मै अपने माता पिता भाई पत्नी और पुत्र के साथ आज उपवास कर रहा हूँ

मै अपने माता पिता भाई पत्नी और
पुत्र के साथ  अन्ना हजारे के आमरण अनशन के समर्थन में एक दिन  का उपवास आज  कर रहा हूँ  जिससे उनके आन्दोलन को नैतिक समर्थन मिल सके  आप भी उन्हें समर्थन दें...........
सोनिया गाँधी और उनकी कम्पनी जन लोकपाल बिल को लागू क्यों नही कराती, यदि वे भ्रष्टाचार के बारे में  थोड़े भी गंभीर है?
छोटे गाँधी यानि अन्ना हजारे जी से क्यों कह रहे है की अनशन करने से कुछ फायदा नहीं है?
सोनिया की समिति जिसमे शरद पवार, मोइली और कपिल सिब्बल है, ये  क्या कानून बनायेगे जो खुद या तो भ्रष्टाचार में लिप्त है या भ्रष्टाचारियों का बचाव  कर रहे है हैं,

गूगल बाबा की जय

जय हो गूगल बाबा की जय हो
जो पूछो झट से बतलाते
खुद में पूरा ब्रमांड बसाते 
डक्टर हो या इंजीनियर
सबको हैं यह राह दिखाते
सबसे ज्यादा युवा वर्ग को भाते
क्योंकि  इनके बिषयों  को
झट से ये जो हल कर जाते
जय हो गूगल बाबा की जय हो .
गूगल बाबा के रूप भी अन्नत
इनका जीमेल सबका चहेता  
युवाओं  में ऑरकुट का बोलता
ऑफिसर का ओनलाइन खाता
लेखक और कवि को  ब्लॉग्स खूब भाता

तेरी खुशियों की खातिर....

तेरी खुशियों की खातिर लड़ेंगे सबों से ....कुछ ऐसे ....
तुम तकते रहती मेरी राह
और मैं तेरे लिए भागता आता....
थका हुआ सा मैं तेरे बाहों को
तकिया बना फिर सोता.... कुछ ऐसे.....
आँखे खुलते ही तेरे चेहरे को देख
मेरी लबो पर आती मुस्कान......... कुछ ऐसे.....
 ये तो सपना था मेरा तेरे साथ जीने का 
वजह क्या हुई जो ये पूरा न हो सका.....
हाँ, सच मे घरौंदा था ये मेरा
शुष्क मिटटी का बना
मेरे ही आंसूओं से ये बहता चला गया.....
 जीना तो होगा ही मुझे
तेरे बिना भी यहीं
मगर तेरे बिना मेरी जिंदगी क्या होगी,
.बस डरता हूँ.... कुछ ऐसे
  --संदीप सांडिल्य,मधेपुरा  

खरा सच

मैं गलती करता जरूर हूँ,
क्या करू आदत से मजबूर हूँ.
अजीज मेरे आजिज हैं मुझसे
कभी-कभी कह देते हैं मुख से.
         गलती कोई बड़ी नही,
         सत्य बात कहता हूँ.
          दिन को दिन कहता हूँ,
          और रात को रात कहता हूँ.
कहूँ क्यों नहीं,देखा नही जाता है,
जिसका जितना ऊँचा ओहदा है,
वह उतना बड़ा सोह्दा है,
सनकी  और बेहूदा है.
           बड़े बुजुर्ग फरमाते हैं
           मगर यह कहते शर्माते हैं,
            देश गुलाम था,आराम था,
            आज आजाद है तो फसाद है.
हम रोटी के लिए तरसते हैं,

मंडल विश्वविद्यालय का पटना में भी खुलेगा ब्रांच

रूद्र नारायण यादव/२५ अप्रैल
२०११
 मधेपुरा स्थित भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय उन्नत होने की राह पर है..अब मंडल विश्वविद्यालय ने राज्य की राजधानी पटना में भी अपनी शाखा खोलने का फैसला किया है.इसकी आवश्यकता पर बल देते हुए कुलपति डा० अरूण कुमार ने बताया कि पटना में इसकी शाखा का खुलना इसकी कार्यक्षमता में वृद्धि करेगा.पटना स्थित ब्रांच में एक पदाधिकारी तथा दो कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति की जायेगी.मालूम हो कि मंडल विश्वविद्यालय के विरूद्ध उच्च न्यायालय में वादों का अम्बार है,जिसमे सरकार प्रत्येक शुक्रवार को मधेपुरा से प्रतिनिधि को बुलाती थी.ऐसे में विश्विद्यालय पर काफी खर्च का बोझ पड़ जाता था.अब इसकी शाखा खुल जाने पर विश्वविद्यालय पर खर्च का बोझ कम पड़ेगा तथा छात्रों को भी बड़ी रहत मिलने की संभावना है.

देश की सेवा कौन करे?

जो शासन का सूत्रधार
जिनके कन्धों पर राष्ट्रभार
वह स्वयं बहुत ही हल्का है
संसद में मचा तहलका है
कि देश की सेवा कौन करे?
छल से पाया है धन अशेष
बल से पाया है जनादेश
है राजनीति व्यापार यहाँ 
सत्ता सुख का आधार यहाँ
फिर देश की सेवा कौन करे? 
जनता झेल रही लाचार
भय-भूख और भ्रष्टाचार
भारत गांधी,इंदिरा से रीता है
अब नेता लालू ललीता हैं
तो देश की सेवा कौन करे?
-संतोष कुमार,अधिवक्ता,मधेपुरा.

फर्जी एलियन से बेवकूफ बनाया दुनियां को

एलियंस (दूसरे ग्रह के मानवनुमा जीव) हमेशा से पृथ्वीवासियों के लिए उत्सुकता की वस्तु रही है.पृथ्वी पर जहाँ कई जगह एलियंस की उपस्थिति दर्ज होने की सूचना लोगों के रोमांच को बढ़ाती रहती है,वहीं एलियंस की कई झूठी ख़बरें भी लोगों को परेशान  करती रही हैं.एक ताजा घटनाक्रम में रूस के दो लड़कों ने इसी १७ अप्रैल को यूट्यूब पर एलियंस का झूठा वीडियो अपलोड (उक्त फर्जी वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.) कर महज चार दिनों में दुनिया भर के करीब ५९ लाख लोगों को बेवकूफ बनाया.

वीडियो का एलियन

क्या है इस वीडियो में?
इस वीडियो में जेम्स एब्स ने बताने का प्रयास किया कि ऐसा हो सकता कि एलियंस का कोई यान रूस के इस बर्फीले इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो और ये एलियन यहाँ मर गया हो.वीडियो में एलियन( जैसा फिल्मों में दिखाया जाता है)

मताधिकार के लिये अधिक जागरूक दिखी महिलायें

सुपौल: पिछले अन्य चुनाव की तरह इस पंचायत चुनाव में भी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा कहीं अधिक रही। महिलाएं जिले के पिपरा प्रखंड में बुधवार को सम्पन्न हुए मतदान में काफी बढ़चढ़ कर हिस्सा ली। महिलाएं सबेरे ही घरों के कार्य से फारिग हो वोट गिराने बूथ पर पहुंच गयी। प्रखंड के कुछ बूथों को अगर अपवाद मान लिया जाय बावजूद बूथ पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाता से अधिक ही दिख रही थी। कड़ी धूप के बावजूद महिलाएं देर तक लाइन में खड़ी रही और वोट गिराने के बाद ही अपने घर की ओर कूच की। झुंड में वोट गिराने आती महिलाओं को देख ऐसा लग रहा था कि महिला पुरुषों से आगे हो या न हो लेकिन अपने मत का मूल्य तो वह जान ही गयी है। मतदान को ले जितना उत्साह महिला मतदाताओं में दिख रहा था उतना पुरुष मतदा

खाने में अगर प्‍याज न हो तो खाना स्‍वादिष्‍ट नहीं लगता। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ खाने का स्‍वाद ही नहीं बढ़ाता है बल्कि वजन कम करने के साथ साथ डायबीटीज और ब्‍लड प्रेशर जैसी बीमारियों से भी बचाता है।

खाने में अगर प्‍याज न हो तो खाना स्‍वादिष्‍ट नहीं लगता। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ खाने का स्‍वाद ही नहीं बढ़ाता है बल्कि वजन कम करने के साथ साथ डायबीटीज और ब्‍लड प्रेशर जैसी बीमारियों से भी बचाता है।
क्‍वीनलैंड यूनीवसिटी के शोधकर्ता का कहना है कि इन बीमारियों से बचना चाहते हैं तो ज्‍यादा से ज्‍यादा प्‍याज का सेवन करें।

उनके मुताबिक प्याज से निकलने वाला रस रक्तचाप कम करने के साथ साथ लिवर में होने वाली क्षति की मरम्मत करता है।

क्‍यों बॉयफ्रेंड को घर लाने से डरती हैं लड़कियां



भारतीय समाज में खुलापन आया है। लड़के-लड़कियों की दोस्‍ती आम हो गई है। क्‍योंकि साथ साथ
पढ़ने के कारण दोस्‍ती होना लाजिमी है। लेकिन छह राज्यों में 51 हजार लोगों पर किए गए सर्वे में स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने ऐसी ही चौंकाने वाले बातें सामने आई हैं।

को-ऐजुकेशन के बावजूद ज्यादातर मां-बाप को बच्चों के विपरीत सेक्स से दोस्ती पर ऐतराज है।

प्‍यार नहीं ज्यादातर लड़कियां देखती हैं जेब



शायद किसी ने ठीक ही कहा है कि महिलाओं के सोच के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है।
 अगर आप यह सोचते हैं कि प्‍यार से आप किसी लड़की का दिल जीत सकते हैं तो आप गलत सोच रहे हैं। क्‍योंकि एक नए शोध में पता चला है कि महिलाएं अपने लिए साथी चुनते वक्त उसकी कमाई देखती हैं। यानी अगर आपकी नौकरी अच्छी है और आप अच्छा कमाते हैं तो आप महिलाओं की पहली पसंद बन सकते हैं।

कोलोन स्थित इंस्टिट्यूट फॉर द जर्मन इकोनॉमी के एक शोध में कहा गया है कि महिलाएं ज्‍यादा कमा रही हैं ऐसे में वे सोचती हैं कि उनका पार्टनर भी ज्‍यादा कमाएं ताकि एक अच्‍छा जीवन जिया जा सके। इसलिए महिलाएं ज्यादा पैसे वालों और अच्छी नौकरी वालों को ज्यादा पसंद कर रही हैं।

सिर्फ 52 प्रतिशत पुरूष जानते हैं शादी की सफलता का राज

भारतीय पुरुष भले ही संबंधों की जानकारी के मामलों में खुद को जानकार समझते हो लेकिन हाल में हुए एक सर्वे में पता चला है कि सिर्फ 52 प्रतिशत भारतीय पुरुष ही वैवाहिक जीवन के निजी संबंधों की सही जानकारी रखते हैं।

अध्ययन में यह भी पता चला कि शादी की सफलता के लिए शारीरिक संबंधों की जानकारी होना जरूरी है। जो पुरुष जितना ज्‍यादा संबंधों की जितनी जानकारी रखते हैं उनका मैरिज लाइफ उतना ही सुखी रहता है।


सर्वे में 56 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इंटरनेट से संबंधों की जानकारी हासिल करते हैं।

सीखिए मौके का फायदा उठाना



कहते हैं मौके का लाभ उठाने वाला ही अपनी मंजिल को पाता है। जो लोग
अवसर का लाभ उठाना नहीं जानते वे जीवन में बहुत कुछ खो देते हैं। इसलिए हर आदमी को मौके का लाभ उठाना सीखना चाहिए। एक गरीब बुढिय़ा के तीन बेटे थे। वह अक्सर बीमार रहने लगी एक दिन उसने अपने बेटों को अपने पास बुलाया और सारे बेटों को एक एक हजार अशर्फियां देकर बोली कि मेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं है। तुम ये अशर्फियां लेकर अपना कुछ काम धंधा शुरू करो।

तीनों बेटे मां का आदेश पाकर अशर्फियां लेकर दूसरे शहरों को चले गए। सबसे बड़े बेटे ने सोचा कि मरो मां ने ये पैसे बड़ी मेहनत से जोड़े हैं मैं इनसे कोई व्यापार शुरू करूगां और खूब मेहनत करूंगा। सह सोचकर उसने नमक का व्यापार शुरू किया। कुछ ही महीनों में उसकी मेहनम रंग लाई और उसे खूब मुनाफा हुआ।

इधर उसका दूसरे बेटे ने सोचा कि मेरी मां ने अपना पेट काट काट कर ये पैसे जमा किये होंगें मैं

जरूरत से ज्यादा चाह हमेशा दुख देती है



कभी-कभी जरूरत से ज्यादा धन भी घर-परिवार में अशांति फैला देता है। धन का अपना स्वभाव है, वह सीमित मात्रा में मिलता रहे, जरूरत के काम पूरे होते रहें तो कभी परेशानी नहीं आती लेकिन जब अचानक बड़ी मात्रा में पैसा मिल जाता है तो वह परिवार में कहीं-न-कहीं लालच फैलाने का काम करता है। व्यक्ति धन संग्रह करने वाला और लालची होने लगता है यही स्वभाव उसके दु:ख का कारण बनता है।

एक गांव में एक सेठ और बढई पड़ोसी थे। सेठ बड़ा पैसे वाला था लेकिन उसे कोई संतान नहीं थी। उसके घर में केवल पत्नी और बूढ़ी मां थी। इतना धनवान होने के बाद भी उसके घर में शांति नहीं थी। वे दोनों अक्सर झगड़ते रहते थे। वहीं दूसरी ओर बढ़ई के घर में उसकी पत्नी और दो बच्चे थे, वे गरीब थे मगर बड़े प्रेम से रहते थे।एक दिन सेठानी ने सेठ को अपने पास बुलाया और बढई के घर में झांकते हुए कहा कि ये लोग गरीब हैं मगर फिर भी कितने खुश हैं। सेठ ने पत्नी से कहा कि संतोषी को झोपड़ी भी महल लगती है।

दोस्त वही जो समय पर सावधान कर दे



कहते हैं सच्चे दोस्त बहुत मुश्किल से मिलते हैं और जब मिलते हैं तो कई बार हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं। सच्चे दोस्त की सबसे बड़ी पहचान यही है कि वह आपको कोई मुसीबत आने से पहले या आपके दुश्मनों से उनकी निती से पहले ही सावधान कर दे।महाभारत में अब तक आपने पढ़ा..पाण्डवों का दुबारा जूआ खेलने के लिए हस्तिनापुर आना अब आगे....

 जब पांडव वापस आए तो शकुनि ने कहा हमारे वृद्ध महाराज ने आपकी धनराशि आपके पास ही छोड़ दी है। इससे हमें प्रसन्नता हुई। अब हम एक दांव और लगाना चाहते हैं। अगर हम जूए में हार जाएं तो मृगचर्म धारण करके बारह वर्ष तक वन में रहेंगे और तेहरवे वर्ष में किसी वन में अज्ञात रूप से रहेंगे। यदि उस समय भी कोई पहचान ले तो बारह वर्ष तक वन में रहेंगे और यदि आप लोग हार गए तो आपको भी यही करना होगा। शकुनि की बात सुनकर सभी सभासद् खिन्न हो गए।

वे कहने लगे अंधे धृतराष्ट्र तुम जूए के कारण आने वाले भय को देख रहे हो या नहीं लेकिन इनके मित्र तो धित्कारने योग्य हैं क्योंकि वे इन्हें समय पर सावधान नहीं कर रहे हैं।

कब और क्यों नहीं सोना चाहिए?



भागदौड़ से भरी जिंदगी में आराम के लिए समय ही नहीं है तभी तो कई बार दिन में लोग कुछ देर के लिए आराम करते हैं।कई लोग समय की कमी के कारण शाम के वक्त आराम करते हैं। यहां
आराम करने से हमारा मतलब है-सोने से।पर शाम को सोना शास्त्रों की दृष्टि से अनुचित माना जाता है। क्या कारण है कि शाम को सोना वर्जित माना जाता है?

वैसे देखा जाए तो सोने के रात्रि को ही श्रेष्ठ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार तो दिन भी नहीं सोना चाहिए। दिन में सोने से आयु घटती है, शरीर पर अनावश्यक चर्बी बढ़ती है, आलस्य बढ़ता है आदि।इसलिए दिन में सोना प्रतिबन्धित है। सिर्फ वृद्ध, बालक एवं रोगियों के मामले में यहां स्वीकृति है।

इस प्रकार जब शास्त्रों में दिन में सोने पर पाबंदी है तो शाम का समय तो वैसे भी संध्या-आचमन का होता है। शाम का समय देवताओं की आराधना एवं संध्या का होता है।

राघोपुर में अग्निदेव का प्रकोप, पचास घर खाक

राघोपुर (सुपौल),   प्रखंडाधीन रामविशनपुर पंचायत स्थित छपकी गांव में मंगलवार की शाम अग्निदेव का तांडव चला और देखते ही देखते 26 परिवारों के लगभग पचास घर राख में तबदील हो गये। अगलगी की इस घटना में नकद, सैकड़ों मन अनाज, जेवर, कागजात, घरेलू उपयोग के सामान सहित 10 बकरियां जल कर राख हो गयी। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंडल टोला निवासी वीणा मंडल के मवेशी गोहाल के समीप जल रहे घूर से उड़ी चिंगारी के चपेट में आने से महेन्द्र मंडल, खुशी लाल, बोकू मंडल, गंगा राम मंडल, भुवनेश्वर मंडल, कौशल मंडल, सदानंद मंडल, सूरज मंडल, सत्यदेव मंडल, महेश्वर मंडल आदि के घर आग की भेंट चढ़ गये। वहीं लगभग दस मवेशियों की मौत एवं लाखों की सम्पत्ति अग्नि की भेंट चढ़ गयी। आग की लपटों पर ग्रामीण के प्रयास से घंटों बाद काबू पाया जा सका। देर से आने एवं घटना स्थल तक संकीर्ण रास्ता होने के कारण अग्निशमक गाड़ी नहीं पहुंच पायी। बीडीओ सह सीओ सुनील कुमार एवं राघोपुर पुलिस ने पीड़ितों को ढ़ाढ़स बंधाया एवं क्षति का जायजा लिया। बुधवार को बीडीओ ने राहत के रूप में दो हजार दौ सौ पचास रुपये नकद प्रति परिवार को दिया एवं शाम तक एक क्विंटल अनाज और दो मीटर पोलिथीन उपलब्ध कराये जाने का आश्वासन दिया। स्थानीय लोगों ने भी पीड़ितों को राहत दिये जाने की सूचना है।

क्‍यों मर्द कभी बूढ़ा नहीं होता ?

कहते हैं जिस दिन आप खुद को बूढ़ा समझने लगते हैं उसी दिन आप बूढ़े हो जाते हैं। यह बात महिलाओं पर सौ फीसदी सही बैठती है। क्‍योंकि एक नए अध्‍ययन में यह बात सामने आई है कि ज्‍यादातर महिलाएं सिर के एक दो बालों के सफेद होते ही 29 साल में खुद को बूढ़ी समझने लगती है जबकि पुरुष 59 साल के बाद यह बात स्‍वीकार करते हैं।
लेनकैस्टर यूनीवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक कैरी कूपर का कहना है कि ‘हमारे समाज में महिलाओं का आकर्षक दिखना बहुत महत्वपूर्ण है। वे खुद को तब बुजुर्ग मानने लगती हैं जब वे ट्रेंडी या फैशनेबल नहीं रह जातीं।
                 लेकिन पुरुष दिखने में चाहे जैसे भी हों, लेकिन खुद को 59 से पहले बुजुर्ग मानने को तैयार नहीं होते हैं।
‘एवलन फ्यूनेरल प्लान्स’ के अध्ययन के अनुसार एक चौथाई महिलाएं तभी खुद को बूढ़ी मान लेती हैं, जब उनके बाल सफेद होने शुरु होते हैं, जबकि पुरुष अपनी यौन क्षमता घटने के बाद खुद को बूढ़ा समझते हैं।

कोई पुरुष स्त्री के सामने कब हो जाता है बोना?

गृहस्थी बसाना सभी को पसंद है भले ही मजबूरी हो या मौज। अधिकांश लोग इससे गुजरते जरूर हैं। जब-जब गृहस्थी में अशांति आती है तब आदमी इस बात को लेकर परेशान रहता है कि क्या किसी के दाम्पत्य में शांति भी होती है। समझदार लोग गृहस्थ जीवन में शांति तलाश लेते हैं।

आचार्य श्रीराम शर्मा ने अपने एक वक्तव्य  में गृहस्थी में अशांति के कारण को वासना भी बताया है। उन्होंने कहा है वासना के कारण पुरुष स्त्री के प्रति और कभी-कभी स्त्री पुरुष के प्रति जैसा द्वेष भाव रख लेते हैं उससे परिवारों में उपद्रव होता है। एंजिलर मछली का उदाहरण उन्होंने दिया है।

यह मछली जब पकड़ी गई इसका आकार था 40 इंच। मामला बड़ा रोचक है लेकिन नर एंजिलर पकड़ में नहीं आ रहा था क्योंकि वह उपलब्ध नहीं था। एक  बार तो यह मान लिया गया कि इसकी नर जाति होती ही नहीं होगी। लेकिन एक दिन एक वैज्ञानिक को मादा मछली की आंख के ऊपर एक बहुत ही छोटा मछली जैसा जीव नजर आया जो मादा  मछली का रक्त चूस रहा था।

32 साल के बाद मां की परछाई बन जाती है बेटी

 बेटी को मां की परझाई माना जाता है लेकिन जब वे अपनी उम्र के 32वें पड़ाव पर पहुंचती हैं तो उनके व्‍यवहार में अचानक परिवर्तन आता है। ज्यादातर अपनी मां की तरह व्यवहार करना शुरू कर देती हैं।यही नहीं महिलाएं अपने बच्चों से बात करते हुए उन्हीं मुहावरों या वाक्यांशों का इस्तेमाल करने लगती हैं जो उनकी मां ने बचपन में उनसे करती थी।

मां बच्‍चों को सुबह स्‍कूल भेजने के लिए बिस्‍तर पर जल्‍दी चली जाती थी ठीक वैसे ही उनकी बेटियां भी करने लगती हैं।

मनोविशेषज्ञ जूडी जेम्स कहती हैं कि महिलाएं इस बात को स्वीकार नहीं करती हैं कि उनका व्‍यवहार उनके माता-पिता से मिलता-जुलता है।

लेकिन आपके न चाहते हुए भी आपका अवचेतन मन उनसे बहुत कुछ सीख लेता है और आप भी अपने जीवन में वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं।

भारत की जीत से दूर हुआ अमिताभ का भ्रम

बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन मानते थे कि वह जब भी क्रिकेट मैच देखते हैं तब भारत को पराजय का सामना करना पड़ता है लेकिन क्रिकेट विश्व कप 2011 के फाइनल में श्रीलंकाई टीम पर भारतीय टीम की जीत ने उनके इस भ्रम को दूर कर दिया है।
अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि शनिवार के मैच ने उनका सालों पुराना भ्रम तोड़ दिया है। वह कहते हैं कि उन्हें लगता था कि वह जब भी मैच देखते हैं तो भारतीय टीम को हार का मुंह देखना पड़ता है लेकिन उन्होंने शनिवार को मैच देखा भी और भारत की जीत भी हुई।
इससे पहले हाल ही में अमिताभ के बेटे व अभिनेता अभिषेक ने स्वीकार किया था कि वह और उनके पिता भारत का मैच देखने की बजाए फोन पर लगातार स्कोर पता करते रहते हैं। इसकी वजह यह थी कि दोनों को लगता था कि उनके देखने से भारतीय टीम हार जाएगी लेकिन दोनों में से एक से भी इस बार का विश्व कप फाइनल देखने से न रहा गया।

जीत का नशा अभी उतरेगा भी नही:रात भर जश्न में डूबा रहा

कटैया-निर्मली, त्रिवेणीगंज, प्रतापगंज, वीरपुर जाटी : विश्वकप के फाइनल मैच के शुरू होते ही बाजार में सन्नाटा छा गया। लोग टीवी सेटों से चिपक गये। स्थानीय विनोबा मैदान में प्रोजेक्ट पर मैच का सीधा प्रसारण देखने की व्यवस्था स्थानीय लोगों के द्वारा की गई थी। लोग चेहरे पर तिरंगा बनाये हाथों में तिरंगा लिये झूमते मैच का आनंद ले रहे थे। मैच जीतते ही मैदान खुशियों से झूम उठा। एक दूसरे को बधाई देने के साथ पूरा क्षेत्र आतिशबाजी से गूंज उठा। तिरंगा लहराते लोग टीम इंडिया के जयकारे लगाने लगे। युवकों की टीम ने डीजे की धुन के साथ जुलूस निकाला। मिठाइयां भी बांटी गयी।
कटैया-निर्मली संवाददाता के अनुसार, महेंद्र सिंह धौनी के छक्के के साथ ही लोग खुशी से उछल पड़े। चारों ओर पटाखों की आवाज गूंजने लगी। जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए लक्ष्मीकांत भारती ने कहा कि भारतीय टीम ने देश की शान को बढ़ाया है।
त्रिवेणीगंज संवाददाता के अनुसार, धौनी के बल्ले से निकली गेंद ने बिना जमीन को छूए जैसे ही सीमा रेखा पार की लोग सड़कों पर उतर आये और शुरू हो गया जीत की जश्न का दौर। और पूरी रात लोग पटाखों की श्रृंखलाबद्ध गूंज व संगीत की ताल पर थिरकते रहे और जय हो के नारे लगाते रहे।
वीरपुर संवाददाता के अनुसार, टीम इंडिया की मेहनत और लोगों की दुआएं काम आयी और 28 वर्ष बाद भारत ने विश्व कप पर कब्जा जमाया। भारत की जीत पर मिथिलेश कुशवाहा, शैलेश कुमार सिंह, सरोजनी झा, संजीव कुमार, रंजीत कुमार, दिव्यांशु शेखर, कुणाल, नेहा, प्रियंका, कौशिक आदि ने बधाई दी है।
प्रतापगंज संवाददाता के अनुसार, विश्व कप क्रिकेट के फाइनल मुकाबले का परिणाम आते ही जश्न का दौर शुरू हो गया। प्रखंड के सुखानगर, सूर्यापुर, दुअनियां, मकतब सुजान चौक आदि स्थानों पर मैच देखने का इंतजाम किया गया था। जीत के बाद लोगों ने जमकर आतिशबाजी की।

शहर में नहीं है गाड़ियों के पार्किंग की व्यवस्था

सुपौल जिले में लगातार बढ़ रही गाड़ियों की संख्या के बावजूद जिला मुख्यालय में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होना लोगों की परेशानी का कारण बना है। पार्किंग नहीं रहने से आये दिन सड़कों पर जाम लगा रहता है और गाहे-बेगाहे मारपीट तक की नौबत आ जाती है।
दिन प्रति दिन शहर का रूप लेता जा रहा है जिला मुख्यालय। मकान बढ़े है आबादी बढ़ी है, कारोबार बढ़ा है तो गाड़ियों की संख्या बढ़नी लाजिमी है। लेकिन इस लिहाज से नहीं बढ़ी है बढ़ती आबादी की सुविधाएं। किसी जिले के विकास के लिए दो दशक काफी होते हैं। सुपौल ने भी हाल ही जिले के रूप में दो दशक पूरे किये हैं। इन सालों में जिले में व्यापक प्रगति हुई है। इस दौरान दो पहिया वाहनों से लेकर चार पहिया वाहनों की संख्या काफी बढ़ी है। लेकिन इसके लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग यत्र-तत्र गाडि़या लगा देते हैं। जिससे सड़क जाम की समस्या बनी रहती है। कोई भी व्यापारिक प्रतिष्ठान हो या फिर सरकारी प्रतिष्ठान हर जगह गाड़ियों की लंबी कतार देखी जा सकती है। सड़क किनारे लगे ये वाहन यातायात को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। सड़क का किनारा अवरुद्ध रहने के कारण पैदल चलने वाले भी सड़कों पर ही चलते हैं। जिससे सड़क पर चलने वाली गाड़ियों के लिए समस्या पैदा होती है। इस कारण यदा-कदा दुर्घटनाएं भी हो जाती है। कई बार तो गाड़ी पार्किंग के सवाल पर मारपीट तक की नौबत आन पड़ी है। कुछ दिन पूर्व स्टेशन चौक पर गाड़ी पार्किंग के सवाल पर जमकर मारपीट हुई। स्थानीय नौ आना कचहरी रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के आगे तो पार्किंग के कारण जाम लगा ही रहता है। बावजूद इसके प्रशासन द्वारा इस ओर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है।

तुम बीबी की सुनो

तुम बीबी की सुनो
वो तुम्हारी सुने ना 
तुम खूब सेवा करो
वो तुम्हारी करे ना
नखरे उसके हजार
देखो बार-बार
बीबी से डरो तुम
वो तुमसे डरे ना
बीबीसी को छोड़ो
सुनो बीबीजी की
वर्ना होगी मुश्किल
तेरे जिंदगी की
बात मेरी मानो
लगाओ तुम नारा
जय हो,जय हो बोलो
सदा बीबीजी की.
 --शिव प्रकाश चन्द्र,मधेपुरा.(मधेपुरा टाइम्स)

रविवार विशेष-कविता- बेटियां

बोते हैं बेटा ,पैदा लेती है बेटियां .
खाद -पानी बेटा में ,लहराती है बेटियां .
प्यार बेटे को दिया ,
प्यारी होती है बेटियां .
सपना बुना बेटे के लिए ,
पूरी करती है बेटियां .
ठेले बेटा को ,
एवरेस्ट पर चढती है बेटियां .
ज्यादा पढाया बेटे को ,
पर आगे बढाती है बेटियां .
अपने नाम से जोरा  बेटे का नाम ,
पर नाम रौशन करती है बेटियां .
रुलाता है बेटा ,रोती है बेटियां .
हर फरमाइश पूरी कि बेटे की,
पर हमारी ख्याल रखती है बेटियां.
महत्त्व देते है बेटे को,
हमारी महत्त्व बढाती है बेटियां
अधिकार देते है बेटे को ,
कर्त्तव्य करती है बेटियां .
जिम्मेदारी  बेटे को दिया ,
निभाती है बेटियां .
गिरता है बेटा ,
संभलती है बेटियां .
फिर न जाने क्यों ,
समाज और हमसब ठुकराते हैं बेटियां?
    --प्रीति,मधेपुरा 

रविवार विशेष- कविता- दहेज़ एक सामाजिक बुराई

दहेज़ का लालची समाज है हमारा,
बेटे को बेच कर इज्जत है कमाता,
दहेज़ के पैसे से बंगला बनाकर,
लोभी इंसान अमीर कहलाता,
बेटे के जन्म पे खुश हो जाता,
बेटी जन्मे तो शोक है मनाता,
दहेज के लिए बेटे को अफसर बनाता,
दहेज़ न मिले तो बहू  को जलाता, 
अपनी इज्जत को खाक में मिलाता,
बेटे को बेचने से फायदा क्या है,
अपनी इज्जत गवांने से फायदा क्या है, 
मेहनत के पैसे से इज्जत बनाओ, 
छोड़ो ये रस्मो रिवाज,
समाज में अपनी अलग पहचान बनाओ,
सामाजिक बुराइयों को जड से मिटाके,
विकसित और प्यारा देश बनाओ |
  --
पल्लवी राय,मधेपुरा