क्योंखकि बचपन वह अवस्था है जब दिमाग का विकास बेहद तेजी से होता है और बचपन में अधिक शारीरिक गतिविधियों का मस्तिष्क के विकास पर लाभकारी असर पड़ता है।
डेइकिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि बचपन में खेलकूद में व्यस्त रहने से बच्चों में तनाव प्रबंधन कौशल के विकसित होने में मदद मिलती है और ऐसे बच्चों किशोरावस्था में भावनात्मक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं।
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि अधिक चुस्त और शरारत भरा जीवन जीने वाले बच्चों की तुलना में शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहने वाले बच्चों के बड़े होकर अवसाद की चपेट में आने की आशंका 35 फीसदी रही।