आम और आदमी 

कालू काका समाज में प्रबुद्ध साहित्य प्रेमी के रूप में चर्चित हैं.खासकर बच्चों के बीच वे कुछ विशेष लोकप्रिय हैं.आजकल वे विविध विषयों की जानकारी बच्चों के बीच परोसते रहते हैं.एक शाम उन्होंने आम और आदमी का प्रसंग छेड़कर बच्चों का बड़ा उपकार किया.उन्होंने अपनी छाती फुलाकर बताया,"वैसे तो आम का उल्टा 'खास' और आदमी का उल्टा 'औरत' है,लेकिन आम और आदमी के बीच से 'और' गायब होने पर 'आम आदमी' रह  जाता है जिसका सरलार्थ सामान्य लोग से है.फिर आदमी के पूर्व 'खास' जुड़ जाने से 'विशिष्ट व्यक्ति' का बोध होता है.शब्दों के घालमेल से कुछ नए अर्थों का जन्म होता है जिस प्रकार 'हाइड्रोजन' और 'ऑक्सीजन' के मेल-मिलाप से जल पैदा हो जाता है.यह बात दीगर है कि 'खास आदमी' की औकात का पता 'आम आदमी' के सिवा अन्य को नही हो सकता." वे एक लंबी सांस लेकर पुन:रहस्योद्घाटन में जुट गए.पगडंडी छोड़कर मुख्य मार्ग को अपनाया.'आम और आदमी'के सहज स्वभाव और स्वरुप का भंडाफोड़ किया,"आम जबतक 'टिकोरे' के रूप में पेड़ पर झूलता है और आदमी 'टुच्चा' नेता के रूप में गली-गली में नारे लगाता  है,मजलूमों के हक-हकूक की बातें करता है,आम आदमी की नजरों में रहता है.फिर समय के फेर से उनमे अजीब निखार आने पर आम आदमी से दरकिनार होने लगते हैं.पेड़ से अलग होने पर 'आम' टोकड़ी में घुसने को बेताब हो जाता है तो चुनाव जीतने के बाद 'नेता' कुर्सी हथियाने की होड में हाँफते नजर आते हैं.अपनों को  अंगूठा दिखाकर दोनों अपनी-अपनी मंजिल की ओर कूच कर जाते हैं.एक ललचाकर तो दूसरा लालच दिखाकर.आम आदमी हाथ मलता रह जाता है.यद्यपि आम के दर्शन हमें हरसाल हो ही जाते हैं मगर नेता का थोबड़ा  अमूमन पांच वर्षों के बाद ही हमें दर्शन लाभ करता है." अपनी ज्ञान की पिटारी बंद कर काका ने अपनी विजयी मुस्कान की बत्ती जलाई.साहित्य और विज्ञान का सामान्य ज्ञान पाकर बच्चे निहाल हो गए.उन्होंने समवेत स्वर में नारा लगाया,"काका प्यारे,सबसे न्यारे."
                                                                                      पी० बिहारी 'बेधड़क'
                                                                   अधिवक्ता,सिविल कोर्ट,मधेपुरा.

आदमी हो या औरत, कैरेक्टर पता करना है तो अपनाएं ये नायाब तरीका



अगर आपको किसी का कैरेक्टर पता करना है या किसी के बारे में कुछ जानना है तो हम आपको बताते हैं एक अनोखा और आसान तरीका जिससे कुछ ही मिनट में आप किसी का भी कैरेक्टर पता कर सकते है और ये भी जान सकते हैं कि किसी का स्वभाव कैसा है और मन में क्या चल रहा है।  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरीर के अंगों को देखकर किसी भी व्यक्ति के चरित्र और स्वभाव का ठीक-ठीक आंकलन किया जा सकता है। 
किसी भी व्यक्ति से मिलते समय हम सबसे पहले उसका चेहरा देखते हैं। चेहरा देखते समय यदि उस व्यक्ति की नाक को ध्यान से देखें तो उसके कैरेक्टर और स्वभाव को आप जान सकते हैं।
*ऊंची एवं बड़ी नाक वाला व्यक्ति पैसे वाला होता है और सभी सुखों को भोगने के लिए हर तरह के काम करने वाला होता है।
* सुंदर और तीखी नाक (तोते जैसी) वाला व्यक्ति तेज दिमाग वाला, शरीफ एवं किसी उच्च पद को प्राप्त करने वाला होता है। ऐसे लोगों का कैरेक्टर प्राय: अच्छा ही होता है।
*जिस व्यक्ति की नाक छोटी और बहुत कम उभरी हुई हो वह नेक दिल और शरीफ  होता है।
*छोटी एवं मोटी नाक वाला व्यक्ति बेअक्ल, पैसे-पैसे को मोहताज और सदैव काम की तलाश में रहता है। ऐसे लोग हालातों के कारण गलत काम कर बैठते हैं।
* जिस व्यक्ति की नाक के छिद्र छोटे हो वह व्यक्ति समझदार और शर्मिले स्वभाव का होता है। ऐसे लोगो का कैरेक्टर ठीक होता है।
*जिस व्यक्ति की नाक के छिद्र बड़े होते हैं वह बेशर्म होता है। ऐसे लोग गलत काम करने से बिल्कुल नहीं हिचकिचाते।

सेक्‍सी लड़कियां नहीं होती ज्‍यादा काबिल



' लाइव साइंस' में छपी खबर के मुताबिक, ओहियो के 'केनयोन कॉलेज' की एक टीम ने पाया है कि छोटे और सेक्सी कपड़े पहनने वाली लड़कियां कम सक्षम मानी जाती हैं, जबकि सामान्य कपड़े पहनने वाली लड़कियां ज्यादा सक्षम मानी जाती हैं।
 केनयोन की साइकॉलजिस्ट सारा मुर्नेन के इस शोध के परिणाम 'सेक्स रोल्स' जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इस स्टडी के लिए 106 महिलाओं समेत 162 स्टूडेंट्स को चुना गया था। सभी को तीन अलग-अलग आउटफिट वाली लड़की की तस्वीरें दी गईं और बुद्धिमत्ता, सक्षमता जैसे मानकों पर उनकी तुलना करने को कहा गया।

 रिसर्च में देखा गया कि सभी ने कम कपड़े पहनने वाली लड़की को कैपेबिलिटी, इंटेलि

यदि कोई सांप बार-बार सपने में आपके पास आ रहा है तो समझ लें कि...


सांप एक ऐसा जीव है जिससे सामान्यत: सभी को  डर लगता है।
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सांप

  चूंकि जहरीला होता है और जिस प्रकार इसके डंसने से जीवन समाप्त हो सकता है। ठीक इसी तरह ज्योतिष में सर्प से संबंधित कालसर्प योग बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग अशुभ प्रभाव देने वाला है तो उसे मृत्यु के समान कष्ट झेलना पड़ सकते हैं।

कुंडली के अध्ययन से कालसर्प योग  देखा जाता है लेकिन ज्योतिष में अन्य विधियां भी हैं जिनसे कुंडली के अभाव में इस योग की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ऐसी ही एक विधि है स्वप्न ज्योतिष।

स्वप्न ज्योतिष में व्यक्ति जो सपने देखता है उनसे भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यदि व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग होता है उसे हमेशा ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कार्य समय पर पूर्ण नहीं होते। कुंडली न हो तो स्वप्न ज्योतिष के माध्यम से इस योग की जानकारी ऐसे प्राप्त की जा सकती है। यदि किसी व्यक्ति को सपनों में सांप दिखाई देते हैं तो निश्चित ही उसकी कुंडली में कालसर्प योग होगा।

बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए, क्योंकि...



वैदिक काल से ही कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हमारी सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों के लिए ही फायदेमंद रहता है। इन नियमों के आधार पर ही परंपराएं बनी है। सभी परंपराओं के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व बताए गए हैं। प्रतिदिन हम कई छोटे-बड़े सामान्य कार्य करते हैं जिनमें से कुछ कर्म वर्जित किए गए हैं, जिनका संबंध हमारी सुख-समृद्धि से होता है।

केवल बेटा ही कर सकता है ये काम, क्योंकि...



मृत्यु एक अटल सत्य है। जिसने जन्म मिला है उसे मृत्यु अवश्य प्राप्त
होगी। हिंदू धर्म में मृत्यु के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं। जैसे सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि माता-पिता की मृत्यु के बाद शव को मुखाग्नि पुत्र ही देता है। यदि मृत व्यक्ति का पुत्र है तो मुखाग्नि उसे ही देना है, ऐसा विधान है।     
शास्त्रों के अनुसार बारह प्रकार के पुत्र बताए गए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-औरस पुत्र, गोद लिया पुत्र, भाई का पुत्र, पुत्री का पुत्र, पुत्र का पुत्र, खरीदा हुआ पुत्र, कृत्रिम पुत्र, दत्त आत्मा आदि। यदि किसी मृतक का खुद का पुत्र ना हो तो इन 12 प्रकार के पुत्रों में से कोई पुत्र मृतक को मुखाग्नि दे सकता है।

पुरुष की वैसी कमजोरी और परेशानी दूर करते हैं ये 6 उपाय...



सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि व्यक्ति शारीरिक रूप से
शक्तिशाली बना रहे। शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी होने से जीवन में दुख और समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। यदि किसी पुरुष में वैसी कमजोरी हो तो उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रह सकता है। अधिकांश लोगों को अत्यधिक स्वप्नदोष होने की परेशानी रहती है। वैसे तो यह एक सामान्य सी बात है लेकिन जब ये समस्या हद अधिक हो जाए तो शारीरिक कमजोरी उत्पन्न होने लगती है। पुरुषों की इस कमजोरी और परेशानी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं। उनमें से 6 उपाय इस प्रकार हैं-

सिर्फ एक शाम अपने नाम करके देखें


कुछ लोग मोबाइल साथ लेकर जाते हैं। जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके मोबाइल से दूर होने के ख्याल मात्र से हम दुखी हो जाते हैं।

लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक हफ्ते में एक शाम इससे जुदाई आपकी खुशियों को बढा़ सकती है और आपके कामकाज के प्रदर्शन को भी बेहतर कर सकती है।

परिणाम जानने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के 1400 कर्मचारियों पर परीक्षण किया गया। अनुसंधानकर्ताओं ने उन कर्मियों को हफ्ते में एक बार शाम 6 बजे के बाद स्मार्ट फोन बंद रखने का निर्देश दिया।

प्रो. लेस्ली पेलरे की अगुवाई में यह अध्ययन तीन साल तक किया गया। शोध में पाया गया कि जिनके फोन बंद रहे, वे अपनी नौकरी को लेकर ज्यादा संतुष्ट पाए गए. उन्होंने बताया कि उनके काम और जीवन में ज्यादा संतुलन आया और उनकी कार्य क्षमता बढी़।

पतिव्रता (?) नारियाँ !

दो तरह की पतिव्रताएं देखने को मिलती हैं ....
एक - जो पति का जीना हराम रखती हैं
जीभर के गालियों से नवाजती हैं
हिकारत से देखते हुए
तीज और करवा चौथ करती हैं
चेहरा कहता है भरी महफ़िल में कि" मान मेरा एहसान .
जो मैं ये ना करूँ तो लम्बी आयु को तरस जाओगे ..."
और इस कमरे से उस कमरे गाती चलती हैं -
" भला है बुरा हैजैसा भी है , मेरा पति मेरा देवता है "
और इस तर्ज के साथ कई पति गुल !
...........................................................
दूसरी - जो हर वक़्त नज़ाकत में कुछ नहीं करती ...
एक ग्लास पानी तक नहीं देती
पर लोगों के बीच कहती हैं ,
" चलती हूँ , इनके आने का वक़्त हो चला है
- दिन भर के थके होते हैं
तो उनकी पसंद का कुछ बनाकर
चाय के संग देना अच्छा लगता है ..."
और लम्बे डग भरती ये चल देती हैं
घर में पति के आते ये एक थकी हारी मुस्कान देती हैं
नज़ाकत की बेल का हाथ थाम पति पूछता है -
" अरे , क्या हुआ ? "
पत्नी एहसान जताती कहती है -
" कुछ नहीं , पूरे दिन सर भारी भारी लगता रहा है ...
खैर छोड़ो , चाय बनाती हूँ ..."
बेचारा पति ! सारी थकान भूल कहता है -
' नहीं मेरी जान , मैं बनाता हूँ " .....
चाय पीकर फिर बाहर चलने का प्रोग्राम बनता है
लिपस्टिक और लम्बी सी मुस्कान लिए
हिम्मत दिखाती ,प्यार जताती पत्नी चल देती है
और पति कुर्बान !
.......... असली पतिव्रता को कुछ भी दिखाने की ज़रूरत नहीं पड़ती , .... वे तो बस होती हैं !

 
--रश्मि प्रभा,पटना

बच्चों की परवरिश में हमेशा इस बात का ध्यान रखें...




माता-पिता बच्चों को निस्वार्थ प्रेम करते हैं। उन्हें सुख-सुविधाओं से


रखने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं। लेकिन वक्त के साथ जब बच्चे बड़े होते हैं, तो माता-पिता को उनसे प्यार की भीख मांगनी पड़ती है। अपने पैरों पर खड़े होते ही बच्चे बाहर भागने की कोशिश करने लगते हैं। आखिर हमारी संस्कृति और संस्कारों में ऐसा क्या परिवर्तन आया है कि माता-पिता को बच्चों से प्रेम की मांग करनी पड़ती है। बच्चे बड़े होते ही संवेदन शून्य हो जाते हैं।
माता-पिता का एक मनोविज्ञान होता है सभी माता-पिता एक समय बाद बच्चों से प्रेम मांगने लगते हैं। प्रेम कभी मांगकर नहीं मिलता है और जो प्रेम मांगकर मिले उसका कोई मूल्य नहीं होता।

कंप्यूटर पर काम करने वालों के लिए आ गई बड़ी काम की खबर,पढ़े जरुर!



(नास्‍दक:एसटीएक्‍स) हार्ड ड्राइव बनाने वाली ऐसी पहली कंपनी बन गई है, जिसने एक टेराबाइट (एक खरब बाइट) प्रति वर्ग इंच का
स्‍टोरेज घनत्‍व हासिल करने का मील का पत्‍थर छू लिया है। कंपनी ने एक ऐसी तकनीक का मुजाहरा किया है जो आज के हार्ड ड्राइव की तुलना में स्‍टोरेज क्षमता दोगुनी करने की गारंटी देता है। इसी दशक में यह तकनीक इस्‍तेमाल में आने लगेगी और इसके बाद 3.5 इंच हार्ड ड्राइव को अगले दस साल में 60 टेराबाइट तक की अति असाधारण क्षमता तक विस्‍तृत किया जा सकेगा। एक वर्ग इंच डिस्‍क स्‍पेस के भीतर इतने बाइट को समाना जितना आकाशगंगा में तारे हैं (यानी अनगिनत, कुछ विशेषज्ञ इनकी संख्‍या 200 से 400 अरब के बीच बताते हैं) नया मील का पत्‍थर है।


सीगेट इस ऐतिहासिक डेटा डेंसिटी तक हीट-असिस्‍टेड मैगनेटिक रिकॉर्डिंग (एचएएमआर) तकनीक की बदौलत पहुंची है। यह अगली पीढ़ी की रिकॉर्डिंग तकनीक है। मौजूदा हार्ड ड्राइव तकनीक, परपेंडिकुलर मैग्‍नेटिक रिकॉर्डिंग (पीएमआर) डेस्‍कटॉप या लैपटॉप कंप्‍यूटर से लेकर विशाल डेटा सेंटर तक में स्‍टोर्ड म्‍यूजिक, फोटो, वीडियो आदि डिजिटाइज्‍ड डेटा का स्‍पेक्‍ट्रम प्रत्‍येक हार्ड ड्राइव के अंदर मौजूद प्‍लैटर पर रिकॉर्ड करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है। पीएमआर तकनीक 2006 में पहली बार सामने आई थी। इससे पहले लॉन्‍गीट्यूडिनल रिकॉर्डिंग इस्‍तेमाल की जाती थी। यह तकनीक 1956 में कंप्‍यूटर स्‍टोरेज के लिए हार्ड ड्राइव के आने के वक्‍त से ही चलन में थी। इसके अगले कुछ साल में ही 1 टेराबाइट प्रति वर्ग इंच की आखिरी क्षमता तक पहुंच जाने की उम्‍मीद है।

क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद द्रविड़ ने खोला दिल का राज



बेंगलूर. विश्वसनीय तकनीक की बदौलत श्रीमान भरोसेमंद के नाम से मशहूर द्रविड ने कहा कि उन्हें इस समय संन्यास लेने का कोई मलाल नहीं है। उन्होंने कहा मैं पिछले 16 साल से देश के लिए क्रिकेट खेलता आया था। मैं क्रिकेट का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा हूं। टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले द्रविड़ ने अपने खूबसूरत खेल का प्रेरणास्रोत पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वा को बताते हुए कहा स्टीव अपने विकेट की कीमत जानते थे और कभी भी विकेट फेंकते नहीं थे। वह बडे मौकों पर चूकते नहीं थे बल्कि निखरकर खेलते थे।

अपनी तुलना भारत के विश्व विजेता कप्तान कपिलदेव से किए जाने पर द्रविड़ ने कहा मैं उनके बराबर कहीं नहीं ठहरता हूं और वास्तव में आलराउंड प्रदर्शन करना तो अपने आप में कमाल की बात है। मैं अक्सर जवागल श्रीनाथ से पूछता था कि कैसे वह तेज गेंदबाजी करने के बाद बल्लेबाजी भी कर लेते थे। द्रविड़ ने कहा तेज गेंदबाजी मेरे वश की बात नहीं है। मैं क्रिकेट में हर काम कर सकता हूं लेकिन बस तेज गेंदबाजी मुझसे नहीं हो सकती है। यह कोई आसान काम नहीं है।

अपनी कई ऐतिहासिक पारियों के गवाह रहे साथी बल्लेबाजवीवीएस लक्ष्मण के बारे में द्रविड ने कहा लक्ष्मण ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि घरेलू मैचों में भी कई बड़ी साझीदारियां की हैं। हम एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ रहे हैं। उन्होंने कभी मुझसे तकनीक पर बात नहीं की। हमारे बीच केवल एक दूसरे को सहयोग देने पर बात होती थी।

टेस्ट क्रिकेट के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर द्रविड़ ने कहा यदि पर्याप्त मात्ना में टेस्ट खेले जाएं तो यह फार्मेट भी अपना अस्तित्व बनाए रखेगा। टवेंटी-20 के उदय से कैलेंडर पर दबाव जरूर पड़ा है लेकिन प्रशासकों को सोचना है कि इस दबाव को कैसे झेला जाए। उन्होंने कहा मुख्य चुनौती यह है कि सभी टीमों को पर्याप्त टेस्ट खेलने के मौके उपलब्ध कराए जाएं। मुझे लगता है कि युवा खिलाड़ियों को खुद को तीनों फार्मेट के लिए फिट बनाना

अपने बच्चों को करते हैं प्यार तो जरूर पढ़ें

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अपने बच्‍चों से कौन प्‍यार नहीं करता लेकिन आपके मन में बच्चों के लिए वास्तव में कितना प्यार है इसका खुलासा महज एक ब्रेन स्कैन से पता चल सकता है।


शोधकर्ताओं ने  रिसर्च के लिए जर्मनी, इटली और जापान के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की टीम ने बच्चों की तस्वीरें देखने के बाद 9 महिलाओं और 7 पुरुषों के मस्तिष्क का स्कैन किया।   इसके लिए उन्होंने 'फंक्शनल मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेंजिंग स्कैनर' का उपयोग किया।बच्चों की तस्वीरें देखने के बाद व्यस्कों के दिमाग का वह भाग सक्रिय हो उठा जो गति, बोली और प्रेम करने के इमोशंस को कंट्रोल करता है।

' यूनिस कैनेडी श्रीवर नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ ऐंड ह्यूमन डिवेलपमेंट' के वैज्ञानिक और मुख्य रिसर्चर मार्क एच. बॉर्नस्टेन ने कहा कि रिसर्च में शामिल किसी भी व्यस्क की अपनी संतान नहीं है लेकिन फिर भी बच्चे की तस्वीर देखने के बाद उनके मन में बच्चे के लिए प्रेम की भावना उमड़ी।

 उन्होंने पाया कि बच्चे की तस्वीर देखकर प्रेम की भावना किसी भी दूसरी त

ऑर्गेज्म का ढोंग करती हैं महिलाएं


पहले हुए शोधों में कहा गया था कि ज्यादातर महिलाएं ऑर्गेज्म को प्राप्त नहीं कर पाती। ऐसा सेक्स फोबिया के कारण होता है।
 लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि अधिकांश महिलाएं ऑर्गेज्म का ढोंग करती है।
 शोधकर्ताओं का कहना है कि 60 फीसदी महिलाएं ऑर्गेज्म के बारे में झूठ बोलती हैं।  
 अपने पार्टनर का दिल रखने या उसे बुरा न लगे इस कारण महिलाएं ऑर्गेज्म का ढोंग करती हैं।

तुमसे जिन्दगी भर प्यार कर सकती हूँ मैं ...!!! /--सुषमा 'आहुति'


तुम एक उम्मीद दो,
मैं तुम्हारा जिन्दगी भर इंतजार कर सकती हूँ
तुम मेरे साथ हो सिर्फ इतना काफी है
तुमसे जिन्दगी भर प्यार कर सकती हूँ  मैं..!

तुम भी मुझसे प्यार करो,इकरार करो
ऐसी शर्त नही रखी मैंने

तुमसे प्यार करती हूँ
जिन्दगी भर ये इकरार कर सकती हूँ मैं...

तुम्हारी जिन्दगी में मेरी कमी हो न हो
पर यकीन करो
अपने प्यार से तुम्हारी जिन्दगी की
हर कमी भर सकती हूँ  मैं ..!!!


--सुषमा 'आहुति', कानपुर

जाओ यहाँ से...///रश्मि प्रभा

मत करो कोई प्रश्न मुझसे

जवाब बनाते बनाते
खुद को जांबांज दिखाते दिखाते
मैं एक खाली कमरे सी हो गई हूँ !
संजोये हौसले
मंद बयारें
और मासूम मुस्कुराहटें
मैं लुटाती गई
और तुम सब पूछते गए
ये कहाँ से ? ये कहाँ से ?
और मैं झूठे नाम गिनाती गई
हटो यहाँ से -
इन सबों की स्वामिनी मैं खुद हूँ
अगर कभी कोई नाम लिया
तो उसे भी अपनी सोच से धरोहर बनाया
धरोहर कुछ था नहीं !
अपने प्रश्नों के उत्तर एक दिन तुम्हें मिलेंगे ज़रूर
कि सबकुछ जानते हुए
तुम अनजान बने रहे
और मेरे आगे एंवे प्रश्न रख
मुझे उलझाते रहे ...
जानती हूँ फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा
.....
खैर ,
मेरे उत्तरदायित्व अभी पूरे नहीं हुए हैं
अपने कमरे को मुझे खजानों से भरना है
हौसले , मंद बयारें और मासूम मुस्कान !
क्योंकि इसके बगैर
मुझसे निकली शाखाएं पनपेंगी नहीं
और मैं इन शाखाओं पर
विश्वास के फल लगे देखना चाहती हूँ
तो ....
प्रश्नों के पिटारे बन्द करो
और जाओ यहाँ से ....

 --रश्मि प्रभा,पटना

मुश्कुराने का एक बहाना...........!///प्रशांत सरकार


कितनी अजनबी है जिंदगी,

कितने अनजाने रास्ते,
कभी खुशियों का हसीं मंजर,
कभी गम के बदल काले,
लम्हों के साये पर हौले-हौले,
लिख जाते है कितने ही अफ़साने,
चाहे-अनचाहे उम्र के हर मोड़ पर,
यादों का एक कारवां,
साथ हो जाता है हमारे,
और हम रफ्ता-रफ्ता,
नए मुकाम की तलाश में,
बढते जाते है आगे ही आगे,
जहाँ दूर........ नजर आता है,
क्षितिज का अनूठा नजारा,
ख्वाहिशों को मिल जाता है,
मुश्कुराने का एक बहाना...........!

 

--प्रशांत सरकार,मधेपुरा
दवा की बढ़ती घटती खुराक से होने वाली घटनाओं को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा माइक्रोचिप लांच किया है जिससे माइक्रोचिप के जरिए मरीज को दवा की खुराक दी जाएगी।



यह माइक्रोचिप मरीज को उतनी ही मात्रा में दवा देगी जितनी मरीज के शरीर को आवश्यकता होगी। इस माइक्रोचिप से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। इस माइक्रोचिप को मरीजों की तवचा के नीचे लगाया जाएगा। साथ ही इस माइक्रोचिप का उपयोग ऑस्टियोपोरोसिस नामक बिमारी में किया जा रहकहै।

माइक्रोचिप लगा यह उपकरण पांच सेंटीमीटर लंबा, तीन सेंटामीटर चौडा और एक सेंटीमीटर मोटा है। इसके भीतर इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं जिसमें दवा एवं दवा के छोटे पैकेट को प्लैटिनम एवं टिटेनियम के छोटे पैकेट्स को रखा गया है।

पहली नजर में भा जाते हैं ऐसे पुरुष





विप‍रीत सेक्‍स के प्रति आकर्षण लाजिमी है। दोनों एक दूसरे को रिझाने के लिए तरह तरह से प्रयास करते हैं।   यही वजह है कि आम तौर पर पुरुषों की दिलचस्‍पी यह जानने में होती कि आखिर महिलाएं पुरुषों की किस बात पर फिदा होती हैं।

वैसे हर किसी की पसंद तो अलग-अलग होती है, फिर भी इस बारे में शोध से कई दिलचस्‍प नतीजे सामने आए हैं।  

अध्‍ययन में बताया गया है कि महिलाएं गठीले शरीर वाले पुरुषों की तरफ भले ही आकर्षित होती हों, लेकिन सम्बन्ध बनाने के लिये वे हुनरमंद मर्दों को ही तरजीह देती हैं।  

एक शोध में करीब 75 प्रतिशत औरतों ने कहा कि वे खुद को फिट रखने की कवायद में घंटों गुजारने वाले मर्दों के बजाय वैसे पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं जो गैजेट तथा प्रौद्योगिकी के बारे में भी बेहतर समझ रखता हो।  

आधी से ज्यादा महिलाओं ने कहा कि चीजों को बनाने की काबिलियत रखने वाले व्यक्ति के साथ रहने से उन्हें अच्छा महसूस होता है।   बहरहाल, तीन में से सिर्फ एक महिला ने ही गठीले बदन वाले पुरुषों को पसंद करने की बात कही।

कांग्रेस देगी धरना

सुपौल: केन्द्र सरकार की तर्ज पर पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण में पिछड़े अल्पसंख्यकों को 4.5 प्रतिशत आरक्षण बिहार सरकार की सेवाओं तथा शिक्षण संस्थानों में अविलम्ब लागू करने के बाबत जिला कांग्रेस कमिटी पांच मार्च को समाहरणालय पर एक दिवसीय धरना देगी। उक्त जानकारी पार्टी के जिलाध्यक्ष राज नारायण गुप्ता ने दी।

इस आइटम गर्ल ने बनाया अनोखा रिकॉर्ड, देखें तस्वीरें और जाने राज!




पटना। भोजपुरी फिल्मों की आइटम गर्ल और अभिनेत्री सीमा सिंह ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया है। जिसे तोड़ना किसी भी आइटम गर्लके लिए नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर होगी। 

 
सीमा ने महज 6 दिन के अंदर 8 आइटम सौंग करके तहलका मचा दिया है। ये सभी आइटम सौंगबड़े निर्माता-निर्देशकों के फिल्मों के हैं। काफी हेक्टिक शेड्यूल के बाद भी सीमा ने हार नहीं मानी और इस अनोखे रिकॉर्ड को रच डाला।

 
सीमा ने निर्देशक रमाकांत प्रसाद की फिल्म 'जान तेरे नाम', ग्रीन चिली इंटरटेनमेंट की फिल्म 'गोला बारूद', शुभम तिवारी,रानी चटर्जी स्टारर 'जख़्मी औरत', विराज भट्ट तथा मोनालिसा की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'दबंग मोर बालमा', प्रवेश लाल यादव तथा शुभी शर्मा स्टारर 'हीरो' सहित कुल आठ सिनेमा में आइटम सौंग की रिकॉर्डिंग की हैं।

 
उल्लेखनीय है कि भोजपुरी फिल्मों में संभावना सेठ के बाद सबसे ज्यादा पॉपुलर आइटम डांसर के रूप में सीमा सिंह को जाना जाता है। जिस तरह से सीमा काम कर रही हैं, वो निर्माता-निर्देशकों की पहली पसंद बनती जा रही हैं। ऐसे में संभावना सेठ के लिए सबसे बड़ा खतरा बनके सीमा भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में सामने आ रही हैं।

~~~~~~आत्मकथा~~~~~~~~



आज मै अपनी आत्मकथा लिखने

बैठा
तो खुद से पूछा की क्या मै
स्वयं की आत्मकथा लिख सकता हू.
थोडा घबराया फिर
हिम्मत कर लिखने बैठ गया
आत्मकथा लिखना आसान नहीं है
आत्मकथा आत्मा की आवाज है
जिन्दगी का आईना है
अच्छे बुरे शब्दों का संगम
अपनी आलोचना करनी पड़ती
सत्य को शब्द देना पड़ता है
फिर भी मै लिखने लगा अपनी आत्मकथा
लिखते वक्त मै स्वार्थी बन जाता
सत्य को छुपाता झूठ को बनाता
अपना मुँह मिया मिट्टू
परन्तु खुद को सम्भाल कर लिखना छोड़ देता
फिर सत्य को अपने अंदर से निकलता
मैंने महसूस क्या की लिखते वक्त
खुद को शुन्य में रखना पड़ता है
अपना स्वाभिमान,अंहकार,कर्म,भावनाएं
रिश्ते नाते को दूर रखना पड़ता है
और मै इन सबों से दूर नहीं जा सकता
अपनी आत्मकथा मै नहीं लिख सका
और कोई अपनी आत्मकथा
लिख भी नहीं पाता ,लिख भी नहीं पाता ........


--हेमंत सरकार, मधेपुरा

भक्ति बनाम मस्ती:मंदिर की बजाय थियेटर में उमडती है भीड़

वि० सं०/०२ मार्च २०१२
सिंघेश्वर का प्रसिद्ध मेला अपने उफान पर है.दिन भर लोगों की भीड़ यहाँ जमी रहती है.देखने को इस मेले में इस बार अनेकों चीजें हैं.मौत का कुआं, सर्कस, सिनेमा, विभिन्न प्रकार के झूले, सैंकडों दुकानें आदि-आदि.दिन में तो मेला देखने आये लोगों में से बहुत से लोग बाबा के दर्शन हेतु मंदिर की ओर रूख करते भी हैं,पर शाम ढलते ही यहाँ का नजारा बदला हुआ नजर आने लगता है.मेले की भीड़ किसी खास जगह एकत्रित होने लगती है.और रात के नौ-दस बजे तक तो अधिकाँश भीड़ मेले में चल रहे तीन-तीन थियेटरों के इर्दगिर्द मंडराना शुरू करती है.थियेटरों के टिकट काउंटरों पर टिकट खरीदने की होती है होड़.इस दौरान बाबा भोले का मंदिर सूना सा दीख पड़ता है.भक्ति की जगह लोगों पर मस्ती का रंग चढ़ जाता है.

जानिए किसी भी स्त्री की सबसे बड़ी ताकत क्या है?

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स्त्री हो या पुरुष, सभी के पास कुछ गुण, कुछ शक्तियां होती हैं जिनसे वे अपने कार्य सिद्ध कर सकते हैं। वैसे तो हर व्यक्ति की अलग-अलग शक्तियां होती हैं लेकिन आचार्य चाणक्य ने बताया है कि किसी भी स्त्री की शक्ति उसकी सुंदरता, यौवन और मीठी वाणी होती है। चाणक्य कहते हैं-

बाहुवीर्यबलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविद् बली।

रूप-यौवन-माधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।।

किसी भी राजा की शक्ति उसका स्वयं का बाहुबल है। ब्राह्मणों की ताकत उनका ज्ञान होता है। स्त्रियों की ताकत उनका सौंदर्य, यौवन और उनकी मीठी वाणी होती है।

आचार्य कहते हैं कि वैसे तो किसी भी राजा के अधीन उसकी सेना, मंत्री और अन्य राजा रहते हैं लेकिन उसका स्वयं का ताकतवर होना भी जरूरी है। यदि कोई राजा स्वयं शक्तिहीन है तो वह किसी पर राज नहीं कर सकता।

गांव के इस सपूत का कमाल, खोज निकाला टीबी का रामबाण इलाज

अवाहदेवी.ग्रयोह गांव के मनोज कुमार को ट्यूबरक्लोसिस अवाहदेवी.(टीबी) की नई दवा खोजने पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पोस्टर प्रजेंटेशन अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस से नवाजा गया है। युवा वैज्ञानिक मनोज कुमार पीयू में यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सीनियर फेलो हैं।


मनोज ने बताया कि उन्होंने टीबी की यह एक नई दवाई खोजी है। यह दवा एक ओर जहां टीबी के माइक्रो वेक्टीरियर को मरीज की कोशिकाओं से बाहर निकालेगी वहीं टीबी के लिए वेक्सीन का भी काम करेगी। उनका कहना है कि इस दवा के अब तक खरगोश पर किए गए प्रयोग काफी सफल रहे हैं।
 इस दवाई को वेक्सीन के रूप में लिया जा सकता है। दवा लेने वाले को टीबी होने का खतरा नहीं रह जाएगा। इस दवा का सेवन करने पर टीबी व्यक्ति के शरीर में इम्यूनिटी बढ़ेगी और टीबी का वेक्टेरिया कोशिकाएं छोड़ बाहर निकल जाएगा।