रविवार विशेष-कविता- यमराज की बिहार यात्रा

भू-लोक की बहार देखने, यमराज जी बिहार आये
हालत देख सरकारी अस्पताल की,डॉक्टर को आँखें दिखलाये.
नाराज होकर बोले वे,एंडी रगड़-रगड़ मरीज मर रहे हैं
जो काम मुझे करना चाहिए,आप क्यों कर रहे हैं?
दार्शनिक अंदाज में डॉक्टर बोले,ये पाप के शाप झेल रहे हैं
गरीबी पाप से कम नही,तभी तो ये मौत के साथ कबड्डी खेल रहे हैं.

दूसरे दिन जेल मंत्री से जाकर तपाक से हाथ मिलाए,
आग्रहपूर्वक कहा उन्होंने,अपनी जेल में हमें पट्टा दिलवाए.
अकबका मंत्रीजी बोले,समझ में नही आया आपका यह प्रस्ताव
कई राज्य तो और भी हैं,फिर बिहार का ही क्यों चुनाव?
उत्तर मिला-दिवंगत बिहारी हमें रोज आँखें दिखलाते हैं
रंगदारी की रकम वसूलने,चिट्ठी तक भिजवाते हैं.

तीसरे दिन वे थानेदार से जाकर चायखाने में मिल पाए
बात-बात में तू-तड़ाक सुन कई बार वे सकपकाए.
बोले थानेदार अकड़कर,यह लोक है हमारा यमराज
सज्जन-दुर्जन में फर्क नहीं यहाँ,माल के हिसाब से होता है राज.
हाथ जोड़कर बोले यमराज,धन्य है तू धरती का लाल
साक्षात सामने पाकर तुझे, आज मेरा बदल गया ख्याल.
        
--पी०बिहारी'बेधड़क',मधेपुरा