मां से मिले संस्‍कार के कारण ही चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा: अन्‍ना



 
आज अन्‍ना आंदोलन बन चुके है। लेकिन यह कोई नहीं जानता कि अन्‍ना को भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए फौलादी इरादे किसने दी।
यूं तो अन्‍ना का बचपन गरीबी में बिता। लेकिन इनकी शक्ति बनी इनकी मां। घर में सभी बच्‍चों में ये बड़े थे इसलिए इन्‍हें अन्‍ना कहा जाता था। महाराष्‍ट्र में बड़े बच्‍चे को अन्‍ना कहा जाता है इसलिए इन्‍हें भी इनकी मां अन्‍ना कहती थी।
मां के द्वारा दिए गए संस्‍कार के कारण ही आज तक चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा।
74 साल की उम्र में भी अन्‍ना अपनी मां को भूल नहीं पाए हैं। मां ही उनकी पहली शिक्षिका थी। मां के द्वारा दिए गए संस्‍कार के कारण ही आज तक चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा। वे आगे कहते हैं कि मां से संस्‍कार नहीं मिलता तो मैं यहां नहीं होता।
बचपन से पढ़ने में होशियार अन्‍ना गांव में पतंग उठाने में माहिर थे। पतंग उड़ाने के लिए वे मांजा खुद तैयार करते थे। अपने द्वारा बनाए गए मांजा से दूसरों के पतंग काटने में अन्‍ना को बहुत मजा आता था।
पिता की बदहाली ने अन्‍ना को फौलाद बना दिया। वे 13 साल की उम्र में मामा के साथ मुबंई आ गए। उन्‍हें बचपन से रिश्‍वत लेने वालों से नफरत था। एक दिन एक पुलिस वाले को रिश्‍वत लेते देख खुद को रोक नहीं पाए और डंडे से पुलिसवाले की पिटाई कर दी। चोट इतना गंभीर था कि 8 टांके लगाने पड़े।