बस इतना फसाना है

मासूम मुहब्बत का
बस इतना फसाना है,
शीसे की हवेली है,
पत्थर का जमाना है।
वो समझे या ना समझे
अंदाजे मुहब्बत के,
अवाज भी जख्मी है,
गीत भी गाना है।
उस पार उतरने की उम्मीद
बहुत कम है,
किस्ती भी पुरानी है,
तूफ़ान भी आना है।
वो बोले या न बोले
बातों से कुछ भी,
एक शक्स को आँखो से
हाले-दिल सुनाना है।
मासूम मुहब्बत का
बस इतना फ़साना है,
एक आग का दरिया है,
डूब के जाना है।

--प्रतीक प्रीतम,मधेपुरा

वीना मलिक की न्यूड तस्वीर के मायने

पाकिस्तानी अभिनेत्री और बिग
बॉस ४ की हॉट आइटम वीना मलिक की एक न्यूड तस्वीर एफएचएम इंडिया मैग्जीन के दिसंबर अंक के कवर पेज पर क्या छपी न जानने वाले भी वीना मलिक को जान गए.पब्लिसिटी स्टंट सफल हुआ और मैग्जीन की बिक्री तो बढ़ी ही,वीना के अगले टीवी रियलिटी शो स्वयंवर को भी दर्शकों की बड़ी मात्रा मिलने की सम्भावना बढ़ गयी.वीना मलिक ने इस तस्वीर को मूल के साथ छेड़छाड़ कहते हुए मैग्जीन पर दस करोड का हर्जाना ठोक दिया है जबकि मैग्जीन के संपादक कबीर शर्मा इसे ऑरिजिनल फोटो बताते हुए दावा कर रहे हैं कि इस पूरे फोटो सेसन की वीडियो भी उनके पास मौजूद है जो यह साबित कर देगा कि यह न्यूड तस्वीर वीना मलिक की ही है.इस फोटो में वीना की बांह पर आईएसआई लिखे रहने से पाकिस्तान में सनसनी फ़ैल गयी है.कुछ लोगों का ये भी कहना है कि ऐसी हरकतें सोच समझकर  मैग्जीन वालों और अभिनेत्रियों द्वारा एक दूसरे को हिट कराने के उद्येश्य से की जाती है.
     देखा जाय तो आज चर्चा में रहने और पैसे कमाने के लिए अभिनेत्रियां बहुत कुछ करने के लिए तैयार हैं.रियलिटी शो स्वयंवर के लिए वीना को ३ करोड़ रूपये मिलने वाले हैं.और ऐसे समय में वीना का चर्चा में आ जाना इस आने वाले शो की टीआरपी तो बढ़ा ही देगा साथ ही अन्य शो और भारतीय फिल्मों में वीना के काम करने का सपना भी पूरे होने के रास्ते अब खुल सकते हैं.फिल्म निर्माताओं की नजर भी अब इस सनसनी पर पड़ सकती है और वॉलीवुड के लिए तो जो दिखता है वही बिकता है.

ये आईना ....!!

कितनी दर्द कितनी ख़ामोशी
समटे हुए है अपने अन्दर,
ये आईना ....
मंजर खुशियों के कम नहीं
पहलुओं में इनके,
फिर क्यूँ इतनी चुप्पी लिए
दीवारों पे टंगी है,
ये आईना ....
ज़माने ने तो अपने दिलों का
नाता तेरे साथ जोड़ दिया,
जब भी टूटा दिल उसका
तो "शीशा-ए- टुकड़ों" का नाम दिया,
मिली इतनी अहद जब दुनिया से
फिर क्यूँ शांत है,
ये आईना ....
जब भी रूह ब रूह हुए हम आपके
खुद को ही पाया तेरे चेहरे में,
भुला कर तुम अपने वजूद को
हमको रखा फिर अपने साये में,
इतनी सिद्दत है जब दूसरों से
फिर क्यूँ इतना तन्हा है,
ये आईना ....
ना जाने ऐसे कितने सवाल
दबा रखा हूँ मैं खुद में,
ओर वो है कि अपनी ज़िंदगी
लुटा रही है एक खनक में,
इतनी राज है जब उनकी ज़िंदगी में
फिर क्यूँ बेराजदार है,
ये आईना ....
कितनी दर्द कितनी ख़ामोशी
समटे हुए है अपने अन्दर,
ये आईना ....

 
--अजय ठाकुर,नई दिल्ली

आशाओं का सवेरा !!

गम की सतहों पर आशाओं का सवेरा था,
दूर थी, मंजिल मगर पास किनारा था,
ख्वाब तो थे ज़िंदगी के बहुत
मगर उनका नहीं कोई बसेरा था ,
गम की सतहों पर आशाओं का सवेरा था !!
..........
न जाने क्यूँ इतनी बोझिल हो गई,
ज़िंदगी अपने ही ख्यालों में,
शायद फुर्सत से ये बातें करूँगा,
अपने जेहन से सवालों में,
अब तो हर वक़्त जलता रहता हूँ
घनी पेड़ की छाँव में,
चाहे खड़ा रहू कहीं भी या
किसी भी फिजाओं में, 
गम की सतहों पर आशाओं का सवेरा था,
दूर थी, मंजिल मगर पास किनारा था !!
........
लगता हैं हम जैसों की
ज़िंदगी का कोई पहलू न होगा,
बयाँ करने के किये पन्ने तो होंगे,
मगर पढने के कोई मज्बुल न होगा,
अल्फाजों के फूल गिरेंगे जरुर राहों पर,
जब काटों से जख्मी पेड़ न होगा,
हंस लो यारों मुझपे मगर
हमको है ये यकीं,
भँवर तो होंगे ज़िंदगी  में  बहुत मगर,
एकदिन उनपे कोई मृगतृष्णा न होगा !
गम की सतहों पर आशों का सवेरा था,
दूर थी, मंजिल मगर पास किनारा था !!


--अजय ठाकुर,नई दिल्ली

कोई अपना नहीं है !!

कोई अपना नहीं है
इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे सब
मौके की तहजीर में,
क्या दोस्त क्या दुश्मन
क्या अपना क्या पराया
सब के सब जुड़े है एक ही जंजीर में,
गलतियाँ तो मैंने की जो
सब को अपना समझ बैठा,
अपने ही हाथों से अपनी
दिल के मासूमियत को लुटा बैठा,
हिसाब किया जो आज
हमने इनके जख्मों का,
खुद में उलझ गया मानो 
शतरंज का हारा हुआ वजीर में,
कोई अपना नहीं है
इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे
सब मौके की तहजीर में !
बेमतलब की लगती है ये दुनिया,
हर शाख पे बैठा है उल्लू,
जहाँ भरोसों का खून करती
दिखती है ओर उनकी ये गलियां,
कर के क़त्ल मेरे सादगी का
बढ़ा ले एक ओर नाम
अपने खुदगर्जी के जागीर में, 
कोई अपना नहीं है
इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे
सब मौके की तहजीर में !
जी तो करता है आज
तुम जैसा ही बन जाऊं,
ओर तबाह कर दूं
तुम जैसे की वजूद को
पर ये मुमकिन नहीं ,
तेरा इमान होगा दौलत खुदगर्जी,
पर मेरी तो चाहता हैं
आज भी तू वहां से वापस हो जा
बन के मेरा मुजरिम ही सही,
देख कैसे गले लगाने तो
अब भी बैठा हूँ तुझे
तेरे ही हांथों से लुट जाने के बाद फकीर में,
कोई अपना नहीं है इस दुनिया के भीड़ में,
आस्तीन में  खंजर लिए बैठे सब
मौके की तहजीर में !!

 
--अजय ठाकुर, नई दिल्ली

आखिर क्यों .... !!

आखिर क्यों हर कदम पे
इनकी खुशियाँ लूट ली जाती है,
माँ बेटी बहन बहू का नाम देके
आवाज़ दबा दी जाती है,
जिस हाथ को पकड़ कर
था चलना सीखा,
उस हाथ को छोड़  हाय 
तूने कैसे तोड़ा रिश्ता,
कहीं पे मर्यादाओं की डोर से बांधा,
कहीं पे दिया है लोक लाज का वास्ता,
कहीं माओं को बेघर करते बेटे,
कहीं पे किसी बहन बेटी को
बेआबरू करते ये बेटे,
भारत माँ भी अब चीख-चीख
अपना दामन बचा रही है,
कम्पन करके धरती माँ भी
अपनी व्यथा सुना रही है,
रूह पर रख कर हाथ ये बोलो
क्या ये तुझे रुला रही है,
फिर क्यों हर कदम पे
इनकी खुशियाँ लूट ली जाती है !
जब पैदा हो कर आई तो
बाप भाई पर भार,
बड़ी होकर जब कुछ करना चाहा तो
तुम सब ने ऊँगली उठाई बार- बार,
हाँ डरते थे तुम .... हाँ डरते थे तुम ....
कहीं राज न हमारा छिन जाये,
सदियों से पुरुष प्रधान
नारी न आगे बढने पाये,
आखिर क्यों इनकी सिसकियाँ
तुम तक नहीं पहुंची,
क्यों दामन लूटने वाले हाथ न कांपे,
क्यूँ बुढ़ापे में सहारे देने वाले बेटे,
वृद्धा आश्रम तक छोड़ आते,
ना चाहते थे हम कुछ,
बस चाहते थे हम भी उड़ना
इन फिजाओं में तुम्हारी तरह,
ना चाहते थे कोई बंधन,
बस चाहते थे अपना एक अस्तिव  !

 
--जानवी अग्रवाल, कोलकाता.

आजादी आधी आबादी की

महाभारत का बैड ब्यॉय दु:शासन
ने भरी सभा में महारथियों के बीच सरेआम द्रौपदी की आबरू को नीलाम करने का दुस्साहस दिखाया था.आज की अत्याधुनिका अपनी साड़ी स्वयं उतारने को उतावली है.
   नारियों और दलितों के प्रति समाज की अतीत में जो ओछी मानसिकता रही, उसके लिए हमारा समाज आज प्रायश्चित कर रहा है.दलितों की पैरोकारी नेत्री बहन मायावती कर रही है तो नारी जगत की कमान अभिनेत्री विपाशा बसु ने थाम ली है.मलाइका अरोड़ा बीड़ी सुलगाने की सुपाच्य सलाह देकर शरीर में सिहरन और दिल में धड़कन पैदा कर रही है.
   औरत की छप्पड़फाड़ आजादी आज की चड्ढीफाड़ राजनीति से होड़ लेती नजर आ रही है. नारी विमर्श का शोर चारों ओर है.मन्नू भंडारी तो दूर रही, मृदुला गर्ग, क्षमा शर्मा से लेकर तस्लीमा नसरीन जैसी मादा हस्तियाँ नारी की दशा और दिशा के चिंतन में दुबली होती जा रही है. वोट बैंकर्स की पैनी नजर भी कुछ कम नहीं जमी हुई है.
    कभी प्रथम राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की आत्मा भी निरीह नारी उर्मिला की दुर्दशा से आहत होकर रो दी थी-
     अबला तेरी हाय! यही कहानी,
     आँचल में दूध और आँखों में पानी!
काश! गुप्त जी आज जिन्दा होते, बाइक पर सवार नफासत के साथ ड्राइव करती बालाओं की अजीब भाव-भंगिमाओं और चमत्कारिक प्रदर्शन को देख स्वयं सिगरेट सुलगाते रोमांटिक मूड में वे एक फ़िकरा जरूर फेंक देते-
   बाले, तेरी जींस में कसी जवानी,
   पॉकेट में मोबाइल और आखों में शैतानी!
पिद्दी सा यह लघुयंत्र मोबाइल औरतों के मुंह और कान के साथ कुछ अधिक छेडछाड करता है.नामुराद मौका-बेमौका जिद्दी बच्चा सा ठुनकता रहता है.द्वापर का कृष्ण कभी मुरली की टेर सुनाता था, कलियुग की नई नस्ल आज मैसेज भेजती है.धक्-धक् गर्ल माधुरी कभी चोली के आगे-पीछे दिल की बात बताती थी, लेकिन आज कोई उससे पूछे तो वह ईमानदारी से मोबाइल का राज बताएगी.
   नई शिक्षा नीति ने नारीजगत को नया तेवर प्रदान किया है.उसका मानसिक फलक विस्तारित हुआ.ठेल-ठाल कर मैट्रिक पास वर को भी वधू इंटर पास चाहिए.वधू नौकरीशुदा हो तो दहेज का सूचकांक औंधे मुंह गिरने को बेताब रहती है.दुधारू गाय की लताड़ भली

ये देखिए, क्या आपने देखी है बेबी ऐश की तस्वीर!



बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय के माँ बनने के बाद अब सभी उनकी बेबी की तस्वीर देखने के उत्सुक हैं| अभी तक बच्चन परिवार ने तो बेबी ऐश की कोई भी तस्वीर सार्वजनिक नहीं कि है मगर इंटरनेट पर कई फर्जी तस्वीरें हैं जिन्हें कहा जा रहा है कि यह ऐश और उनकी बच्ची की है|सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक व अन्य वेब साइटों पर इस तरह की फर्जी तस्वीरें छाई हुई हैं|

ऐश के ससुर अमिताभ बच्‍चन ने यह भी कहा है कि इंटरनेट पर ऐश्‍वर्या की उनकी बच्‍ची के साथ कई तस्‍वीरें जारी की गई हैं, लेकिन वे सभी फर्जी हैं।ऐश ने बुधवार को सेवन हिल्स अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था|

बच्चों को पूरा प्रेम दिया जाए, उनकी हर मांग जुबान से निकलने के पहले पूरी भी कर दी जाए तो भी वे अक्सर हमारे नियंत्रण से बाहर हो ही जाते हैं। ये समस्या आजकल हर दूसरे परिवार में है कि संतानों को सारे सुख-सुविधा देने के बाद भी एक समय ऐसा आता है जब माता-पिता और परिवार का महत्व बच्चों के लिए कम हो जाता है।

आखिर हमारी परवरिश में कहां कमी रह जाती है। वो कौन सी बात है जो हम बच्चों को सीखाना चूक जाते हैं। वो चीज है भक्ति। संतानों के जीवन में भक्ति का प्रवेश बालकाल में ही हो जाए तो बेहतर होता है।

साजन तुम्हारी याद

मुझको कभी जगाए ये सारी-सारी रात 
कभी निंदिया की आगोश में, हो तुमसे मुलाक़ात  
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद 
कभी चुभन तो कभी सपन है साजन तुम्हारी याद 
है सबब उदासी का कभी तो कभी हँसी लब पर 
कभी तुम्हारी आहट सुन लूँ पलकें मूंद कर 
चन्चल हँसमुख हूँ बहुत, हर महफ़िल की जान 
कभी मैं खुद को ढूँढ रही हूँ, खुद से हूँ अंजान 
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद 
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद  
आग कभी है, कभी सबा है  
कभी है सहरा, कभी दरिया है 
चाँद की ठंडक, है सूरज की जलन भी  
है ये हक़ीक़त, मृगतृष्णा में मन भी ,  
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद 
कभी आस तो कभी प्यास है साजन तुम्हारी याद



--श्रद्दा जैन,सिंगापुर

तवायफ: एक दर्द, एक कहानी.

हुश्न के जलवो की
देखो 
क्या अजब क्या बात है
घिसे देह आबरू अपनी
परोसे  जिस्म हर नयी रात है.
...
हवस की आग बुझाने  को 
लगा दी जिंदगी में जो आग है
हर सुबह बेवा बने वो 
हर रात उसकी सुहाग है.
...
जिस्म के चीथड़े लपेटे ,
रूह आज उसकी बदनाम है,
जिंदा गोस्त खाने जो दौड़े,
वो इस सितम पर क्यूँ हैरान हैं?
...
रोटी के टुकड़ों  के खातिर,
टुकड़े कपड़ों के हो गये,
जिस्म्फरोशों से हमे क्या,
मुसाफिर ये कह कर सो गये.


---सुब्रत गौतम "मुसाफिर"

अनार में छिपे हैं भरपूर जवानी के राज


अनार में छिपे हैं जवानी के राजक अनार सौ बीमार वाली कहावत तो आपने सुनी होगी. दरअसल सदियों से माना जा रहा है कि यह फल सैकड़ों बीमारियों में फायदा पहुंचाता है. अनार हृदय रोगों, तनाव और यौन-जीवन के लिए बेहतर माना जाता है.


 उम्र बढ़ने के बावजूद यदि आप जवान दिखना चाहते हैं, तो आपको फौरन अनार कासेवनशुरूकरदेनाचाहिए.कुदरतकायह हसीन तोहफा युवावस्था की अचूक दवा है.



ताजा अध्ययन भी इस पारंपरिक सोच की तस्दीक करते हैं. एक नये अध्ययन के अनुसार अनार डीएनए के उम्रदराज होने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है.
स्पेन की प्रोबेल्टबायो लेबोरेटरी के अध्ययनकर्ताओं ने एक माह तक 60 स्वयंसेवकों को अनार का गूदा, छिलका और बीज कैप्सूल की शक्ल में प्रति दिन एक माह तक दिये गये.

चाचा से शादी रचाने वाली भतीजी की चिता जलाई

रूद्र ना० यादव/०९
नवंबर २०११
अय मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया, जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया.
मुरलीगंज के सिंगियान गाँव की कहानी पूरे जिले को शर्मशार करने वाली है.गाँव के ही अनुपम कुमारी और मुकेश यादव ने जहाँ रिश्तों को कलंकित किया वहीं अनुपम की हत्या कर उसके परिवार वालों ने भी दरिंदगी का परिचय दिया.अनुपम कुमारी की हत्या कर उसे उसी चिता पर जला दिया गया जिस पर अभी-अभी इस परिवार के मुखिया को जलाया गया था.
   कहानी शुरू होती है मुकेश यादव का अपनी भतीजी से साथ बने प्रेम-सम्बन्ध से.बताते हैं कि घर में ही यह पवित्र रिश्ता इस कदर दागदार हो गया कि चाचा और भतीजी के बीच शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित हो गए.अनुपम की शादी परिवार के लोगों ने अन्यत्र कर दी पर अनुपम चाचा मुकेश के बिना रह न सकी.ससुराल से भागकर गाँव आयी तो मुकेश उसे भगा ले गया.दोनों ही पति-पत्नी के रूप में हरियाणा जाकर रहने लगे.दो महीने हरियाणा में रहने के बाद दोनों ने हिम्मत जुटाई और समाज को धता बताकर इसी साल २६ अगस्त को नोटरी पब्लिक के सामने शपथ लेकर इस नाजायज शादी को कानूनी जामा पहनाने का प्रयास किया.इसके बाद तो हद तब हो गयी जब दोनों पति-पत्नी बनकर सिंगयान में ही रहना शुरू किये.समाज इनके रिश्ते पर आग बबूला होता रहा पर प्रेम में अंधे मुकेश और अनुपम को कोई फर्क नहीं पड़ा.

   मामले ने मोड़ उस समय लिया जब इसी परिवार का एक वृद्ध भूमि यादव मरा.परिवार भूमि यादव को जलाकर भोज की तैयारी में लग गया.गाँव वालों को जब इस भोज में निमंत्रण दिया

पांच चीजें ऐसी जिन्हें खाएंगे तो याददाश्त हो जाएगी बहुत तेज



क्या आप भूलने की आदत से परेशान हैं? तो घबराइए नहीं ये परेशानी आजकल आम हो चूकी है। अच्छा खान-पान न होना भी याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण है। लेकिन रोजमर्रा के जीवन में इन पांच चीजों का नियमित सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ये पांच चीजें आपके स्नायुतंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही आपकी याददाश्त भी बढ़ाएंगी।

  सेब- जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु कमजोर हों, वे अगर रोज सेब का सेवन करें तो स्मरण शक्ति बढ़ती है।  इसके लिए रोज दो सेब बिना छिले खाना चाहिए।

 आंवला- स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रोज सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं।

 - प्रतिदिन अखरोट का सेवन करें। शहद को हर रोज किसी न किसी रूप में लेने से याददाश्त अच्छी रहती है।

वो दाम्पत्य सबसे ज्यादा खुशहाल है जिसमें ये पांच बातें हों...



गृहस्थी कौन सी सबसे ज्यादा सुखी मानी जाती है। इस बात को लेकर लंबी बहस हो सकती है लेकिन सच तो यही है कि गृहस्थी वो ही सबसे ज्यादा सुखी है जहां प्रेम, त्याग, समर्पण, संतुष्टि और संस्कार ये पांच तत्व मौजूद हों। इनके बिना दाम्पत्य या गृहस्थी का अस्तित्व ही संभव नहीं है।

अगर इन पांच तत्वों में से कोई एक भी अगर नहीं हो तो रिश्ता फिर रिश्ता नहीं रह जाता, महज एक समझौता बन जाता है। गृहस्थी कोई समझौता नहीं हो सकती। इसमें मानवीय भावों की उपस्थिति अनिवार्य है।

आइए, भागवत में चलते हैं, देखिए महान राजा हरिश्चंद्र के चरित्र और उनकी पत्नी तारामति के साथ उनके दाम्पत्य को। हरिश्चंद्र अपने सत्य भाषण के कारण प्रसिद्ध थे।

अपने प्रेम को कैसे बनाया जा सकता हैं अजर-अमर

रिलेटेड आर्टिकल
महाभारत का युद्ध खत्म हो गया था। युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर की राजगादी संभाल ली थी। सब कुछ सामान्य हो रहा था। एक दिन वो घड़ी भी आई जो कोई पांडव नहीं चाहता था। भगवान कृष्ण द्वारिका लौट रहे थे। सारे पांडव दु:खी थे। कृष्ण उन्हें अपना शरीर का हिस्सा ही लगते थे, जिसके अलग होने के भाव से ही वे कांप जाते थे। लेकिन कृष्ण को तो जान ही था।

पांचों भाई और उनका परिवार कृष्ण को नगर की सीमा तक विदा करने आया। सब की आंखों में आंसू थे। कोई भी कृष्ण को जाने नहीं देना चाहता था। भगवान भी एक-एक कर अपने सभी स्नेहीजनों से मिल रहे थे। सबसे मिलकर उन्हें कुछ ना कुछ उपहार देकर कृष्ण ने विदा ली। अंत में वे पांडवों की माता और अपनी बुआ कुंती से मिले।

ऐसे करेगी अपील तो लोग बेकाबू हो ही जाएंगे

ये दोनों चीन के लोगों से शाकाहारी बनने की अपील कर रहे थे। लोगों को उनके अपील से ज्‍यादा उनको देखने में रूचि थी। लोगों का ध्यान खींचने के लिए इनका यह नायाब तरीका उन्‍हें महंगा पड़ गया। चीन की सड़कों पर पिछले दिनों  युवक-युवती ने हलचल मचा दी। दरअसल ये दोनों लड़के लड़कियां बॉडी पेंट कर सड़क पर लोगों से शाकाहारी बनने की अपील करने उतरे थे।



  पेटा के ऐक्टिविस्ट ये काफी कम कपड़ों में थे। जहां लड़की ने अपने शरीर को हरे रंग से पेंट किया था वहीं लड़का ब्‍लू रंग से खुद को पेंट किया था।

कविता- ठंढा का फंडा

था कभी बोतल में,कीट का अंदेशा;
मिल गया अब कीट नाशक का संदेशा .
गला फाड़ क्यों चीख रहा है अखबार?
इतनी नासमझ तो  नही है अपनी सरकार!
            क्या बोतल का माल यूँही सड़ने दे?
            स्वास्थ्य की चिंता कंपनी को न करने दें?
            'ठंडा का फंडा'भोली जनता क्या जाने,
            नही जानती वह बेचारी पेस्टीसाईड के माने.
उसकी 'अमृत पेयजल योजना' भी हुई बेकार,
नेताओं को है बस उसके वोट की दरकार.
पाइराईट और आर्सेनिक युक्त जहरीला जल,
पी लेती बेचारी जनता,मानकर उसे गंगाजल.
         चर्मरोग और आंत्रशोथ ने मचाया हाहाकार,
        लेकिन काटती चक्कर बोतल की  हमारी सरकार.

                                        --पी० बिहारी 'बेधड़क'
                              अधिवक्ता,सिविल कोर्ट मधेपुरा

माँ

जिसने जो चीज गढा
होता है
उसमे उसका प्यार छिपा होता है
चाहे कवि की कविता हो
या हो वह चित्रकार का चित्र
मृदुल हाथों के फेरे व् बनते घड़े
कुम्भकार के अहसासों के चेहरे हैं
कोई पूछे उस माँ से जो
अपनी सृष्टि हेतु सर्वस्व लुटाती है
खुद तो खाती है वह पगली पत्थर
क्यूं आँचल से लाल छिपाती है.
संदेहों में सर्वस्व खड़ी आज
रिश्तों की लंबी फेहरिश्तें हैं.
ऐसे काले-कलयुग में भी
माँ की रसभरी ममता का साया
तपती धूप में शीतल छाया है.
लेते जन्म पुत्र-कुपुत्र अभी भी
कुमाता माता भला किसने पाया है
खुद के स्वार्थ को हम भूलें
सुध लें उसकी,
जिसने हमें दी काया है,
जिसने हमें दी काया है.

-नीरज कुमार(पूर्व ईटीवी संवाददाता,मधेपुरा.)

जल्द ही मिल सकता है चश्मे से छुटकारा


चश्मे से छुटकारा 
पढ़ने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करने पर मजबूर लोगों को जल्द ही अपनी इस मजबूरी से छुटकारा मिल सकता है.   

वैज्ञानिकों ने एक नयी चिकित्सा पद्धति विकसित की है जिसमें आंखों के अंदर एक तरह का प्लास्टिक प्रतिरोपित कर चश्मे की जरूरत को खत्म किया जा सकता है. ‘जेड कामरा’ नाम की इस शैली के प्रायोगिक परीक्षणों में काफी अच्छे परिणाम मिले हैं.
‘डेली टेलिग्राफ’ के अनुसार इस शैली में लेजर की मदद् से कॉर्निया (आंखों के बाहरी लेंस) में एक हल्का सा छेद कर काफी महीन परत डाल दी जाती है. इससे आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करने में सहूलियत होगी और स्पष्ट और साफ देखा जा सकेगा.

कॉफी रोजाना कम से कम पांच कप कॉफी पीने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोजाना कॉफी का पांच कप सेवन महिलाओं को घातक स्तन कैंसर की बीमारी से बचाता है. स्वीडन के कारोलिंसा इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है रोजाना कैफीन का सेवन महिलाओं में स्तन कैंसर के कारक को बढ़ने से रोकने में सहायक साबित होता है. गौरतलब है कि स्तन कैंसर की स्थिति में कीमोथरेपी ही इसके उपचार का एकमात्र विकल्प है. डेली एक्सप्रेस के अनुसार शोधकर्ताओं ने इसके लिए छह हजार ऐसी महिलाओं से संबंधित आंकड़े जुटाए, जिनकी रजोनिवृत्ति हो चुकी थी.


 कॉफी 
रोजाना कम से कम पांच कप कॉफी पीने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोजाना कॉफी का पांच कप सेवन महिलाओं को घातक स्तन कैंसर की बीमारी से बचाता है. 

स्वीडन के कारोलिंसा इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है रोजाना कैफीन का सेवन महिलाओं में स्तन कैंसर के कारक को बढ़ने से रोकने में सहायक साबित होता है.
गौरतलब है कि स्तन कैंसर की स्थिति में कीमोथरेपी ही इसके उपचार का एकमात्र विकल्प है.
डेली एक्सप्रेस के अनुसार शोधकर्ताओं ने इसके लिए छह हजार ऐसी महिलाओं से संबंधित आंकड़े जुटाए, जिनकी रजोनिवृत्ति हो चुकी थी


मेरी गुड़िया


मेरी गुड़िया कितनी प्यारी,
यह है सारे जग से न्यारी.
इसकी आँखें छोटी-छोटी,
होठों पर इसके है लाली.
मुंह पर इसके तिल है काला,
पहनी है मोती की माला.
अच्छा सा दूल्हा मिल जाए,
तो मेरी चिंता मिट जाए.
फिर मैं इसका ब्याह रचाऊं,
और खुशी से नाचूं गाऊं.


-आस्था,वर्ग-स्टैंडर्ड-I, होली एंजेल्स स्कूल,मधेपुरा.(madhepura time)

ये प्रेम के कौन से मोड आ गये

ये प्रेम के कौन से मोड आ गये
जहाँ लम्हे तो गुजर गये
मगर हम बेजुबाँ हो गये
कहानी कहते थे तुम अपनी
और हम बयाँ हो गये
ये बादल मेरी बदहाली के
क्यूँ तेरी पेशानी पर छा गये
इस रूह के उठते धुयें मे
तुम कैसे समा गये
काश!
कोई नश्तर तो चुभता
कुछ लहू तो बहता
कुछ दर्द हुआ होता
तो शायद
तेरा दर्द मेरे दामन से
लिपट गया होता
फिर न यूँ रुसवाइयों
के डेरे होते और
जिस्म के दूसरे छोर पर
तुम मेरे होते
जहाँ रूहों के रोज
नये सवेरे होते
मगर ना जाने 
ये कैसे प्रेम के
मोड़ आ गए
जो सिर्फ भंवर 
में ही समा गए
अब ना तुम हो
ना मैं हूँ 
ना भंवर है 
बस प्रेम का ये 
मोड़ सूखे अलाव 
 ताप रहा है
 
वंदना गुप्ता,दिल्ली

2 खास रात्रियां..जिनमें भंग नहीं होता ब्रह्मचर्य!



अक्सर बोला और सुना जाता है कि पति-पत्नी का साथ एक नहीं सात जन्मों का होता है। यह बात भावनात्मक अधिक और व्यावहारिक कम लगती है। किंतु धर्मशास्त्रों में बताई विवाह परंपरा से जुड़ी कुछ खास बातें इस बात को सार्थक साबित करती है।

दरअसल, हिन्दू धर्म में विवाह एक संस्कार और गृहस्थी को धर्म माना गया है। धर्म के नजरिए से इसके पीछे पितृऋण और कुटुंब रक्षा के लिए संतान उत्पत्ति, खासतौर पर पुत्र प्राप्ति ही प्रमुख उद्देश्य है। जिसके द्वारा मृत्यु उपरांत भी पीढ़ी दर पीढ़ी श्राद्ध, यज्ञ, दान आदि द्वारा धर्म व पुण्य कर्म संचित किए जाते रहें।

वहीं इसमें मानवीय जीवन के व्यावहारिक पक्ष से जुड़ा पहलू भी साफ हैं। जिसके मुताबिक प्रेम को केन्द्र में रखकर मर्यादा के साथ स्त्री-पुरुष की इन्द्रिय कामनाओं को पूरा किया जा सके। जिससे भावनाओं में पवित्रता बनी रहे और वे पशुओं के समान व्यवहार से दूर रहें।

इस तरह विवाह संस्कार भाव शुद्धि के नजरिए से आध्यात्मिक तप के समान भी है। यही कारण है कि इसके तहत स्त्री-पुरुष के लिए विकार नहीं बल्कि शुद्ध विचार, संयम व त्याग भाव की प्रधानता के साथ संतान उत्पत्ति के लिये विशेष घडिय़ा नियत भी की गई है। जिसे गर्भाधान काल के रूप में शास्त्र सम्मत भोग भी माना गया है।

महाराज मनु के मुताबिक इन घडिय़ों के तहत कुछ विशेष रात्रियां और तिथियां नियत हैं। यहीं नहीं इनमें से भी दो विशेष रात्रियों या तिथियों में स्त्री से मिलन करने वाला गृहस्थ पुरुष भी ब्रह्मचारी माना गया है, यानी उसका ब्रह्मचर्य सुरक्षित रहता है। जानते हैं ये शास्त्रोक्त तिथियां -

यह दो खास तिथियां या रात्रि स्त्रियों के ऋतुकाल यानी रजोदर्शन के पहले दिन से 16वीं रात्रि तक के काल में आती हैं।

इस भोले-भाले चेहरे पर तरस खाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि..


इस दौरान पति फिर योजनाबद्ध तरीके से अंगूठी या सोने का कंगन देखने लगता था। उस जेवर को भाव पूछने के बाद वह जेब में पर्स टटोलने का दिखावा करता और अपनी पत्नी से कहता कि रुपयों का बंडल तो मोटरसाइकिल की डिक्की में छूट गया है। इस दौरान उसकी पत्नी जेवर पहनकर आईना देखने का नाटक करती थी। वह दुकान के बाहर जाकर मोटरसाइकिल की डिक्की से पर्स निकालने के बहाने गाड़ी स्टार्ट करता। कुछ संकेत मिलते ही पत्नी तेजी से बाहर आती और गाड़ी में बैठकर दोनों रफू चक्कर हो जातथे।


रायपुर। अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी की चर्चित फिल्म बंटी-बबली की तर्ज पर चोरी करने वाली ठग दंपति सोमवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गए।


 
भोले-भाले चेहरे का फायदा उठाकर पति-पत्नी ग्राहक बनकर ज्वेलरी शॉप में ठगी करते थे। क्राइम ब्रांच के जासूसों के सामने उनकी पोल खुल गई और दोनों पकड़े गए।

ऐसा होना चाहिए घर के मुखिया का व्यवहार



अगर हम घर में बड़े हैं तो यह ध्यान रखें कि हमें ही सबसे ज्यादा लचीला होना पड़ेगा। घर का नेतृत्व तटस्थ ना हो तो कलह होना तय है। ये हमेशा याद रखें कि हर युवा पीढ़ी अपने साथ कुछ नए नियम भी आते हैं। पुरानी पीढ़ी को इसे स्वीकार करना चाहिए। पुराने लोग पुरानी परंपरा पर ही ना टिकें। नए परिवर्तनों को स्वीकार करें।

परिवार की कोई परंपरा या नियम शाश्वत नहीं हो सकता। हर नियम को एक दिन बदलना ही पड़ता है। परिवार में सबसे ज्यादा परिवर्तन तब आते हैं जब कोई नया सदस्य आता है। जैसे घर में बहू का आना। जब घर में बहू आती है तो वह अपने साथ नई परंपराएं, संस्कार और सभ्यता लेकर आती है। उसके साथ कुछ नए विचारों का भी गृहप्रवेश होता है। उनका स्वागत किया जाना चाहिए।

जब पुरानी पीढ़ी नए विचारों को हजम नहीं कर पाती है, तो परिवार में विघटन शुरू हो जाता है। विघटन की जिम्मेदार अक्सर नई पीढिय़ों को बताया जाता है लेकिन कभी ऐसा भी सोचा जाए कि शायद पुरानी पीढ़ी नए विचारों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाई हो। 

पांडवों के परिवार में चलते हैं। द्रौपदी का स्वयंवर हुआ। पांचों भाई कुटिया में लेकर पहुंचे द्रौपदी को लेकर। मां ने बिना देखे ही

प्‍यार में जल्‍दबाजी ठीक नहीं


 


अगर आप प्‍यार का इजहार जल्‍दी करने में विश्‍वास करते हैं तो आपकी यह आदत आपको गर्लफ्रेंड से दूर कर सकता है। क्‍योंकि  हाल ही में अमेरिका के एक इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि महिलाएं जल्दी यानी तीन महीने की रिलेशनशिप में प्यार के इजहार करने वाले शख्स पर विश्वास नहीं करती है।  इसके विपरीत महिलाएं ऐसे मर्दों के वरीयता देती हैं, जो उनके साथ रिलेशनशिप में काफी समय लेते हैं और फिर अपने प्यार का इजहार करते हैं।

सर्वे में पता चला है कि पुरुष, महिलाओं की अपेक्षा 6 हफ्ते जल्दी ही अपने प्यार का इजहार कर देते हैं। अर्थात पुरुष 97.3 दिनों में अपने प्यार का इजहार कर देते हैं।

रिसर्चर्स का कहना है कि ऐसा लगता है कि जल्दी प्यार का इजहार करने के पीछे पुरुषों का मकसद सेक्स संबंध स्‍थापित करने की तीव्र इच्छा होती है।

सेक्स के मामलों में ज्‍यादा रिस्‍क लेते हैं भारतीय



 
अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में सामने आया कि असुरक्षित सेक्स के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं। भारत में 72 प्रतिशत लोगों ने नए साथी के साथ बिना किसी सुरक्षा के सेक्स करते हैं।
यह सर्वेक्षण अनियोजित गर्भधारण और यौन संचारित संक्रमणों पर केंद्रित था। इस सर्वे में 11 अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन शामिल थे।
 अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में सामने आया कि दुनिया में 40 फीसदी युवाओं को सेक्स के दौरान गर्भनिरोधकों को प्राप्त करने में परेशानी होती है।

मात्र एक गोली से हो जाएंगे सारे बाल काले


हम सलाह देंगे कि यह गोली बाल पकने से पहले लें, क्योंकि हमें नहीं लगता है कि यह सफेद बालों को काला कर सकेगी। साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया है कि यह गोली महंगी नहीं होगी।सफेद बालों को छूपाने के लिए काफी कवायत करनी पड़ती है। क्‍योंकि सफेद बाल बुढ़ापे का संकेत देते हैं।   लेकिन अब इन बालों को छूपाने के लिए कवायत करने की जरूरत नहीं क्‍योंकि वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक गोली बनाई है, जो बालों की सफेदी से बचा देगी।



उनका कहना है कि इस गोली को फल से तैयार किया गया है।  आमतौर पर बाल तब पकने लगते हैं, जब वे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं। इस स्ट्रेस के तहत बालों की कोशिकाएं नुकसानदेह तत्वों का आसानी से शिकार हो जाती हैं। गोली इस प्रोसेस से सुरक्षा देगी।

कॉस्मेटिक्स बनाने वाली एक ग्लोबल कंपनी की टीम ने यह गोली बनाई है। इस कंपनी के हेयर बायॉलजी डिपार्टमेंट के हेड ब्रूनो बर्नाड ने कहा कि इसे डायट सप्लिमेंट की तरह लेना होगा।  

बिग बी और जिया खान के इस किस ने मचा दिया था हंगामा

बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन की 2007 में आई फिल्म 'निशब्द' को लेकर बहुत विवाद हुआ था। इस फिल्म के डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा थे।

यह फिल्म 1986 में आई राजेश खन्ना की फिल्म अनोखा रिश्ता से प्रेरित बताई जा रही थी। इस फिल्म में अमिताभ शादीशुदा होते हैं व उनकी एक बेटी भी होती है। अमिताभ अपनी ही बेटी की दोस्त बनी जिया खान से प्यार करने लगते हैं।

इस फिल्म में बिग बी और जिया खान के बीच कई अंतरंग सीन दिखाए गए हैं। इन्हें लेकर काफी विवाद भी हुआ था। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और जिया खान के अलावा आफताब शिवदसानी और रेवती भी थे। फिल्म की शूटिंग केरल के मुन्नार में की गई थी। यह फिल्म केवल 20 दिनों में शूट कर ली गई थी।

मां तो बस मां होती है

मां तो बस मां होती है
बेहद छोटा पर उतना ही प्यारा शब्द है-मां। यह अपने भीतर ममता
का अथाह सागर समेटे हुए है। कहा जाता है कि जब ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना की तो उसके लिए हर जगह खुद मौजूद होना संभव नहीं था। तो संसार की हिफाजत के लिए उसने मां को बनाया। मां के प्यार की कोई सीमा नहीं होती। वह बच्चे को बिना किसी शर्त के प्यार करती है और समस्त कमियों के साथ उसे सहर्ष स्वीकारती है। जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने भी तो कहा है, ..कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि माता कुमाता न भवति (पुत्र तो कुपुत्र हो सकता है, पर माता कुमाता नहीं होती)। सच, मां की ममता अनमोल होती है।
सहज है मातृत्व भाव
मातृत्व की भावना हर स्त्री में जन्मजात रूप से होती है। जन्म दिए बिना भी वह उसी शिद्दत से बच्चे को प्यार करती है, जैसा कि उसे जन्म देने वाली मां करती है। इस संबंध में मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता कहती हैं,