ऐसी महिलाएं ही कुछ अचीव कर पाती हैं जो ध्यान रखती हैं ये बातें

कुछ अचीव करने वाली महिलाएं वह होती हैं जो खुद भी खुश रहती हैं और अपने आसपास भी खुशहाली फैलाती हैं!
 
हम लोगों में से ज्यादातर अपने जीवन का बहुत अच्छे-से ध्यान रखते हैं। हां, हमारे सामने जो भी जीवन आता है, हम पूरे मजे से जीते हैं। हम जो भी करते हैं, उसमें तरक्की करने की आकांक्षा रखते हैं। हमारे अंदर वह क्षमता है जो हमें मुश्किल वक्त से आगे निकालकर ले जाती है। ऐसी असाधारण महिला होने के नाते, हमें दुनिया में अपना योगदान बढ़ाना होगा।
 
हो सकता है कि हमने मैडम क्यूरी की तरह रेडियम की खोज नहीं की हो या मदर टेरेसा जैसे अपने जीवन का समर्पण नहीं किया हो और निस्संदेह हम एमएस सुब्बालक्ष्मी भी नहीं हैं, जिन्होंने अपने पवित्र संगीत से दुनिया में शांति और सामंजस्य को विस्तार दिया। इसके बाद भी हम कहीं न कहीं किसी की तरक्की में अपना छोटा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। इस प्रक्रिया में निश्चित तौर पर हमारी अपनी तरक्की भी छिपी है। हकीकत यह है कि एक दिन हम देखेंगे कि हमारे अंदर की औरत भी तरक्की कर रही है।
 
हम अपने योगदान न देने की वजह समय की कमी को बता सकते हैं। लेकिन मैंने महसूस किया (जिंदगी में थोड़ा देरी से ही सही) कि जब मैंने अपनी और अपने परिवार की जिंदगी से बाहर सोचना शुरू किया तो मेरी ऊर्जा कई मायनों में बढ़ गई। समाज में योगदान देने के लिए मुझे फुलटाइम सोशल वर्कर होने की जरूरत नहीं है। सामाजिक प्राणी होने की वजह से यह मेरा दायित्व है कि समाज से मुझे जो भी मिला है, उसमें से मैं थोड़ा-बहुत लौटाऊ भी।
 
मैंने और मेरे पति ने कंप्यूटर पर विचारोत्तेजक कैप्शन और संदेश से कुछ पोस्टर प्रकाशित किए। उन्हें मैंने अपने इलाके में कुछ सार्वजनिक स्थानों पर लिखा। उस पर नाम लिखा था- 'सहायता’।
 
उदाहरण के लिए:
 
'एक्सचेंज ऑफर: अपनी चिंताओं को खुशी में बदले और पाएं एक मुस्कराहट फ्री।’
'प्रेरणा और पसीना ही मिलकर हंगामा मचाते हैं।’
 
यदि इन पोस्टरों ने किसी एक व्यक्ति की जिंदगी में भी बदलाव ला दिया तो मेरा काम सफल हो जाएगा। यदि कोई मानसिक तौर पर परेशान व्यक्ति इन संदेशों को पढ़कर कुछ देर के लिए राहत पाता है तो इन संदेशों का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। मैं कुछ बच्चों को एकजुट कर या एकजुट हुए बच्चों को साथ लेकर उनके लिए मजेदार खेल बनाती हूं। उन्हें ग्रुप में खेलने में मजा आता है। मैं उनके साथ नाच-गा भी लेती हूं। नई पीढ़ी को खुशी देना और इसमें छोटा-सा हिस्सा बनना बेहद अच्छा लगता है।