डाइटिंग
करते वक्त सबसे पहले हम घी खाना छोड़ देते हैं। हमें लगता है कि घी खाने से
हम मोटे हो रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। देसी घी हमारे दिमाग और शरीर को
चुस्त रखता है। कुछ बीमारियों में डॉक्टर घी नहीं खाने की सलाह देते हैं,
लेकिन सभी के लिए नहीं। आज हम आपको देशी घी से होने वाले फायदों के बारे
में बता रहे हैं।
देशी घी के फायदे-
घी दूसरी खाने की चीज़ों से अलग है। वो इसलिए कि घी का स्मोकिंग प्वाइंट
दूसरी वसाओं की तुलना में बहुत अधिक है। यही वजह है कि पकाते समय आसानी से
नहीं जलता। घी में स्थिर सैचुरेटेड बॉन्डस बहुत अधिक होते हैं, जिससे फ्री
रेडिकल्स निकलने की आशंका कम होती है। घी की फैटी एसिड की चेन जल्दी पच
जाती है। अब तक आप बहुत उलझन में पड़ गए होंगे कि क्या वाकई घी इतना
फायदेमंद है। अब तक तो सभी यही समझा रहे थे कि देशी घी ही रोगों की सबसे
बड़ी जड़ है।
1-रोज़ देशी घी खाने से वात और पित्त शांत रहता है।
2-घी खाने से पाचन क्रिया सही रहती है।
3-बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है, जो घी के सेवन से निकल जाता है। अगर नहीं निकाला तो मोटापा बढ़ जाता है।
4-दिल की नलियां में ब्लॉकेज हो तो घी ल्यूब्रिकेंट का काम करता है।
5-कब्ज को खत्म करने के लिए घी काफी मददगार होता हैं, क्योंकि चिकनाहट की कमी से आंतों में मल सूख जाने से मलावरोध हो जाता है।
6-गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है, तो घी उसे शांत करता है, शीलता की वृद्धि करता है।
7-दाल में थोड़ा-सा घी डालकर खाने से गैस की समस्या नहीं होती।
घी पर हुए शोध बताते हैं कि इससे रक्त और आंतों में मौजूद कोलेस्ट्रॉल
कम होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि घी से बाइलरी लिपिड का स्राव बढ़
जाता है। घी नाड़ी प्रणाली एवं मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद
है। इससे आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। इसलिए ग्लूकोमा के मरीजों
के लिए भी यह फायदेमंद है। हो सकता है, इस जानकारी ने आपको आश्चर्य में
डाल दिया हो।
-देशी घी स्किन को सॉफ्ट और मॉइश्चराइज़ करता है।
-स्किन को नरिश करने के साथ-साथ यह ड्रायनेस को भी कम करता है और त्वचा की कांति बढ़ाता है। आप देशी घी से रोज़ चेहरे की मसाज कर सकते हैं।
-बालों को चमकदार और मुलायम बनाने के लिए सिर पर देशी घी से मालिश करें। इससे बाल काले, घने, मजबूत और मुलायम रहेंगे।
-देशी घी जलने या किसी तरह के निशान को खत्म करने के लिए बेहद उपयोगी है।
- देशी घी शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सही रखता है और अच्छे
कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। इससे दिल सही से काम करता है।
-देशी घी में विटामिन के2 पाया जाता है, जो ब्लड सेल में जमा कैल्शियम को हटाने का काम करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है।
5-इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग करने के लिए
-देसी घी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने में मदद करता है, जिससे इन्फेक्शन से और बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।
-देसी घी में सूक्ष्म जीवाणु, एंटी-कैंसर और एंटी-वायरल एजेंट होते हैं जो कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
-देशी घी शरीर में जमा फैट को गला कर विटामिन में बदलने का काम करता
है। इसमें चेन फैट एसिड कम मात्रा में होता है, जिससे आपका खाना जल्दी
डाइजेस्ट होता है और मेटाबॉल्जिम सही रहता है।
- खाने में देशी घी मिलाकर खाने से खाना जल्दी डाइजेस्ट होता है। यह मेटाबॉल्जिम प्रोसेस को बढाता है।
-अल्सर, कब्ज और पाचन क्रिया में किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर देशी घी बेहद कारगर होता है।
- देशी घी में सीएलए (CLA) होता है जो मेटाबॉल्जिम को सही रखता है। इससे वज़न कंट्रोल में रहता है।
-सीएलए इंसुलिन की मात्रा को कम रखता है, जिससे वज़न बढ़ने और शुगर जैसी दिक्कतें होने का खतरा कम रहता है।
-यह हाइड्रोजनीकरण से नहीं बनाया जाता है, इसलिए देशी घी खाने से शरीर में एक्स्ट्रा फैट बनने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
शिकागो यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के अनुसार, कम चिकनाई वाला भोजन
और अधिक मात्रा में फल और सब्जियां लेने वाली महिलाएं ऊपर से भले ही स्वस्थ
दिखती हों, लेकिन इससे उन्हें कैंसर और दिल से जुड़ी समस्याएं होने की
संभावनाएं अधिक होती हैं। एक अमेरिकी मेडिकल शोध पत्रिका में इस विषय पर
किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है। यह अध्ययन 50 से 79 आयु वर्ग
की करीब 49 हजार महिलाओं पर आठ साल तक किया गया। इसमें 20 हजार महिलाओं को
वसा रहित भोजन करने के अलावा अपने भोजन में कम से कम पांच प्रकार के फल,
सब्जियां और अनाज को शामिल करने की सलाह दी गयी। रिपोर्ट के अनुसार भोजन
में दूध, मक्खन, घी न लेने पर महिलाओं के खाने में कोलोन कैंसर से बचाव
करने वाले कैल्शियम और विटामिन डी तत्वों का अभाव पाया गया। डॉक्टरों के
अनुसार, केवल वसा रहित भोजन अच्छे स्वस्थ्य की गारंटी नहीं है। महिलाओं को
एक्सरसाइज के माध्यम से शरीर में जमा वसा को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
भैंस के दूध के मुकाबले गाय के घी में वसा की मात्रा कम होती है। घी
घर पर तैयार करना अच्छा होता है। इसे इतना बनाएं कि वह जल्दी ही खत्म हो
जाए। बाद में फिर बना सकते हैं। गाय के दूध में सामान्य दूध की ही तरह ही
प्रदूषण का असर हो सकता है, मसलन कीटनाशक और कृत्रिम खाद के अंश चारे के
साथ गाय के पेट में जा सकते हैं। जैविक घी में इस तरह के प्रदूषण से बचने
की कोशिश की जाती है। यदि संभव हो तो गाय के दूध में कीटनाशकों और रासायनिक
खाद के अंश की जांच कराई जा सकती है।
यदि आप स्वस्थ हैं तो घी जरूर खाएं, क्योंकि यह मक्खन से अधिक
सुरक्षित है। इसमें तेल से अधिक पोषक तत्व हैं। आपने पंजाब और हरियाणा के
निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते हैं, लेकिन सबसे अधिक फिट और
मेहनती हैं। यद्यपि घी पर अभी और शोधों के नतीजे आने शेष हैं, लेकिन
प्राचीनकाल से ही आयुर्वेद में अल्सर, कब्ज, आंखों की बीमारियों के साथ
त्वचा रोगों के इलाज के लिए घी का प्रयोग किया जाता है