दबा है अरबों का खज़ाना, तैरती हुई झील, जानें भारत की 7 झीलों के बारे में

 


लाइफस्टाइल डेस्क: भारत प्राकृतिक रहस्यों से भरा शहर है। यहां मौजूद हर नदी, झील और पहाड़ों आदि में रहस्य छिपा हुआ है। इतना ही नहीं भारत में कुछ ऐसी खूबसूरत झीलें भी मौजूद हैं, जिनका कोई मुकाबला नहीं। यहां कई झील अपने रहस्यों की वजह से जानी जाती है। आज हम आपको भारत की ऐसी 7 झीलों के बारे में बता रहे हैं, जो अपने अजीबो-गरीब रहस्य और खूबसूरती लिए फेमस है। 
 
1. कमरुनाग झील
कहां है- हिमाचल प्रदेश
क्या खास- दबा है अरबों का खजाना
 
इस झील में लोग अपनी मन्नत पूरी करने के लिए अपने शरीर का एक गहना या फिर रुपए यहां बहाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस झील में गहने या पैसे डालने से मन्नत पूरी होती है। पूरे साल में सिर्फ 14 और 15 जून को कमरुनाग देवता यहां लोगों को दर्शन देते हैं। इन दो दिन यहां हजारों की भीड़ में श्रद्धालु जमा होते हैं। कमरुनाग को वर्षा का देव माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान कमरुनाग को सोने-चांदी व पैसे चढ़ाने की प्राचीन मान्यता है। इस झील में डाले गए पैसे और गहने कभी बाहर नहीं निकाले जाते, इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि यहां अरबों का खजाना है। 
 
2. चिलका झील
कहां हैृ- ओडिशा
क्या खास- यह भारत की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। 
 
करीब एक हज़ार वर्ग किमी क्षेत्र में फैली चिल्का झील में मछलियों की क़रीब 225 प्रजातियां मौजूद है। सर्दियों में यहां बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं। झील में अनेक छोटे-छोटे द्वीप हैं जो बेहद ख़ूबसूरत हैं। यह झील 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। ब्रह्मपुर (पंजाब में स्थित ब्रह्मपुर चंबा राज्य की प्राचीन राजधानी थी।) से 80 किलोमीटर दूर देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय झील है जो 1100 वर्ग किमी में फैली हुई है।  
 
3.  केईबुल लामजाओ, लोकटक लेक, 
कहां हैं- मणिपुर
क्या खास- दुनिया का एकलौती तैरती झील
 
मणिपुर के विष्णुपुर जिले में बनी हुई केईबुल लामजाओ दुनिया की इकलौती तैरती झील या पार्क है, क्योंकि यहां छोटे-छोटे भूखंड या द्वीप पानी में तैरते हैं। यह तैरता हुआ पार्क खत्म होती जा रही प्रजाति वाले संगई हिरणों का घर है। लोकटक लेक पर बने हए इस पार्क में फुमडिस के पौधों की भरमार है। यह पूरा पार्क 40 स्क्वेयर किलोमीटर तक फैला हुआ है। 
 
4. मानसरोवर झील
कहां है- तिब्बत (भारत-चीन)
क्या खास- हिन्दुओं की चार धाम में शामिल और सबसे साफ पानी वाली झील
 
इसके दर्शन के लिए हज़ारों लोग हर साल कैलाश मानसरोवर यात्रा करते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार यह झील भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुई थी। यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ भी गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है। वहीं, मानसरोवर टेथिस सागर का अवशेष है। जो कभी एक महासागर हुआ करता था, वह आज 14900 फुट ऊंचे स्थान पर स्थित है। यहां कई मठ भी मौजूद हैं। इसे हिंदु के अलावा बौद्ध धर्म में भी पवित्र माना जाता है।
 
5. रुपकुंड झील
कहां है- उत्तराखंड
क्या खास- यह नरकंकालों की झील है।
 
यह झील हिमालय के ग्लेशियरों के गर्मियों में पिघलने से उत्तराखंड के पहाड़ों मैं बनने वाली छोटी सी झील है। यह 5029 मीटर (16499 फीट) की ऊचांई पर स्तिथ है जिसके चारो और ऊंचे बर्फ के ग्लेशियर है। यह झील यहां पर मिलने वाले नरकंकालों के कारण काफी चर्चित है। अभी तक यहां पर सैकड़ों नरकंकाल मिल चुके हैं। यहां पर नरकंकालों मिलने की तीन वजहें मानी जाती हैं। पहली, यहां भटके सैनिक, दूसरा 1942 में आई ओलों की भयंकर बारिश (इस बारिश में कई लोगों की मौत हुई थी) और यहां एक कहावत मशहूर है कि सदियों पहले यहां राजा ने देवी को नाराज़ किया था। जिस वजह से देवी ने गुस्से में आकर राजा की पूरी प्रजा को खतम कर दिया था। 
 
6. कावर झील 
कहां है- बिहार
क्या खास- एशिया की सबसे बड़ी शुद्ध पानी वाली झील थी।
 
एशिया का सबसे बड़ी शुद्ध जल की झील है और यह बर्ड संचुरी भी है। इस बर्ड संचुरी मे 59 तरह के विदेशी पक्षी और 107 तरह के देसी पक्षी ठंडे के मौसम मे देखे जा सकते हैं। यह बिहार राज्य के बेगूसराय में है। पुरातत्वीय महत्व का बौद्धकालीन हरसाइन स्तूप इसी क्षेत्र में स्थित है। इस झील को जयमंगला माता के नाम से भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां कई साल पहले एक से बढ़कर एक खतरनाक जहरीले सांप रहते थे, लेकिन इन माता की वजह से यहां किसी की भी जान नहीं गई। लेकिन अब यह झील धीरे-धीरे खतम हो रही है।
 
7. वुलर झील
कहां है- जम्मू और कश्मीर
क्या खास- यह भी भारत की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील थी।
 
वुलर एशिया की मीठे पानी की सबसे बडी झील थी और अब यहां सिर्फ हरित क्षेत्र रह गई है। प्राचीनकाल में 'महापद्म देवता' इस झील के अधिदेवता थे और उनके नाम पर इस झील को 'महापद्मसर' कहा जाता था। यह एक कृत्रिम द्वीप है जो सन् 1444 में कश्मीर के सुलतान ज़ैन-उल-अबदीन​ ने बनवाया था। वह अपनी धार्मिक सहनशीलता के लिए जाने जाते थे और उन्हें हिन्दू व मुस्लिम कश्मीरी लोग इज़्ज़त से 'बुड शाह' (यानि बड़े शाह या महान शाह) के नाम से याद करते हैं। धीरे-धीरे वुलर एक तरफ़ से सूखकर सिकुड़ गई और द्वीप अब उसके एक कोने में है।