बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए, क्योंकि...



वैदिक काल से ही कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हमारी सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों के लिए ही फायदेमंद रहता है। इन नियमों के आधार पर ही परंपराएं बनी है। सभी परंपराओं के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व बताए गए हैं। प्रतिदिन हम कई छोटे-बड़े सामान्य कार्य करते हैं जिनमें से कुछ कर्म वर्जित किए गए हैं, जिनका संबंध हमारी सुख-समृद्धि से होता है।

अक्सर घर के वृद्धजनों द्वारा मना किया जाता है कि बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए। वैसे तो यह सामान्य सी बात है लेकिन इसके पीछे धार्मिक कारण है। स्वभाव और आदतों का प्रभाव हमारे भाग्य पर भी पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पूजन कर्म या अन्य किसी धार्मिक कार्य में बैठा है तो उसे पैर नहीं हिलाना चाहिए। ऐसा करने पर पूजन कर्म का पूरा पुण्य नहीं मिल पाता है।

अधिकांश लोगों की आदत होती है कि वे जब कहीं बैठे होते हैं तो पैर हिलाते हैं। इस संबंध में शास्त्रों के जानकार के अनुसार पैर हिलाने से धन का नाश होता है। धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। शास्त्रों में इसे अशुभ कर्म माना गया है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह आदत हानिकारक है। बैठे-बैठे पैर हिलाने से जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती है। पैरों की नसों पर विपरित प्रभाव पड़ता है। पैरों में दर्द हो सकता है। इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ सकता है। इन कारणों के चलते इस आदत का त्याग करना चाहिए।

यदि किसी पूजन कार्य में या शाम के समय बैठे-बैठे पैर हिलाते हैं तो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। धन संबंधी कार्यों में विलंब होता है। पैसों की तंगी बढ़ती है। वेद-पुराण के अनुसार शाम के समय धन की देवी महालक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर रहती हैं, ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बैठे-बैठे पैर हिलाता है तो देवी उससे नाराज हो जाती हैं। लक्ष्मी की नाराजगी के बाद धन से जुड़ी परेशानियां झेलना पड़ती हैं। अत: बैठते समय इस बात का ध्यान रखें।