देह से परे

स्त्री देह ही नहीं ...
किसी भी देह से परे बहुत कुछ होता है
जहाँ प्यार ख्याल एहसासों की तहरीर होती है
लिखे होते हैं कुछ अनगाये गीत
लहराती हैं कुछ कोपलें
बया के घोसले सा होता है एक ख्याली घर
जिसमें सपनों के खिलौने होते हैं
ना तोड़ो उस खिलौने को
तो सामर्थ्य अदभुत होता है
धरती आकाश एक करने की क्षमता होती है ...
देह तो आधार है विश्वास का
इसमें सृष्टि का प्रकृत गान होता है
अर्धनारीश्वर का सत्य प्रस्फुटित होता है
....................
माँग, ज़रूरत तो दोनों की है
और पूर्णता का आभास
छिनने में नहीं
आपसी समर्पण में है
द्वैत से अद्वैत की यात्रा आपसी स्वीकृति में है
देह तीर्थ है
इसकी यात्रा बड़ी लम्बी होती है
सिर्फ आस्था ही हर मनोकामना पूरी करती है !...



--रश्मि प्रभा,पटना

अन्ना की आंधी

 जब जब गांधी जन्म है लेता
युग एक करवट लेता है.
अन्ना की अब तो आंधी है
नए युग का वह गांधी है.
भ्रष्टाचारियों गद्दी छोड़ो
अब तो जनता फरियादी है
व्यवस्था में घुन लग गए
चोर है करते पहरेदारी
आम आदमी दिन-रात है पिसता
कटती भ्रष्ट अधिकारियों की चांदी है.
अब तो हमें जनलोकपाल 
लानी ही है,लानी ही है.
गिरफ्तार करो या दमन करो
जेल भरो या शमन करो
ये सैलाब विचारों वाली है.
व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन हैं करने
लाओ लोकपाल या गद्दी छोड़ो
अन्ना संग अब यह
सारे देश ने ठानी है.
अन्ना की अब तो आंधी है,
वह नए युग का गांधी है.

--नीरज कुमार (पूर्व ई-टीवी संवाददाता, मधेपुरा)
ई-मेल:neerajkumarnk@yahoo.co.in

जन्माष्टमी पर राशि के अनुसार क्या भोग लगाएं श्रीकृष्ण को?

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। प्रतिवर्ष इस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 22 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण व पूजा-पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन यदि श्रीकृष्ण को राशि के अनुसार भोग लगाया जाए तो वे बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्त के सभी कष्टों का तुरंत निवारण कर देते हैं। आईए, जानते हैं कि किस राशि का व्यक्ति श्रीकृष्ण को क्या भोग लगाएं-

मेष- मेष राशि के लोग लड्डू और अनार का भोग लगाएं तो अच्छा रहेगा।

वृषभ- इस राशि के जातक श्रीकृष्ण को रसगुल्ले का भोग लगाएं तो उनकी हर मनोकामना पूरी होगी।

मिथुन- मिथुन राशि के व्यक्ति काजू की मिठाई भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें। इससे इन्हे लाभ होगा।

कर्क- इस राशि के लोग मावे की बर्फी और नारियल का भोग लगाएं।

सिंह- सिंह राशि के लोग गुड़ व बेल का फल श्रीकृष्ण को भोग में चढ़ाएं।

कन्या- कन्या राशि के जातक प्रभु श्रीकृष्ण को तुलसी के पत्ते और नाशपाति अथवा कोई भी हरे फल का भोग लगाएं।

तुला- इस राशि के लोग कलाकंद और सेब का भोग लगाएं तो उनकी सभी मुश्किलें समाप्त हो जाएंगी।

वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले गुड़ की रेवड़ी व अन्य कोई गुड़ की मिठाई का भोग लगाएं।

धनु- इस राशि के लोग श्रीकृष्ण को बेसन की चक्की या अन्य कोई बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। इससे इनके सौभाग्य में वृद्धि होगी।

मकर- मकर राशि के लोग गुलाब जामुन और काले अंगूर का भोग लगाएं।

कुंभ- इस राशि के लोग चॉकलेटी रंग की बर्फी और चीकू चढ़ाएं।

मीन- मीन राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण को जलेबी और केले का भोग लगाएं। इससे इनके सभी रुके हुए काम शीघ्र ही हो जाएंगे।

मां से मिले संस्‍कार के कारण ही चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा: अन्‍ना



 
आज अन्‍ना आंदोलन बन चुके है। लेकिन यह कोई नहीं जानता कि अन्‍ना को भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए फौलादी इरादे किसने दी।
यूं तो अन्‍ना का बचपन गरीबी में बिता। लेकिन इनकी शक्ति बनी इनकी मां। घर में सभी बच्‍चों में ये बड़े थे इसलिए इन्‍हें अन्‍ना कहा जाता था। महाराष्‍ट्र में बड़े बच्‍चे को अन्‍ना कहा जाता है इसलिए इन्‍हें भी इनकी मां अन्‍ना कहती थी।
मां के द्वारा दिए गए संस्‍कार के कारण ही आज तक चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा।
74 साल की उम्र में भी अन्‍ना अपनी मां को भूल नहीं पाए हैं। मां ही उनकी पहली शिक्षिका थी। मां के द्वारा दिए गए संस्‍कार के कारण ही आज तक चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा। वे आगे कहते हैं कि मां से संस्‍कार नहीं मिलता तो मैं यहां नहीं होता।
बचपन से पढ़ने में होशियार अन्‍ना गांव में पतंग उठाने में माहिर थे। पतंग उड़ाने के लिए वे मांजा खुद तैयार करते थे। अपने द्वारा बनाए गए मांजा से दूसरों के पतंग काटने में अन्‍ना को बहुत मजा आता था।
पिता की बदहाली ने अन्‍ना को फौलाद बना दिया। वे 13 साल की उम्र में मामा के साथ मुबंई आ गए। उन्‍हें बचपन से रिश्‍वत लेने वालों से नफरत था। एक दिन एक पुलिस वाले को रिश्‍वत लेते देख खुद को रोक नहीं पाए और डंडे से पुलिसवाले की पिटाई कर दी। चोट इतना गंभीर था कि 8 टांके लगाने पड़े।

ऐसे तो खत्‍म हो जाएगी शादी जैसी परंपरा



 
अब तक अमेरिका और इंग्‍लैंड में शादी जैसी परंपरा के खत्‍म होने से समाजशास्‍त्री परेशान थे लेकिन अब यह बयार एशिया में भी दिखने लगा है।

एशिया में शादी को लेकर पारंपरिक धारणा तेजी से बदल रही है और अकेले रहने वालों की तादात तेजी से बढ़ रही है। अकेले रहने वालों में महिलाओं की संख्‍या ज्‍यादा है।

महिलाओं का कहना है कि पसंदीदा पार्टनर नहीं मिलने के कारण वे अकेले रहना पसंद कर रही हैं। साथ ही कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शादी के बाद स्‍वतंत्रता छिन जाती है।

हांलाकि एशिया के अधिकतर हिस्‍सों में शादियां अभी भी आम है और लिव इन रिलेशनशिप में रहना बुरा माना जाता है।

जबकि यूरोपियन देशों में आधी शादी का अंत तलाक से होता है। और कुल पैदा हुए बच्‍चे में आधे बच्‍चे कुवांरी मां के बच्‍चे होते हैं।

31 हवाइयों से दी जाएगी प्रभु के जन्म की बधाई



 
-गोविंद के दरबार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, हर झांकी में भक्ति का अनुपम संगम, कल मनेगा नंदोत्सव, निकलेगी शोभायात्रा।
जयपुर। शहर के आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में मनों श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा हो। गोविंद की भक्ति में लीन भक्त अपने आराध्य के दर्शनों को बेताब नजर आए। लला के जन्म की खुशियों से सराबोर भक्त गोविंददेवजी की प्रत्येक झांकी में दर्शनों के लिए उत्सुक नजर आए। सुबह मंगला से शुरू हुआ भक्तों के आने का सिलसिला कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। जय-जय-गोविंद और हर-हर-गोविंद के जयघोष से पूरा वातावरण भक्ति की अनूठे संगम में डूबा हुआ था। अपने आराध्य के दर्शनों की अभिलाषा डूबा भक्त ज्योंही गोविंद के समक्ष पहुंचता।
वह अपने को धन्य समझता। उधर कई भक्त अद्र्धरात्रि में कृष्ण जन्म अभिषेक के स्वरूप को निहारने के लिए बेताब हैं। रात्रि 12 बजे तिथि पूजा के साथ गोविंददेवजी का अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ ही 31 हवाइयों से ठाकुरजी के जन्म की बधाइयां दी जाएंगी। मंगलवार को सुबह 10 बजे नंदोत्सव मनाया जाएगा। शाम को 4 बजे शोभायात्रा निकलेगी, जो विभिन्न मार्गों से होकर पुरानी बस्ती के राधा-गोपीनाथ जी मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।

काश! जवानी सोच सकती; बुढापा कर सकता?

कैसी विधि की विडम्बना है कि यौवन होता है तो अकल नहीं होती और अकल आती है तो यौवन चला जाता है। जब तक माला गूंथी जाती है, फूल कुम्हला जाते हैं।

काश! जवानी सोच पाती; और बुढापा कर पाता?

जवानी के साथ जोश आता है, होश नहीं और जब होश आता है तो जोश ठंडा पड़ जाता है। 

यौवन एक नशा है जिसमें चूर होने के बाद मनुष्य को कुछ नहीं सूझता। जवानी दीवानी है और दीवानापन मनुष्य को अंधा बना देता है।

बुढापा समझदारी का पर्याय है, लेकिन शक्ति के अभाव में समझदारी केवल पश्चाताप ही कर पाती है।

जवानी जिन्दगी का ज्वालामुखी है जिसमें असीम शक्ति भरी है। यौवन में एक उत्तेजना है, अग्नि है जो चिंगारी पाते ही दहक उठती है।

यौवन में कल्पना है और बुढ़ापे में चिन्तन। जवानी में जीवनी शक्ति है और बुढ़ापे में संजीवनी बूटी।

जवानी जिन्दगी का बसंत है और बसन्त में बहार है। बुढापा जीवन का शरद है और शरद में समझदारी ठंडी पड़ जाती है।

यौवन एक प्रवाह है और मात्र प्रवाह में दिशा-बोध का अभाव रहता है।

बुढापे में दिशा बोध है और प्रवाह का अभाव है। यौवन में गति है, बुढापे में ज्ञान। ज्ञान गति का दिशा दर्शन करता है तभी यौवन प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। यौवन में आवेश है बुढापे में अनुभव, जवानी में संवेग है, बुढापे में विवेक।

काश! जवानी के स्पेयर पार्ट्स मिल पाते ताकि उन्हें बुढापे की मशीन में फिट किया जा सकता और बुढापे के अनुभव प्राप्य होते ताकि वे जवानी को दिशा बोध कर पाते।

उम्र के अनुरूप मिलता है सेक्स का आनन्द

 
मोहब्बत एक खूबसूरत अहसास है। इस अहसास को जाहिर करने का एक बेहतर जरिया है सेक्स। सेक्स को लेकर आज भी कई भ्रांतियां हमारे समाज में बनी हुई हैं।
सेक्स अगर एक तरफ उत्सुकता, भावना, अपनापन और प्यार को गहरा करने का माध्यम बन सकता है तो वहीं दूसरी तरफ ये असमंजस, अपराधबोघ, अवसाद, डर और गुस्से को भी बढा सकता है, क्योंकि सेक्स के प्रति हमारा नजरिया बहुत हद तक हमारे समाज, हमारी परवरिश और सेक्स की जानकारियों के स्त्रोतों से लेकर हमारे अनुभवों और बहुत हद तक हमारी उम्र पर भी निर्भर करता है।

83 फीसदी कॉलगर्ल्स का ‘शोरूम’ है फेसबुक



 
फेसबुक के माध्‍यम से सिर्फ डायरेक्टर अपनी फिल्म के लिए हिरोइन का चयन नहीं कर रहे बल्कि हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक ग्राहकों को लुभाने के लिए कॉल गर्ल्स ने भी इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

हाल ही में हुए सर्वे के मुताबिक 83 फीसदी कॉल गर्ल्स का फेसबुक अकाउंट है। हाई सोसायटी के ग्राहकों को फंसाने के लिए ऐसा किया गया है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए पहले ये फ्रेंड रिकवेस्‍ट भेजती हैं इसके बाद ये सेक्सी फोटो भी अपडेट करती हैं।

ये कॉल गर्ल्स ऐसे मैसेज लिखती हैं कि लोग पढ़ते ही इनका मकसद समझ जाएं। असल में, फेसबुक के जरिए इन्हें आसानी से ग्राहक मिल जाते हैं। साथ ही पकड़े जाने का डर भी नहीं रहता।

आवश्यक है सेक्स के बारे में जानकारी का होना

 
पुरातनकाल से सेक्स जीवन का महžवपूर्ण हिस्सा रहा है। सेक्स जीवन की सांस के साथ उस समय से जुड जाता है जब व्यक्ति बचपन से युवा उम्र में प्रवेश करता है।
यही वह समय है जब व्यक्ति को इस विषय पर सही जानकारी मिलनी चाहिए।
सेक्स के बारे में लोगों में अनेक भ्रांतियां बनी हुई हैं। अगर सही ढंग से चिकित्सीय सलाह दी जाए तो सेक्स रोगों में कमी आ सकती है।

खतरनाक है ऐसे लोगों से दोस्‍ती करना



 
अगर आप एक खूबसूरत पार्टनर के तलाश में हैं तो एक बार इस शोध पर विचार जरूर करें। क्‍योंकि शोधकर्ताओं का मानना है कि खूबसूरत लोग स्‍वार्थी होते हैं। वे स्‍वांत: सुखाय में विश्‍वास करते हैं।

ब्रिटेन की बार्सिलोना यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक जो व्यक्ति जितना सुंदर होता है वह उतना ही स्वार्थी होता है।

इतना ही नहीं वह किसी को मदद या सहयोग करने में भरोसा नहीं करते। वहीं कम सुंदर लोग मदद और सहयोग के लिए हमेशा खड़े रहते हैं।

खूबसूरत पार्टनर चुनने से पहले उसके व्‍यवहार और हाव भाव पर भी ध्‍यान दें।

पलंग के नीचे यह सामान रखने से बचें कुंवारे लड़के-लड़कियां


वास्तु शास्त्र सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है। अत: ऐसी वस्तुओं से नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है जिससे युवाओं के विचारों में भी नकारात्मकता पैदा होती है। उनका मन व्यर्थ की बातों में भटकने लगता है और उन्हें मानसिक शांति नहीं मिल पाती। इसी वजह से पलंग के नीचे एकदम साफ रखना चाहिए। वहां कोई भी सामान रखने से बचें।विवाह योग्य लड़के और लड़किया जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या व्यर्थ का सामान नहीं रखना चाहिए। इनसे वास्तुदोष उत्पन्न होता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि बेड भी अच्छा हो लेकिन फिर भी उस पर सोने वाले लड़के या लड़की की शादी नहीं हो रही है या अन्य कोई परेशानियां चल रही है तो निश्चित ही उन युवाओं के पलंग के नीचे वास्तुदोष उत्पन्न करने वाली वस्तुएं रखी हुई हो सकती हैं। वास्तुदोष उत्पन्न करने वाली वस्तुओं में लोहे का सामान, पुराना कबाड़ा आदि शामिल है।

सुंदर संतान चाहिए तो करें इस मंत्र का जप

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हर पति-पत्नी की यही अभिलाषा होती है कि उनकी संतान सुंदर, स्वस्थ व उत्तम आचरण वाली हो। इसके लिए वह अनेक मंदिरों में मत्था टेकते हैं, मुरादें मांगते हैं। इन सब के साथ यदि नीचे लिखे मंत्र का प्रतिदिन जप किया जाए तो निश्चित ही संतान उत्तम गुणों से भरपूर होती है। मंत्र इस प्रकार है-



मंत्र

ऐं क्लीं देवकी सुत गोविंद, वासुदेव, जगत्पते।

देहि में तनय कृष्ण, त्वाम अहं शरणं गत: क्लीं।।



जप विधि

- उत्तम व सुंदर संतान की प्राप्ति के लिए गर्भवती स्त्री सुबह जल्दी उठकर नहाकर भगवान लड्डू गोपाल की पूजा करें।

- लड्डू गोपाल की मूर्ति के सामने आसन लगाकर तुलसी की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।

- आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।

- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।

कोसीनामा-3

कोसी की पानी में ही नहीं बल्कि बिहार
में आने के बाद गंगा के पानी में भी काफी ताकत आ जाती है। गंगा और  कोसी का मैदानी इलाका जितना उपजाऊ है, उतनी ही उर्वरा शक्ति यहां की मिट्टी में भी है। कोसीनामा के पहले भाग में जिक्र किया गया था कि कोसी की दृष्टि सभी के लिए समान है। हर किसी को कोसी एक ही नजर से देखती है लेकिन जब पूरे इलाकाई भाषा की ओर गौर करें तो आप बिना गंभीर हुए नहीं रह सकते।
दिल्ली में अक्सर लोगों के मुंह से सुन सकते हैं, हरियाणवी को 'रोड' 'रोड़' नजर आता है और बिहारी को 'बिहाड़ी" कहना पसंद है। बिहार में भी सुन सकते हैं कि 'हवा बहती है, न बहता है, हवा बहह है।' ऐसे में दिल्ली में बिहार के लोगों को यह हमेशा सुनना पड़ता है कि उनमें लिंग दोष काफी अधिक होता है। उन्हें पता नहीं होता कि 'स','श' और 'ष' का उच्चारण कहां से होता है? उन्हें पता नहीं होता कि 'र' और 'ड़' का उच्चारण कहां होता है? ऐसा में 'रश्मि' का उच्चारण 'ड़स्मि' तो कभी कुछ और कर देते हैं। 'घोड़ा' को 'घोरा' भी कह देते हैं और हंसी के पात्र बनते हैं। जब दिल्ली में दिल्ली और यूपी के लोग उन्हें बतौर 'इंटरटेनमेंट आब्जेक्ट' के तौर पर लेते हैं तो बिहार के लोग परेशान हो जाते हैं। 'फ्रस्टेशन' के शिकार हो जाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं सूझता कि आखिर वे लिखते तो बढ़िया हैं लेकिन उच्चारण दोष क्यो हो जाता है। उन्हें क्यों नहीं पता है कि स्त्रीलिंग क्या है और पुलिंग क्या?
क्या आपको मालूम है कि बिहार की दो भाषाएं मसलन मैथिली और भोजपुरी, दोनों में पुलिंग और स्त्रीलिंग का अलग-अलग प्रयोग नहीं होता। यही नहीं, इन दोनों भाषाओं की जितनी 'सिस्टर लैंग्वेज' यानी अंगिका, मगही, वज्जिका आदि भाषाओं में भी चाहे पुरुष हो या स्त्री, सभी के लिए एक ही तरह का संबोधन है। कोसी और गंगा की पानी सभी के लिए समान है। हिन्दी में जब हम बात करते हैं तो पुरुष को कहते हैं, 'तुम जा रहे हो', वहीं महिला को कहेंगे, 'तुम जा रही हो' लेकिन जब हम मैथिली में बोलेंगे तो कहेंगे, 'अहां जा रहल छी।' मैथिली में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला पुरुष है या स्त्री। मैथिली या कोसी में पुरुष और स्त्री के भेद न होने के कारण जो छात्र वहां पढ़ाई करते हैं वे हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी में इनके अंतर को समझते हैं लेकिन घर आते-आते भूल जाते हैं कि  पुरुष से कैसे और स्त्री से कैसे बात करनी है।
दिल्ली के स्कूलों और कॉलेजों में 'बड़ी ई', 'छोटी इ', 'बड़ा ऊ', 'छोटा उ' जैसे शब्द खूब सुनने को मिलेंगे। शुरू में जब बिहार के छात्र यहां पढ़ाई करने आते हैं तो उन्हें समझ ही नहीं आता कि यह बड़ा और छोटा क्या होता है। ऐसे में यह बात जान लेनी जरूरी है कि बिहार, बंगाल का इलाके में जो पढ़ाई होती है, उसका जुड़ाव कहीं न कहीं संस्कृत से होता है जबकि पश्चिम यूपी और दिल्ली में अरबी, फारसी का प्रभाव कहीं अधिक है। जहां हम बिहार में दीर्घ और ह्रस्व का प्रयोग करते हैं वही दिल्ली आकर बड़ी और छोटी में तब्दील हो जाती है।
कोसी और गंगा के इलाकों में जहां स, श और ष के लिए हम कहते हैं 'दंत स', 'तालव्य श' और 'मूर्धन्य ष', वहीं दिल्ली आकर ये सड़क वाला 'स', शक्कर वाला 'श' और षटकोण वाले 'ष' में बदल जाता है। यानी जहां कोसी/गंगा इलाके में छात्रों को बताया जाता है कि किस 'स' का उच्चारण मुंह के किस भाग से से होता है लेकिन उच्चारण करने पर जोर नहीं दिया जाता वहीं दिल्ली/यूपी आने पर छात्रों और शिक्षकों को यह पता नहीं होता कि इन तीन शब्दों का उच्चारण कहां से होता है लेकिन वे उच्चारण सही करते हैं। बहरहाल, 'कोस-कोस पर बदले पानी, दस कोस पर बानी' को याद करते हुए इसका इकोनोमिक्स और सोशल साइंस समझना आवश्यक है कि आखिर कुछ उच्चारणों के कारण दिल्ली में बिहारी गाली क्यों बन जाती है। कोसी और गंगा के पानी में पैदा हुए लोग जिस तरह के इंटेलीजेंट, लेबोरियस के साथ कर्मठ होते हैं तो जाहिर सी बात है कि दिल्ली आने पर बाकी लोग उनकी क्षमता से घबराते हैं और अपनी कुंठा को 'बिहारी' कहकर प्रकट करने के लिए विवश होते हैं।

--विनीत उत्पल,नई दिल्ली

प्‍यार में रस घोलता है प्‍यारा-सा चुंबन


 दांपत्‍य जीवन में प्रेम में बढ़ोतरी के लिए और परस्‍पर आनंद की प्राप्ति के लिए चुंबन का विशेष महत्‍व है. कामशास्‍त्र में इस चुंबन के कई प्रकार की चर्चा की गई है.

वात्‍स्‍यायन रचित कामसूत्र में चुंबन के तरीकों के मुताबिक इनके अलग-अलग नामों का भी जिक्र मिलता है. आगे कामशास्‍त्र में वर्णित चुंबन के तरीकों और उनके नाम की चर्चा की गई है.
आमतौर पर चुंबन का प्रयोग कामक्रीड़ा से पहले किया जाता है. कामसूत्र के रचयिता वात्‍स्‍यायन का मत है कि चुंबन का प्रयोग सभी स्‍थानों (अंगों) पर हो सकता है, क्‍योंकि वासना पर किसी का नियं‍त्रण नहीं रह पाता. इसका तात्‍पर्य यह है कि वासना के वश में व्‍यक्ति कुछ भी कुछ भी कर सकता है.
वात्‍स्‍यायन मानते हैं कि चुंबन के प्रयोग से स्‍त्री-पुरुष के बीच प्रेम बढ़ता है. जिन स्‍थानों पर चुंबन लिए जाते हैं, उनमें मस्‍तक, गाल, पुरुष का सीना, नारी का उरोज (स्‍तन), होठ व मुख के भीतरी भाग प्रमुख हैं.

अब दंपतियों को निराशा से उबारेगा कृत्रिम वीर्य..


 वैज्ञानिकों ने स्टेम कोशिकाओं के जरिए पहली बार इस्तेमाल करने लायक कृत्रिम वीर्य तैयार करने का दावा करते हुए कहा है कि इससे प्रजनन मेंअक्षम पुरुषों का उपचार हो सकेगा. 



द डेली टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जापान के क्योतो विश्वविद्यालय की एक टीम ने प्रयोगशाला में वीर्य पैदा करने वाली ‘जनन कोशिका’ तैयार की. इन्हें प्रजनन में अक्षम चूहे में स्थानांतरित कर दिया गया. उपचार के बाद यह वीर्य चूहा प्रजनन में सक्षम हो गया.
वैज्ञानिकों ने कहा कि यह नयी उपलब्धि यदि मानव में इसी तरह से प्रभावी साबित होती है, तो इससे हजारों पुरुष पिता बनने में सक्षम हो जाएंगे.
उन्होंने स्टेम कोशिकाओं को चूहों के भ्रूण की स्टेम कोशिका का इस्तेमाल जनन कोशिका तैयार करने में किया, जिससे पुरुषों का वीर्य तैयार हो सकता है. इन कोशिकाओं से सामान्य जैसे वीर्य तैयार हुए.

दूध से बने हैं इस मॉडल के कपड़े



इको फ्रेंडली कपड़ों की श्रृखला में अब दूध से तैयार होने वाले कपड़े भी जुड़ गए हैं। जर्मनी में पिछले कई सालों से दूध से कपड़े तैयार किए जा रहे हैं। यह अनोखा कार्य कर दिखाया है जर्मनी की फैशन डिजाइनर और माइक्रोबायोलॉजिस्ट एन्के डोमास्के ने।
28 वर्षीय एन्के और उनकी टीम ने कई सालों की मेहनत के बाद दूध से धागा बनाने का फॉर्मूला खोजा है। इस धागे से ये कपडा बनता है।
उन्होंने एक खास मिक्सचर बनाया है, जिमसें खट्टे दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन होता है। उसे गरम कर एक मशीन में दबाया जाता है और ये धागा तैयार होता है।
इस धागे से उन्होंने अब तक सैकडों पोशाकें तैयार कर ली है। उनका कहना है कि यह स्किन फ्रेंडली है साथ ही किसी तरह के इफेक्‍शन का डर नहीं रहता।

मॉडलिंग की दुनिया में इस 10 वर्षीय मॉडल ने मचाया तहलका



 
टाइलेन लीन रोज ब्‍लॉडिव 10 साल की उम्र में ही दुनिया की बड़ी बड़ी मॉडल को पीछे छोड़ दी है। यूं तो वह कुछ समय पहले से ही मॉडलिंग कर रही है लेकिन पिछले दिनों जब उनकी तस्‍वीर फैशन मैगजीन की कवर पर छपी तो फैशन जगत चकित रह गया।

एनिमल प्रिंट के तकिए पर लेटी रेट्रो लुक वाली इस मॉडल में न एटीट्यूट की कमी दिखी और न ही उनके स्‍टाइल में कोई खामी थी।

वह बड़ी मॉडल की तरह सिर्फ कपड़े ही नहीं पहनती बल्कि फोटो सूट भी सेक्‍सी अंदाज में करवाती है।


मॉडलिंग की दुनिया में भले ही इतिहास बनाने को तैयार है लेकिन वह विवादों में घिर गई है। लोगों का कहना है कि बचपन से ही उसे सेक्‍स अपील प्रदर्शित करने के लिए उसे प्रेरित करना गलत है।
इस मॉडल को देखकर छोटे बच्‍चे कम उम्र में ही मॉडल बनने के लिए प्रेरित होंगे।

गांव की गोरी सेक्स और रोमांस में आगे है शहरी बालाओं से :सर्वे

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा
युवाओं में सेक्स के रुझान को लेकर कराये गए सर्वे में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आयी है.यहाँ भी पुरानी मान्यताएं ध्वस्त होती दीख पड़ती है.अब तक यही माना जा रहा था कि खुलेपन के मामले से लड़के लड़कियों से आगे हैं और शहरी युवाओं पर पश्चिमी सभ्यता का ज्यादा असर है, वे ज्यादा फैशनेबल हैं और ग्रामीणों पर भारी पड़ते होंगें.पर ये सर्वे इन सारी बातों को सिरे से ख़ारिज करता है.सर्वे में लड़कियां तो लड़कों से रोमांस का अनुभव लेने में आगे निकल ही गयी हैं,साथ ही ग्रामीण युवाओं ने रोमांस के मामले में शहरी युवाओं को पीछे छोड़  दिया है. यहाँ भी गांव की लड़कियां रोमांस का मजा लेने में शहरी लड़कियों से बहुत ही आगे निकल गयी है.सर्वे में २९ % ग्रामीण युवाओं ने माना कि पहले सम्बन्ध के वक्त
उनकी उम्र १५ साल से कम थी,जहाँ सिर्फ १७% शहरी युवाओं ने माना कि उसने पहला सम्बन्ध १५ साल की उम्र से पहले बनाया था.और गाँव की गोरी तो यहाँ भी लड़कों से कई कदम आगे निकल चुकी है.४६% गाँव की लड़कियों ने माना कि उनका १५ साल की उम्र से पहले ही अफेयर रह चुका है जबकि इसी बिंदु पर शहरी लड़कियों का प्रतिशत सिर्फ ३१ था.जहां तक सेक्स की बात है,शादी से पहले १७% गाँव के लड़कों ने इसका स्वाद चख लिया है,जबकि शहर में सिर्फ १०% लड़के.शहरों की यदि दो प्रतिशत लड़कियों ने शादी से पहले सेक्स सम्बन्ध बनाए हैं तो गावों में इसका प्रतिशत ४ है.

लव, सेक्स, धोखा: दलदल में फंसते चले गए बैंक अधिकारी

राकेश सिंह/०६ अगस्त २०११
स्टेट बैंक के इस पदाधिकारी ने शायद ये कभी नहीं सोचा था कि इस मामले में ये इस कदर फसेंगें विजय और रेखा :कितनी सच्चाई  है इस तस्वीर में? कि इन्हें अपने सामने जेल की सलाखें नजर आने लगेंगी.मधेपुरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने वर्तमान में डालटेनगंज के नेस्लीगंज में स्टेट बैंक में पदस्थापित शाखा प्रबंधक विजय कुमार बटलर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है.मामला २००७ के आसपास का है जब विजय कुमार बटलर सिंघेश्वर में कैशियर के पद पर कार्यरत थे.सिंघेश्वर की ही रेखा कुमारी जब उसी बैंक में अपना खाता खुलवाने गयी थी तबसे बताया जाता है कि दोनों के बीच संबंधों ने एक नया रूप धारण करना शुरू किया था.रेखा का आरोप यह है कि सिंघेश्वर के बाद जब विजय का स्थानांतरण बिहारीगंज में फिल्ड ऑफिसर के रूप में हुआ तो दोनों ने १० जनवरी २००७ को पूर्णियां के पूरण देवी मंदिर में शादी भी रचा ली.उस समय विजय बटलर भर्राही में आनंद साह के मकान में रहते
थे.बकौल रेखा शादी के बाद दोनों साथ ही उसी मकान में रहे और तीन-चार माह के बाद रेखा गर्भवती भी हो गयी.पर मामला तबसे बिगडना शुरू हुआ जब विजय बटलर का स्थानान्तरण झारखण्ड के लातेहार के पास चंदवा हो गयी.विजय वहाँ अकेले गए और फिर लौटकर रेखा के पास भी दस दिनों के लिए आये.रेखा बताती है कि उसे विजय से लड़का हुआ,पर मरा हुआ.रेखा के तंग करने पर विजय जब रेखा को चंदवा ले गया तो वहां रेखा यह जानकार सन्न रह गयी कि विजय पहले से शादीशुदा है.विजय की पहली शादी १९ साल पहले ही अन्जलिका से हुई थी और उसके दो बेटे आशीष,उम्र १६ साल और अमन,उम्र १२ साल है.रेखा का कहना है

नाबालिग लड़कियों ने सेक्स के अनुभव में लड़कों को पीछे छोड़ा:सर्वे

भारत में सेक्स शिक्षा हो या न हो, इस पर एक
लंबी बहस लंबे समय से छिड़ी है.पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का तो प्राय: हर घर में समावेश हो ही गया है,पर जहाँ स्कूलों में सेक्स शिक्षा की बात उठती है, वहां आज भी देश के अधिकाँश लोग इसका विरोध करने लगते हैं.पर ये रिपोर्ट स्कूलों में सेक्स शिक्षा का विरोध करने वालों को एक बड़ा झटका दे सकती है.और ये रिपोर्ट  है भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा युवाओं के सेक्स रुझान पर कराये गए सर्वे पर आधारित जिसे स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने जारी किया है.
    भारत के छ: राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु में कराये गए इस सर्वे में बहुत सी ऐसी बातें सामने आयी है जो भारतीय संस्कृति के बहुत ही तेजी से बदलने का संकेत देती हैं.मसलन शादी से पहले सेक्स तो भारतीय लड़कों में आम है ही,पर सर्वे की सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि १५ साल की उम्र तक विवाह से पूर्व सेक्स सम्बन्ध बनाने में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है.सर्वे के मुताबिक़ सेक्स के मामले में लड़कियां लड़कों से आगे निकल गयी है. 
                 सर्वे के अनुसार १५%  लड़कों और ४%  लड़कियों ने कबूल किया कि उन्होंने शादी से पहले सेक्स का अनुभव ले लिया है. फिर यहाँ भी चौंकाने वाली बात ये रही कि इनमें से २४% लड़कियों ने माना कि उन्होंने १५ साल की उम्र से पहले ही सेक्स का अनुभव ले लिया है, जबकि लड़कों का प्रतिशत सिर्फ ९ रहा, जिन्होंने यह माना कि उन्होंने सेक्स का अनुभव १५  साल से पहले लिया.
          निष्कर्ष के तौर पर भारत की संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आ चुके हैं,

दर्द को हम बाँट लेंगे !!!

तुम्हें क्या लगता है
मुझे शाखों से गिरने का डर है
तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है
कैसे लगता है
तुमने देखा न हो
पर जानते तो हो
मैं पतली टहनियों से भी फिसलकर निकलना
बखूबी जानती हूँ ....

डर किसे नहीं लगता
क्यूँ नहीं लगेगा
क्या तुम्हें नहीं लगता ...
तुम्हें लगता है
मैं जानती हूँ !

संकरे रास्तों से निकलने में तुम्हें वक़्त लगा
मैं धड़कते दिल से निकल गई
बस इतना सोचा - जो होगा देखा जायेगा ...
होना तय है , तो रुकना कैसा !


एक दो तीन ... सात समंदर नहीं
सात खाइयों को जिसने पार किया हो
उसके अन्दर चाहत हो सकती है
असुरक्षा नहीं ...
और चाहतें मंजिल की चाभी हुआ करती हैं !

स्त्रीत्व और पुरुषार्थ का फर्क है
वह रहेगा ही
वरना एक सहज डर तुम्हारे अन्दर भी है
मेरे अन्दर भी ...
तुम्हारे पुरुषार्थ का मान यदि मैं रखती हूँ
तो मेरे स्त्रीत्व का मान तुम भी रखो
न तुम मेरा डर उछालो
न मैं ....
फिर हम सही सहयात्री होंगे
एक कांधा तुम होगे
एक मैं ..... दर्द को हम बाँट लेंगे !!!



--रश्मि प्रभा, पटना