ग्वालियर से बसों व टैक्सियों से भी शनिश्चरा पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा सीधी हवाई सेवा से देश के किसी भी कोने से ग्वालियर पहुंचा जा सकता है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया हवाई अड्डे से शनिश्चरा मंदिर सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है। यह ग्वालियर-भिंड रेलवे लाइन पर पड़ता है। ग्वालियर दिल्ली-मुंबई रेलखंड का प्रसिद्ध स्टेशन है। शनि अमावस्या पर यहां काफी भीड़ होती है, उस दिन कई स्पेशल ट्रेन और बसें मंदिर तक के लिए चलाई जाती हैं।

दबा है अरबों का खज़ाना, तैरती हुई झील, जानें भारत की 7 झीलों के बारे में

 


लाइफस्टाइल डेस्क: भारत प्राकृतिक रहस्यों से भरा शहर है। यहां मौजूद हर नदी, झील और पहाड़ों आदि में रहस्य छिपा हुआ है। इतना ही नहीं भारत में कुछ ऐसी खूबसूरत झीलें भी मौजूद हैं, जिनका कोई मुकाबला नहीं। यहां कई झील अपने रहस्यों की वजह से जानी जाती है। आज हम आपको भारत की ऐसी 7 झीलों के बारे में बता रहे हैं, जो अपने अजीबो-गरीब रहस्य और खूबसूरती लिए फेमस है। 
 
1. कमरुनाग झील
कहां है- हिमाचल प्रदेश
क्या खास- दबा है अरबों का खजाना
 
इस झील में लोग अपनी मन्नत पूरी करने के लिए अपने शरीर का एक गहना या फिर रुपए यहां बहाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस झील में गहने या पैसे डालने से मन्नत पूरी होती है। पूरे साल में सिर्फ 14 और 15 जून को कमरुनाग देवता यहां लोगों को दर्शन देते हैं। इन दो दिन यहां हजारों की भीड़ में श्रद्धालु जमा होते हैं। कमरुनाग को वर्षा का देव माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान कमरुनाग को सोने-चांदी व पैसे चढ़ाने की प्राचीन मान्यता है। इस झील में डाले गए पैसे और गहने कभी बाहर नहीं निकाले जाते, इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि यहां अरबों का खजाना है। 
 
2. चिलका झील
कहां हैृ- ओडिशा
क्या खास- यह भारत की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। 
 
करीब एक हज़ार वर्ग किमी क्षेत्र में फैली चिल्का झील में मछलियों की क़रीब 225 प्रजातियां मौजूद है। सर्दियों में यहां बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं। झील में अनेक छोटे-छोटे द्वीप हैं जो बेहद ख़ूबसूरत हैं। यह झील 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। ब्रह्मपुर (पंजाब में स्थित ब्रह्मपुर चंबा राज्य की प्राचीन राजधानी थी।) से 80 किलोमीटर दूर देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय झील है जो 1100 वर्ग किमी में फैली हुई है।  
 
3.  केईबुल लामजाओ, लोकटक लेक, 
कहां हैं- मणिपुर
क्या खास- दुनिया का एकलौती तैरती झील
 
मणिपुर के विष्णुपुर जिले में बनी हुई केईबुल लामजाओ दुनिया की इकलौती तैरती झील या पार्क है, क्योंकि यहां छोटे-छोटे भूखंड या द्वीप पानी में तैरते हैं। यह तैरता हुआ पार्क खत्म होती जा रही प्रजाति वाले संगई हिरणों का घर है। लोकटक लेक पर बने हए इस पार्क में फुमडिस के पौधों की भरमार है। यह पूरा पार्क 40 स्क्वेयर किलोमीटर तक फैला हुआ है। 
 
4. मानसरोवर झील
कहां है- तिब्बत (भारत-चीन)
क्या खास- हिन्दुओं की चार धाम में शामिल और सबसे साफ पानी वाली झील
 
इसके दर्शन के लिए हज़ारों लोग हर साल कैलाश मानसरोवर यात्रा करते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार यह झील भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुई थी। यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ भी गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है। वहीं, मानसरोवर टेथिस सागर का अवशेष है। जो कभी एक महासागर हुआ करता था, वह आज 14900 फुट ऊंचे स्थान पर स्थित है। यहां कई मठ भी मौजूद हैं। इसे हिंदु के अलावा बौद्ध धर्म में भी पवित्र माना जाता है।
 
5. रुपकुंड झील
कहां है- उत्तराखंड
क्या खास- यह नरकंकालों की झील है।
 
यह झील हिमालय के ग्लेशियरों के गर्मियों में पिघलने से उत्तराखंड के पहाड़ों मैं बनने वाली छोटी सी झील है। यह 5029 मीटर (16499 फीट) की ऊचांई पर स्तिथ है जिसके चारो और ऊंचे बर्फ के ग्लेशियर है। यह झील यहां पर मिलने वाले नरकंकालों के कारण काफी चर्चित है। अभी तक यहां पर सैकड़ों नरकंकाल मिल चुके हैं। यहां पर नरकंकालों मिलने की तीन वजहें मानी जाती हैं। पहली, यहां भटके सैनिक, दूसरा 1942 में आई ओलों की भयंकर बारिश (इस बारिश में कई लोगों की मौत हुई थी) और यहां एक कहावत मशहूर है कि सदियों पहले यहां राजा ने देवी को नाराज़ किया था। जिस वजह से देवी ने गुस्से में आकर राजा की पूरी प्रजा को खतम कर दिया था। 
 
6. कावर झील 
कहां है- बिहार
क्या खास- एशिया की सबसे बड़ी शुद्ध पानी वाली झील थी।
 
एशिया का सबसे बड़ी शुद्ध जल की झील है और यह बर्ड संचुरी भी है। इस बर्ड संचुरी मे 59 तरह के विदेशी पक्षी और 107 तरह के देसी पक्षी ठंडे के मौसम मे देखे जा सकते हैं। यह बिहार राज्य के बेगूसराय में है। पुरातत्वीय महत्व का बौद्धकालीन हरसाइन स्तूप इसी क्षेत्र में स्थित है। इस झील को जयमंगला माता के नाम से भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां कई साल पहले एक से बढ़कर एक खतरनाक जहरीले सांप रहते थे, लेकिन इन माता की वजह से यहां किसी की भी जान नहीं गई। लेकिन अब यह झील धीरे-धीरे खतम हो रही है।
 
7. वुलर झील
कहां है- जम्मू और कश्मीर
क्या खास- यह भी भारत की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील थी।
 
वुलर एशिया की मीठे पानी की सबसे बडी झील थी और अब यहां सिर्फ हरित क्षेत्र रह गई है। प्राचीनकाल में 'महापद्म देवता' इस झील के अधिदेवता थे और उनके नाम पर इस झील को 'महापद्मसर' कहा जाता था। यह एक कृत्रिम द्वीप है जो सन् 1444 में कश्मीर के सुलतान ज़ैन-उल-अबदीन​ ने बनवाया था। वह अपनी धार्मिक सहनशीलता के लिए जाने जाते थे और उन्हें हिन्दू व मुस्लिम कश्मीरी लोग इज़्ज़त से 'बुड शाह' (यानि बड़े शाह या महान शाह) के नाम से याद करते हैं। धीरे-धीरे वुलर एक तरफ़ से सूखकर सिकुड़ गई और द्वीप अब उसके एक कोने में है।

नए जोड़ों में झगड़े की 5 वजहें और उनका समाधान

नई-नई शादी के शुरुआती दौर में पति-पत्नी को एक-दूसरे की आदतें पता चलती हैं। कई बार यही आदतें झगड़े की वजह भी बनती हैं। नए जोड़ों में बहस के कुछ मुख्य कारण और समाधान यहां दिए जा रहे हैं:
 
1) सिंगल रहने की आदत
शादी के तुरंत बाद खुद को बदलना मुश्किल होता है। दोस्तों के साथ वक्त बिताना, उनके साथ कॉफी का प्लान बनाना या फिर फिल्म देखने निकल जाना। ये आदतें अगर शादी के बाद भी जारी हैं, तो इससे झगड़ा बढ़ना तय है। 

सुझाव: एक-दूसरेके दोस्तों से घुले-मिलें। जब भी कोई प्लान बनाएं तो दोनों के दोस्तों के साथ। इससे आपके पार्टनर को कंफर्टेबल भी लगेगा।
 
2) डिफरेंट लाइफस्टाइल
 
शादी से पहले आप घर के कई कामों से दूर रहते थे, लेकिन शादी के बाद घर का राशन खरीदने जाना, बाई से काम करवाना, कपड़े धोना आदि काम खुद करने पड़ते हैं। शादी के बाद भी आपको लगता है कि वो काम आपके पार्टनर का है, जिससे लड़ाई की एक वजह यह भी बन जाती है। 
 
सुझाव: एक-दूसरे पर काम थोपने की जगह, बांट लें। दोनों को अपने काम पता होंगे तब दोनों में काम को लेकर बहस नहीं होगी। 
 
 
3) पैसा खर्च करने की आदत
शादी से पहले पैसा खर्च अलग सोच और तरीके से होता है। अगर एक पार्टनर ज्यादा खर्चीला हो तो भी लड़ाई, अगर कंजूस हो तो भी झगड़े। शॉपिंग, क्लबिंग, पार्टी, ट्रैवल, बाहर खाना.. यह सभी ऐसी बातें होती हैं जिन पर शादी से पहले खर्चा करते वक्त नहीं सोचा जाता, लेकिन शादी के बाद इन्हीं बातों की वजह से बजट पर असर पड़ता है। 
 
सुझाव: हर महीना शुरू होने से पहले बजट तैयार कर लें। फिजूल खर्चे पर रोक लगाएं। बजट बनाने से आर्थिक समस्या नहीं होगी। 
 
 
 
4) बच्चे की जिम्मेदारी
शादी के बाद कई पार्टनर्स चाहते हैं कि वह फैमिली जल्दी शुरू कर लें, लेकिन दूसरा पार्टनर इस बात के लिए राजी नहीं होता। वजह कई बार परिवार का दबाव होता है, तो कभी उम्र। न्यू कपल्स में यह बहस का विषय बन जाता है। 
 
सुझाव: बच्चे को जन्म देना और पालना आसान काम नहीं है। जब तक दोनों में से एक भी पार्टनर इस बात के लिए राजी नहीं होता, तब तक बच्चे का टॉपिक न छेड़ें। एक-दूसरे को पूरा वक्त दें। 
 
5) परस्पर संवाद की कमी
 
शुरुआती दौर में कपल्स एक-दूसरे की आदतें नापसंद होने के बावजूद इसके बारे में बात नहीं करते हैं, यह सोचकर कि फालतू बहस होगी। लेकिन यही सोच आगे चलकर बड़ी मुश्किल खड़ी कर देती है। जितना एक-दूसरे से कम बात कम करेंगे तो आगे और बड़ा झगड़ा होने की आशंका बढ़ेगी। 
सुझाव: एक-दूसरे की गलत आदतों को ढंकने की बजाय उसे शेयर करें। अपनी तरफ से यह सोच कर बैठ जाना कि यह अपने आप ठीक हो जाएगा, गलत है। इसलिए बात करें और हल निकालें।

अब गैस सिलेंडर के लिए देने होंगे 841 रुपए, आधार के बिना भी मिलेगा लाभ


भोपाल. राजधानी में रसोई गैस की सब्सिडी बैंक खातों के जरिए पाने की पात्रता हासिल कर 
 
चुके ग्राहकों को नए साल से 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर के लिए एकमुश्त 841 रुपए
देने होंगे। फिलहाल सिलेंडर 457 रुपए का आता है। नया सिलेंडर 484 रुपए का पड़ेगा। सब्सिडी 
के 357 रुपए ग्राहक के बैंक खाते में सीधे पहुंच जाएंगे। राजधानी में घरेलू गैस के उपभोक्ताओं 
के लिए डायरेक्ट कैश बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम एक जनवरी से दोबारा शुरू हो रही है। नई 
व्यवस्था में सिलेंडर महंगा होने का कारण सब्सिडी पर राज्य सरकार द्वारा लिया जाने वाला 
टैक्स है। एक सिलेंडर की मूल कीमत पर राज्य सरकार 59.71 रुपए टैक्स लेती है। जबकि 457 
के सब्सिडाइज्ड रेट वाले सिलेंडर पर यह टैक्स 32.44 रुपए ही है। उपभोक्ता को अब एक
सब्सिडाइज्ड सिलेंडर पर 27 रुपए ज्यादा देने होंगे। उधर, स्कीम से नहीं जुड़ने वाले ग्राहकों को 
31 मार्च तक यह सिलेंडर 457 रुपए में मिलता रहेगा। अप्रैल से गैस एजेंसियां रियायती दर का 
सिलेंडर बेचना बंद कर देंगी। ऐसे में स्कीम से न जुड़ने वालों को भी 841 रुपए में ही सिलेंडर 
खरीदना पड़ेगा। राजधानी में अब तक 5.35 लाख एलपीजी ग्राहकों में से 1.87 लाख ग्राहक
रसोई गैस की सब्सिडी बैंक खातों के जरिए पाने की पात्रता हासिल कर चुके हैं। अन्य 80 हजार 
ग्राहक ऐसे हैं जो आधार कार्ड होने के बाद भी इस योजना से नहीं जुड़े हैं। मार्च अंत तक इन्हें 
भी इस योजना से जुड़ना ही होगा।
 
यदि आपके पास आधार है:
आप यह आधार कार्ड और बैंक खाते की डिटेल जैसे खाता नंबर और आईएफएससी कोड लेकर
एलपीजी वितरक के पास जाएं। वहां आपको दो एक जैसे फार्म मिलेंगे। आप एक फॉर्म भरकर वितरक को दे दें। दूसरा आपको अपनी बैंक में देना होगा।
लेकिन अगर आधार कार्ड नहीं हैं
 
एलपीजी सिलेंडर की डिलिवरी की रसीद में छपी 17 अंकों की एलपीजी आईडी से भी सब्सिडी मिल सकती है। आप चाहें तो वितरक के पास मिलने वाले फॉर्म में बैंक की डिटेल भरकर उसे एलपीजी वितरक को दे दें। या रसीद की कॉपी लगाकर यही फॉर्म भरकर बैंक में दे दें। 
 
कैंसल्ड चेक देना जरूरी नहीं

एलपीजी आईडी से सब्सिडी पाना चाह रहे ग्राहक अगर बैंक न जाना चाहें तो वे एक कैंसल्ड चेक और दूसरी डिटेल वितरक को देकर सब्सिडी पा सकते हैं। ऑयल कंपनियों ने साफ कर दिया है कि कैंसल्ड चेक केवल बैंक अकाउंट और आईएफएससी कोड भरने के लिए है। अगर ग्राहक चाहे तो इसकी जगह वह बैंक पासबुक के पहले पन्ने की फोटोकॉपी भी दे सकता है। नए खुले खाते का नंबर दें तो बेहतर अगर आपके एक से अधिक बैंक खाते हों तो हो सकता है डायरेक्ट सब्सिडी के लिए आप जो बैंक खाते का नंबर दे रहे हैं उसके बजाय किसी दूसरे खाते में सब्सिडी आ जाए। यह स्थिति 
तब बनेगी जब आपका कोई नया बैंक खाता हो या आपने किसी पुराने खाते में नया पता और पहचान पत्र दाखिल किया हो। सब्सिडी उसी बैंक खाते में जाएगी, जिसकी केवाईसी नई हो।
 
फॉर्म नंबर की झंझट से मुक्ति, अब सिर्फ एक फार्म
15 नवंबर से दोबारा शुरू हुई रसोई गैस की सब्सिडी योजना में एलपीजी वितरक के पास चार तरह के फॉर्म रखे गए थे। आधार कार्ड या एलपीजी आईडी से जुड़ने वालों के लिए अलग-अलग फॉर्म थे। साथ ही वितरक के यहां और बैंक में भरे जाने वाले फॉर्म भी अलग-अलग थे। इसको 
लेकर ग्राहक भ्रम में थे। इसलिए ऑयल कंपनियों ने ये सारे फॉर्म एक से कर दिए हैं। केवल इनमें दी जाने वाली जानकारियों के कॉलम बढ़ा दिए हैं। आप केवल वही कॉलम भरें जो जरूरी हैं। 
 
आप लिंक हुए या नहीं ऐसे जानें

वितरक और बैंक के पास आधार कार्ड या एलपीजी आईडी लिंक कराने के बाद आप जैसे ही इस योजना से जुड़ेंगे, आपके रजिस्टर्ड मोबाइल फोन नंबर पर एसएमएस अलर्ट आएगा। अगर यह अलर्ट न आए तो आप टोल फ्री नंबर 1800-2333-555 पर संपर्क करें या www.mylpg.in पर लॉग इन कर जानकारी ले सकते हैं।
 
 
अगर आप नए साल में फोन, टीवी, फ्रिज या फिर गाड़ी खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो ये खबर कुछ निराश करने वाली है। दरअसल, जनवरी से कार, एसयूवी, दोपहिया वाहन, मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज, साबुन सब महंगे हो जाएंगे। सरकार ने इन सब पर उत्पाद शुल्क में छूट दिसंबर के बाद खत्म करने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह छूट अलग-अलग सेगमेंट पर 3 से 6 फीसदी तक थी। उद्योग की तरफ से इसे जारी रखने का दबाव था। लगातार दो साल तक गाड़ियों की बिक्री में गिरावट के बाद यूपीए सरकार ने फरवरी में अंतरिम बजट में कारों, एसयूवी, दोपहिया वाहनों पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया था। इसके अलावा टीवी-फ्रिज जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल, और भारी मशीनरी जैसे कैपिटल गुड्स पर भी शुल्क में छूट दी गई थी। तब यह राहत जून तक थी। एनडीए सरकार ने इसे 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया था। 
कारों की बिक्री में गिरावट
साल 2012-13 में कारों की बिक्री में 6.7 फीसदी गिरावट आई थी। 2013-14 में भी इसमें 4.65 फीसदी गिरावट थी। ऑटो कंपनियों की संस्था सियाम ने चालू वित्त वर्ष के 
लिए 10 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है। लेकिन कीमत बढ़ने पर इतनी ग्रोथ मुश्किल है। नवंबर में ऑटो इंडस्ट्री 12.39 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है। अप्रैल से नवंबर के दौरान कार बिक्री 3.82 फीसदी और एसयूवी की 5.24 फीसदी बढ़ी है। सितंबर- अक्टूबर में कार बिक्री में 
गिरावट आई थी। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने 
कहा कि इस कदम से बिक्री घटेगी। हम ज्यादा शुल्क का बोझ ग्राहकों पर डालने को मजबूर हैं।  
 
क्यों खत्म की छूट
सरकार पर राजकोषीय घाटा 4.1 फीसदी तक सीमित रखने का दबाव है। लेकिन उसकी कमाई
नहीं बढ़ रही है। एक्साइज ड्यूटी में छूट खत्म होने से सरकार को जनवरी से मार्च तक करीब 1,000 करोड़ रुपए की कमाई होगी। 
 
कितना असर होगा
छोटी कारों और दोपहिया पर एक्साइज ड्यूटी 4 फीसदी, मंझोली गाड़ियों पर 4 फीसदी, बड़ी 
कारों पर 3 फीसदी और एसयूवी पर 6 फीसदी बढ़ जाएगी। कंज्यूमर ड्यूरेबल 2 फीसदी महंगे 
होंगे। फरवरी में छोटी कारों और दोपहिया पर ड्यूटी 12 से घटाकर 8 फीसदी, मझोली कारों पर 
24 से घटाकर 20 फीसदी, बड़ी कारों पर 27 से घटाकर 24 फीसदी और एसयूवी पर 30 से घटाकर 24 फीसदी किया गया था। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर ड्यूटी 12 से घटाकर 10 फीसदी की गई थी।

देसी घी की मालिश से बाल नहीं होते जल्दी सफेद, जानें इसके 10 फायदे


डाइटिंग करते वक्त सबसे पहले हम घी खाना छोड़ देते हैं। हमें लगता है कि घी खाने से हम मोटे हो रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। देसी घी हमारे दिमाग और शरीर को चुस्त रखता है। कुछ बीमारियों में डॉक्टर घी नहीं खाने की सलाह देते हैं, लेकिन सभी के लिए नहीं। आज हम आपको देशी घी से होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं।
 
देशी घी के फायदे-
 
घी का नाम सुनते ही हमें मोटापे का डर सताने लगता है। घी में सिर्फ कैलोरी ही नहीं होती। हम यह सोचते हैं कि घी खाने से हमारे शरीर में चर्बी ज़्यादा बढ़ जाएगी, लेकिन घी में शॉर्ट चेन फैटी एसिड होते हैं, जिसके कारण यह पचने में आसान होता है। घी में विटामिन ए, डी और कैल्शियम, फॉरस्फोरस, मिनरल्स, पोटेशियम जैसे कई पोषक तत्व भी होते हैं। देसी घी का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। देसी घी से सिर की मालिश करने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं। देसी घी के सेवन से त्वचा में चमक आ जाती है।
 
घी दूसरी खाने की चीज़ों से अलग है। वो इसलिए कि घी का स्मोकिंग प्वाइंट दूसरी वसाओं की तुलना में बहुत अधिक है। यही वजह है कि पकाते समय आसानी से नहीं जलता। घी में स्थिर सैचुरेटेड बॉन्डस बहुत अधिक होते हैं, जिससे फ्री रेडिकल्स निकलने की आशंका कम होती है। घी की फैटी एसिड की चेन जल्दी पच जाती है। अब तक आप बहुत उलझन में पड़ गए होंगे कि क्या वाकई घी इतना फायदेमंद है। अब तक तो सभी यही समझा रहे थे कि देशी घी ही रोगों की सबसे बड़ी जड़ है।
 
1-रोज़ देशी घी खाने से वात और पित्त शांत रहता है।

2-घी खाने से पाचन क्रिया सही रहती है।

3-बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है, जो घी के सेवन से निकल जाता है। अगर नहीं निकाला तो मोटापा बढ़ जाता है।

4-दिल की नलियां में ब्लॉकेज हो तो घी ल्यूब्रिकेंट का काम करता है।

5-कब्ज को खत्म करने के लिए घी काफी मददगार होता हैं, क्योंकि चिकनाहट की कमी से आंतों में मल सूख जाने से मलावरोध हो जाता है।

6-गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है, तो घी उसे शांत करता है, शीलता की वृद्धि करता है।

7-दाल में थोड़ा-सा घी डालकर खाने से गैस की समस्या नहीं होती।
 
घी पर हुए शोध बताते हैं कि इससे रक्त और आंतों में मौजूद कोलेस्ट्रॉल कम होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि घी से बाइलरी लिपिड का स्राव बढ़ जाता है। घी नाड़ी प्रणाली एवं मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद
है। इससे आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। इसलिए ग्लूकोमा के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है। हो सकता है, इस जानकारी ने आपको आश्चर्य में डाल दिया हो। 
 
-देशी घी स्किन को सॉफ्ट और मॉइश्चराइज़ करता है।

-स्किन को नरिश करने के साथ-साथ यह ड्रायनेस को भी कम करता है और त्वचा की कांति बढ़ाता है। आप देशी घी से रोज़ चेहरे की मसाज कर सकते हैं।

-बालों को चमकदार और मुलायम बनाने के लिए सिर पर देशी घी से मालिश करें। इससे बाल काले, घने, मजबूत और मुलायम रहेंगे। 

-देशी घी जलने या किसी तरह के निशान को खत्म करने के लिए बेहद उपयोगी है। 
 
- देशी घी शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सही रखता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। इससे दिल सही से काम करता है।

-देशी घी में विटामिन के2 पाया जाता है, जो ब्लड सेल में जमा कैल्शियम को हटाने का काम करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है।
 
5-इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग करने के लिए

-देसी घी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने में मदद करता है, जिससे इन्फेक्शन से और बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।

-देसी घी में सूक्ष्म जीवाणु, एंटी-कैंसर और एंटी-वायरल एजेंट होते हैं जो कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
 
-देशी घी शरीर में जमा फैट को गला कर विटामिन में बदलने का काम करता है। इसमें चेन फैट एसिड कम मात्रा में होता है, जिससे आपका खाना जल्दी डाइजेस्ट होता है और मेटाबॉल्जिम सही रहता है।

- खाने में देशी घी मिलाकर खाने से खाना जल्दी डाइजेस्ट होता है। यह मेटाबॉल्जिम प्रोसेस को बढाता है।

-अल्सर, कब्ज और पाचन क्रिया में किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर देशी घी बेहद कारगर होता है।
 
- देशी घी में सीएलए (CLA) होता है जो मेटाबॉल्जिम को सही रखता है। इससे वज़न कंट्रोल में रहता है। 

-सीएलए इंसुलिन की मात्रा को कम रखता है, जिससे वज़न बढ़ने और शुगर जैसी दिक्कतें होने का खतरा कम रहता है।

-यह हाइड्रोजनीकरण से नहीं बनाया जाता है, इसलिए देशी घी खाने से शरीर में एक्स्ट्रा फैट बनने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
 
शिकागो यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के अनुसार, कम चिकनाई वाला भोजन और अधिक मात्रा में फल और सब्जियां लेने वाली महिलाएं ऊपर से भले ही स्वस्थ दिखती हों, लेकिन इससे उन्हें कैंसर और दिल से जुड़ी समस्याएं होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। एक अमेरिकी मेडिकल शोध पत्रिका में इस विषय पर किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है। यह अध्ययन 50 से 79 आयु वर्ग की करीब 49 हजार महिलाओं पर आठ साल तक किया गया। इसमें 20 हजार महिलाओं को वसा रहित भोजन करने के अलावा अपने भोजन में कम से कम पांच प्रकार के फल, सब्जियां और अनाज को शामिल करने की सलाह दी गयी। रिपोर्ट के अनुसार भोजन में दूध, मक्खन, घी न लेने पर महिलाओं के खाने में कोलोन कैंसर से बचाव करने वाले कैल्शियम और विटामिन डी तत्वों का अभाव पाया गया। डॉक्टरों के अनुसार, केवल वसा रहित भोजन अच्छे स्वस्थ्य की गारंटी नहीं है। महिलाओं को एक्सरसाइज के माध्यम से शरीर में जमा वसा को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
 
भैंस के दूध के मुकाबले गाय के घी में वसा की मात्रा कम होती है। घी घर पर तैयार करना अच्छा होता है। इसे इतना बनाएं कि वह जल्दी ही खत्म हो जाए। बाद में फिर बना सकते हैं। गाय के दूध में सामान्य दूध की ही तरह ही प्रदूषण का असर हो सकता है, मसलन कीटनाशक और कृत्रिम खाद के अंश चारे के साथ गाय के पेट में जा सकते हैं। जैविक घी में इस तरह के प्रदूषण से बचने की कोशिश की जाती है। यदि संभव हो तो गाय के दूध में कीटनाशकों और रासायनिक खाद के अंश की जांच कराई जा सकती है। 
 
यदि आप स्वस्थ हैं तो घी जरूर खाएं, क्योंकि यह मक्खन से अधिक सुरक्षित है। इसमें तेल से अधिक पोषक तत्व हैं। आपने पंजाब और हरियाणा के निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते हैं, लेकिन सबसे अधिक फिट और मेहनती हैं। यद्यपि घी पर अभी और शोधों के नतीजे आने शेष हैं, लेकिन प्राचीनकाल से ही आयुर्वेद में अल्सर, कब्ज, आंखों की बीमारियों के साथ त्वचा रोगों के इलाज के लिए घी का प्रयोग किया जाता है

समुद्र में क्रैश हुआ एयर एशिया का विमान, रेस्क्यू टीम को मिले 40 से ज्यादा शव

जकार्ता। लापता एयर एशिया विमान की तलाश अभियान में शामिल इंडोनेशियाई युद्धपोत को अब तक 40 से ज्यादा शव मिले हैं। इंडोनेशियाई नौसेना के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। नौसेना प्रवक्ता मानाहन सिमोरंगकिर ने कहा, "नेवी रेडियो से मिली सूचना के मुताबिक युद्धपोत बंग टोमो को 40 शव मिले हैं। शवों की संख्या बढ़ सकती है। अभियान में शामिल लोग इस समय काफी व्यस्त हैं।"


 इससे कुछ समय पहले सिविल एविएशन डायरेक्ट जनरल ने समुद्र में विमान का मलबा दिखने की पुष्टि की थी। लापता फ्लाइट QZ8501 की तलाश कर रहे दल को विमान के दरवाजे और इमरजेंसी डोर की स्लाइड जैसी चीजें समुद्र में दिखाई दी थी।
 
खोज अभियान में शामिल इंडोनेशियाई अधिकारियों ने बोर्नियो आइलैंड पर पत्रकारों को बताया कि मलबे के साथ-साथ समुद्र में तैरते कुछ शव भी मिले हैं। राष्ट्रीय खोज एवं बचाव विभाग के डायरेक्टर एसबी सुप्रियादी ने बताया कि पानी में डूबे रहने के कारण शव फूल गए हैं, लेकिन पहचाने जाने लायक हैं। शवों के शरीर पर लाइफ जैकेट नहीं थी। नेवी प्रवक्ता मनाहन सिमोरांगकिर ने भी कुछ शव मिलने की पुष्टि की।   
 
एक इंडोनेशियाई मिलिट्री एयरक्राफ्ट ने पंगकलन बन से करीब 169 किलोमीटर दूर समुद्र में सफेद और लाल रंग के ऑब्जेक्ट देखने का दावा किया था। इंडोनेशियाई राष्ट्रीय खोज एवं बचाव प्रवक्ता यूसुफ लतीफ ने बताया कि ऑब्जेक्ट्स के साथ एक लाइफ जैकेट भी देखी गई है। यूसुफ ने बताया कि मलबे को इकट्ठा करने के लिए एक हेलिकॉप्टर रवाना किया गया है। बेलितुंग आइलैंड पर इन टुकड़ों को लाया जाएगा और इनकी जांच की जाएगी।  पुर्जों के कुल दस टुकड़े दिखाई दिए थे। एक इंडोनेशियाई टीवी चैनल ने इसकी तस्वीरें प्रसारित की थी। 
 
 रविवार को लापता हुआ विमान इंडोनेशिया के सुराबारा से सिंगापुर जा रहा था। स्थानीय समयानुसार, सुबह 7 बजकर 24 मिनट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से इसका संपर्क टूट गया। 
 
इंडोनेशियाई एयरफोर्स के अधिकारी अगस वी पुतरांतो ने पत्रकारों को बताया, "विमान के गायब होने की लोकेशन के नजदीक समुद्र में 10 सफेद रंग के ऑब्जेक्ट दिखाई दिए हैं। यह जगह विमान के राडार से गायब होने की जगह से 10 किलोमीटर दूर है। यह लापता विमान के अवशेष हो सकते हैं।"
 
अमेरिका ने भेजा युद्धपोत
खोज अभियान के तीसरे दिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मदद के लिए जावा समुद्र में अपना युद्धपोत भेजने की पुष्टि की। अमेरिका द्वारा भेजा गया जहाज आधुनिक खोज तकनीक से लैस है। 
 
यूएस पैसिफिक कमांड ने स्टेटमेंट जारी कर कहा, "इंडोनेशियाई सरकार की अपील के बाद अमेरिकी पैसिफिक बेड़ा सर्च ऑपरेशन में मदद के लिए यूएसएस सैम्पसन (DDG 102) भेजा रहा है।"
 
विमान की तलाश में 30 जहाज, 15 एयरक्राफ्ट और 1,000 से ज्‍यादा खोजकर्मी जुटे हैं।

शास्त्रों के अनुसार जानिए किस दिन क्यों ना बनाएं दाढ़ी और ना कटवाएं बाल


उज्जैन। पुराने समय से ही दाढ़ी बनाने और बाल कटवाने के लिए कुछ दिन वर्जित किए गए हैं। इस संबंध में मान्यता है कि यदि वर्जित किए गए दिनों में ये काम किए जाते हैं तो कई प्रकार के अशुभ फल प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार दैनिक जीवन में शुभ फल पाने के लिए कई ऐसी परंपराएं बताई गई हैं, जिनका पालन आज भी किया जाता है। ऐसी ही कुछ परंपराएं दाढ़ी बनाने या बाल कटवाने से संबंधित हैं। यहां जानिए इस काम से संबंधित परंपराएं, हमें कब दाढ़ी बनानी चाहिए और कब नहीं, कब बाल कटवाने चाहिए और कब नहीं...
 
इन दिनों में न करें ये काम
 
शास्त्रों कहते हैं कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बाल नहीं कटवाना चाहिए। यह अपशकुन माना जाता है। आज भी घर के बड़े और बुजुर्गों द्वारा बताया जाता है कि शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
 
शास्त्रों की मान्यता
 
- शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को बाल कटवाने से हमारी आयु आठ माह कम हो जाती है।
 
- गुरुवार देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है, अत: इस दिन बाल कटवाने से धन की हानि होने की संभावनाएं रहती हैं।
 
- शनिवार को बाल कटवाने से आयु में सात माह की कमी हो जाती है।
 
- शेष चार दिन सोमवार, बुधवार, शुक्रवार और रविवार को बाल कटवा सकते हैं। इन दिनों में ये काम करने पर दोष नहीं लगता है।
 
ज्योतिष की मान्यता
 
ज्योतिष के अनुसार मंगलवार मंगल देव का दिन है। शरीर में मंगल का निवास हमारे रक्त में रहता है और रक्त से बालों की उत्पत्ति होती है। इसी तरह शनिवार शनि ग्रह का दिन हैं और शनि का संबंध हमारी त्वचा से होता है। अत: मंगलवार और शनिवार को बाल कटवाने से मंगल तथा शनि ग्रह संबंधी अशुभ प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। इनसे बचने के लिए ही इन दिनों में बाल ना कटवाने की बात कही जाती है।
 
हालांकि आजकल इन बातों को केवल अंधविश्वास ही माना जाता है, लेकिन मान्यता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने जो परंपराएं बनाई हैं, इनका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
 
ये हैं प्रचलित कारण
 
ऐसा माना जाता है कि सप्ताह के कुछ ऐसे दिन हैं, जब ग्रहों से ऐसी किरणें निकलती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। शनिवार, मंगलवार और गुरुवार को निकलने वाली इन किरणों का सीधा प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है। हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग मस्तिष्क ही है, सिर का मध्य भाग अति संवेदनशील और बहुत ही कोमल होता है। जिसकी सुरक्षा बालों से होती है। इसी वजह से इन दिनों में बालों को नहीं कटवाना चाहिए।

संजय दत्त को जेल से मिली छुट्टी की जांच करेगी महाराष्ट्र सरकार


मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने 1993 मुंबई धमाकों के मामले में पांच साल जेल की सजा काट रहे बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त को हाल ही में मिली 14 दिन की छुट्टी (फर्लो) की जांच का फैसला किया है। दत्त बीते 18 महीने से जेल में हैं और कई बार बाहर आ चुके हैं। जांच के फैसले के बारे में जानकारी गृह राज्य मंत्री राम शिंदे ने दी। दत्त लगातार दूसरी बार क्रिसमस के मौके पर घर पर हैं। इससे पहले वह मई 2013 से मई 2014 के बीच 118 दिन बाहर रह चुके हैं। बता दें कि फर्लो या अवकाश कैदी का कानूनी अधिकार है, जो उसे अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए मिलता है। 
 
दत्त बीते बुधवार को पुणे ���ी यरवदा जेल से 14 दिन की छुट्टी पर बाहर आए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2013 में मेडिकल ग्राउंड पर 28 दिन के लिए, जबकि इसी तरह से दिसंबर 2013 में भी 28 दिन के लिए जेल से बाहर आ चुके हैं। उस वक्त उन्होंने कहा था कि वह अपनी बीमार पत्नी मान्यता की देखरेख के लिए बाहर आए हैं, हालांकि उनको बार-बार जेल से बाहर आने के लिए मिली मंजूरी पर विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद, पत्नी की बीमारी की वजह से ही जनवरी 2014 में भी उन्हें 28 दिन की छुट्टी मिली। उन्हें इसी साल अक्टूबर में पैर के इलाज के लिए 14 दिन की छुट्टी मिली, जिसे बाद में और 14 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। 
 
क्या कहना है संजय दत्त का 
संजय दत्त का कहना है कि उन्हें कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा। दत्त के मुताबिक, इस छुट्टी के लिए उन्होंने 5 महीने पहले अप्लाई किया था, जो मंजूर कर ली गई। दत्त ने अपने फैन्स को उनकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद भी दिया। 
 
किस मामले में अंदर हैं दत्त 
1993 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसके कुछ दिन बाद ही 12 मार्च, 1993 को शहर में सीरियल बम धमाके हुए। संजय दत्त अवैध रूप से एक आर्मी मेड AK-56 रखने के दोषी पाए गए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्होंने 16 मई, 2013 को सरेंडर कर दिया था। इसके बाद 42 महीने की जेल काटने के लिए उन्हें पुणे की यरवदा जेल में शिफ्ट किया गया। 
 
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी उठाए थे सवाल 
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दत्त के लगातार जेल से बाहर रहने के लिए मिलने वाली मंजूरी पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि दत्त को जिस तरह आसानी से यह सुविधा मिल जाती है, दूसरे केसों में ऐसा देखने को नहीं मिलता। कोर्ट ने कहा कि 1959 से चले आ रहे प्रिजनर्स रूल्स में बदलाव करने की जरूरत है। केंद्र भी दत्त को मिले एक्सटेंडेड लीव पर सवाल उठा चुका है। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि दत्त को किस तरह से पिछले 9 महीनों में तीन बार बाहर आने की मंजूरी मिल गई और हर बार छुट्टी की अवधि बढ़ा दी गई।

नए साल में क्‍या कुछ होने वाला है नया, जानिए

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

महिला डीएसपी बोली-शादी का झांसा देकर IPS पुष्कर करते रहे मेरा यौन शोषण



भभुआ की महिला डीएसपी ने कैमूर के एसपी पुष्कर आनंद पर शरीरिक शोषण का आरोप लगाया है। महिला डीएसपी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर एसपी के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। आनंद 2009 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अफसर हैं।   
बिहार के डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि इस बात की सूचना मिली है। उनके मुताबिक, पूरे मामले की जां
 
'शादी का वादा कर करते रहे यौन शोषण' 
महिला डीएसपी ने कहा, "हम दोनों की मुलाकात तीन साल पहले हुई थी। हमारी दोस्ती हुई। इसके बाद एसपी शादी का झांसा देकर बराबर मेरा शारीरिक शोषण करते रहे। अब जब मैंने उन पर शादी के लिए दबाव बनाया तो वे मेरे साथ अभद्र व्यवहार करने लगे। इससे खिन्न होकर उनके खिलाफ मैंने स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी है।"
 
पुष्कर आनंद ने आरोपों से पल्ला झाड़ा 
एसपी पुष्कर आनंद ने महिला डीएसपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये मामला बेबुनियाद है। उन्होंने कहा, "शादी का दबाव बनाने के लिए महिला अधिकारी ने मुझ पर यह आरोप लगाया है। अगर उनके पास कोई प्रमाण है तो वे पेश करें।"
 
शुरू हुई जांच
एक ही जिले में तैनात दो सीनियर पुलिस अफसरों के बीच खड़े हुए इस विवाद के बाद पूरा पुलिस महकमा अचंभित है। डीजीपी पी.के.ठाकुर ने मामले की जांच पुलिस मुख्यालय में गठित महिला शिकायत निवारण कोषांग को सौंप दी है। आईजी (हेड क्वॉर्टर) अनुपमा निलेकर चंद्रा कोषांग की अध्यक्ष हैं। इसके अलावा, आईजी, कल्याण सुनील कुमार और एसपी, कमजोर वर्ग हरप्रीत कौर इसकी सदस्य हैं। डीजीपी ने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। दूसरी ओर, अब दोनों अधिकारियों को जिले से हटाने की तैयारी हो रही है। उम्मीद है, जल्द ही उनके तबादले की अधिसूचना जारी होगी।
 
मेरे पास सबूत हैं
सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन-चार दिनों से दोनों अफसरों के बीच विवाद चल रहा था। मामला इतना बढ़ गया कि महिला डीएसपी ने डीजीपी को शिकायत पत्र देकर एसपी के खिलाफ आरोप लगाया। इतना ही नहीं, सोमवार को उन्होंने कैमूर में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के सामने एसपी पर शादी का झांसा देकर शोषण का आरोप लगाया। डीएसपी का दावा है कि उनके पास एसपी के खिलाफ सबूत हैं।
 
कैमूर के एसपी पर आरोप लगाने वाली महिला अधिकारी 2005 बैच की बिहार पुलिस सेवा की अफसर है। वह भभुआ में बतौर एसडीपीओ के पद पर तैनात हैं। सूत्रों के अनुसार, पिछले चार दिनों से दोनों अफसरों के बीच शादी को लेकर विवाद चल रहा था। मामला इतना बढ़ गया कि महिला अफसर ने डीजीपी को शिकायत पत्र देकर एसपी के खिलाफ आरोप लगाया। इतना ही नहीं, सोमवार को महिला डीएसपी ने कैमूर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के सामने एसपी पर शादी का झांसा देकर यौन शोषण का आरोप लगाया। खास बात यह है कि दोनों ही अफसरों की अभी शादी नहीं हुई है। डीएसपी का दावा है कि उनके पास एसपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। दूसरी ओर, डीएसपी एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश कुमार दुबे ने कहा कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए और जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ कार्रवाई हो।