संजय दत्त को जेल से मिली छुट्टी की जांच करेगी महाराष्ट्र सरकार


मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने 1993 मुंबई धमाकों के मामले में पांच साल जेल की सजा काट रहे बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त को हाल ही में मिली 14 दिन की छुट्टी (फर्लो) की जांच का फैसला किया है। दत्त बीते 18 महीने से जेल में हैं और कई बार बाहर आ चुके हैं। जांच के फैसले के बारे में जानकारी गृह राज्य मंत्री राम शिंदे ने दी। दत्त लगातार दूसरी बार क्रिसमस के मौके पर घर पर हैं। इससे पहले वह मई 2013 से मई 2014 के बीच 118 दिन बाहर रह चुके हैं। बता दें कि फर्लो या अवकाश कैदी का कानूनी अधिकार है, जो उसे अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए मिलता है। 
 
दत्त बीते बुधवार को पुणे ���ी यरवदा जेल से 14 दिन की छुट्टी पर बाहर आए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2013 में मेडिकल ग्राउंड पर 28 दिन के लिए, जबकि इसी तरह से दिसंबर 2013 में भी 28 दिन के लिए जेल से बाहर आ चुके हैं। उस वक्त उन्होंने कहा था कि वह अपनी बीमार पत्नी मान्यता की देखरेख के लिए बाहर आए हैं, हालांकि उनको बार-बार जेल से बाहर आने के लिए मिली मंजूरी पर विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद, पत्नी की बीमारी की वजह से ही जनवरी 2014 में भी उन्हें 28 दिन की छुट्टी मिली। उन्हें इसी साल अक्टूबर में पैर के इलाज के लिए 14 दिन की छुट्टी मिली, जिसे बाद में और 14 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। 
 
क्या कहना है संजय दत्त का 
संजय दत्त का कहना है कि उन्हें कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा। दत्त के मुताबिक, इस छुट्टी के लिए उन्होंने 5 महीने पहले अप्लाई किया था, जो मंजूर कर ली गई। दत्त ने अपने फैन्स को उनकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद भी दिया। 
 
किस मामले में अंदर हैं दत्त 
1993 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसके कुछ दिन बाद ही 12 मार्च, 1993 को शहर में सीरियल बम धमाके हुए। संजय दत्त अवैध रूप से एक आर्मी मेड AK-56 रखने के दोषी पाए गए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्होंने 16 मई, 2013 को सरेंडर कर दिया था। इसके बाद 42 महीने की जेल काटने के लिए उन्हें पुणे की यरवदा जेल में शिफ्ट किया गया। 
 
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी उठाए थे सवाल 
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दत्त के लगातार जेल से बाहर रहने के लिए मिलने वाली मंजूरी पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि दत्त को जिस तरह आसानी से यह सुविधा मिल जाती है, दूसरे केसों में ऐसा देखने को नहीं मिलता। कोर्ट ने कहा कि 1959 से चले आ रहे प्रिजनर्स रूल्स में बदलाव करने की जरूरत है। केंद्र भी दत्त को मिले एक्सटेंडेड लीव पर सवाल उठा चुका है। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि दत्त को किस तरह से पिछले 9 महीनों में तीन बार बाहर आने की मंजूरी मिल गई और हर बार छुट्टी की अवधि बढ़ा दी गई।